गुवाहाटी: सीमा पार से बिना रोकटोक विदेशी नागरिकों के आने के मुद्दे को हल करने के लिए लंबे समय तक चले आंदोलन के परिणामस्वरूप असम समझौता लागू हुआ, लेकिन यह अभी तक अमल में नहीं लाया जा सका है. हर सरकार असम समझौते पर सिर्फ राजनीति कर रही है. इस कारण आज भी राज्य घुसपैठ की समस्या से मुक्त नहीं है. सीमा को सील नहीं किया जा सका है.
जहां भारत-बांग्लादेश सीमा पर अन्य इलाकों में कंटीले तारों की बाड़ लगाने का काम लगभग पूरा हो चुका है, वहीं करीमगंज जिले में 4 किलोमीटर का इलाका आज भी खुला है. बांग्लादेश की आपत्ति और सीमा के इस पर रहने वालों को शिफ्ट न किए जाने की वजह से कंटीले तारों की बाड़ लगाने का काम रोकने पर मजबूर होना पड़ा है.
2009 में शुरू हुआ था काम : राष्ट्रीय भवन निर्माण निगम (एनबीसीसी) ने 2009 में करीमगंज शहर से होकर बहने वाली कुशियारा नदी के सीमावर्ती इलाकों में कंटीले तारों की बाड़ लगाने का काम शुरू किया था, लेकिन आज तक इसे पूरा नहीं किया जा सका है. इसका मुख्य कारण नदी के किनारे बसे लोगों का दूसरे स्थानों पर स्थानांतरित न हो पाना है.
सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों को दूसरी जगहों पर बसाने के लिए वित्तीय सहायता देने के बाद भी आज तक 4 किलोमीटर की बाड़ लगाने का काम पूरा नहीं हो सका है क्योंकि वे लोग उसी जगह पर बसे हुए हैं. उन लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट करना होगा.
150 गज की दूरी पर लगने थे कंटीले तार : गौरतलब है कि सीमा से 150 गज की दूरी पर कंटीले तार की बाड़ लगाई जानी थी, लेकिन कुशियरा नदी के किनारे कई लोगों के रहने को देखते हुए बाड़ की दूरी 150 की जगह 50 गज तक कम कर दी गई. इस संबंध में भारत और बांग्लादेश दोनों सरकारों ने चर्चा की और निर्णय लिया. इसके बाद भी फेंसिंग की प्रक्रिया संभव नहीं हो सकी है.
एक तरफ, सीमावर्ती इलाकों में रहने वाले लोगों ने आर्थिक सहायता मिलने के बाद भी जगह नहीं छोड़ी और दूसरी तरफ, बांग्लादेश ने एनबीसीसी को नदी के किनारे ऊंची सुरक्षा दीवार बनाने से रोकना शुरू कर दिया. चूंकि कंटीले तारों की बाड़ की दूरी 150 गज के बजाय 50 गज कर दी गई थी, इसलिए नदी के किनारों पर सुरक्षा दीवार दिए बिना कंटीले तारों की बाड़ लगाना आसान नहीं था. इसलिए ऊंचाई तक गार्ड दीवार का निर्माण और उस पर कंटीले तारों की बाड़ लगाने का काम 2017 में शुरू किया गया था.
लेकिन जैसे ही यह काम शुरू हुआ बांग्लादेश ने ऊंचाई वाली गार्ड दीवार के निर्माण पर आपत्ति जताई, उसे डर था कि अगर नदी की गार्ड दीवार ऊंची बनाई गई तो मानसून के दौरान पानी बांग्लादेश में बह जाएगा.
बांग्लादेश का तर्क है कि अगर गार्ड वॉल बनाई जाए तो ऊंची नहीं बल्कि कम ऊंचाई पर बनाई जाए. लेकिन कंटीले तारों की बाड़ लगाने के लिए गार्ड दीवार को ऊंचा करना होगा. अन्यथा नदी के किनारे कंटीले तारों से बाड़ लगाना संभव नहीं है.
बांग्लादेश के अड़ंगे के कारण एनबीसीसी को काम शुरू करने के बाद भी सीमा पर बाड़ लगाने को स्थगित करने के लिए मजबूर होना पड़ा है. इसके चलते सीमा का चार किलोमीटर क्षेत्र आज भी खुला है.
18.56 करोड़ रुपये मुआवजा दे चुकी सरकार : सरकार नदी के किनारे रहने वाले लोगों को स्थानांतरित करने के लिए पहले ही 18.56 करोड़ रुपये का मुआवजा दे चुकी है. लेकिन इसके बाद भी जिला प्रशासन उन लोगों को दूसरी जगह शिफ्ट नहीं कर पाया है, जिस कारण बाड़ का निर्माण कार्य रुका हुआ है. ऐसे में अगर भारत सरकार, बांग्लादेश सरकार से इस मामले पर चर्चा नहीं करती है तो चार किलोमीटर का इलाका खुला रहेगा. जो असम के लिए खतरा है.