नूंह: हरियाणा के नूंह जिले में एक अजीबो-गरीब बीमारी का पता चला है. दरअसल नूंह जिले के तावडू उपमंडल के चाहल्का गांव में चार मासूमों की मौत के कारणों का स्वास्थ्य विभाग ने खुलासा कर दिया है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार मासूमों की मौत चूहों से फैलने वाली बीमारी के कारण हुई थी. नमूने की जांच रिपोर्ट में यह खुलासा हुआ है. स्वास्थ्य विभाग के अनुसार लेप्टोस्पायरोसिस और रिकेटसियल नाम की बीमारी के कारण बच्चों की मौत हुई है.
नूंह में चूहों की वजह से बच्चों की मौत: नूंह डिप्टी सिविल सर्जन डॉ. विक्रम का कहना है 'बीमारी का पता लगाने के लिए विभिन्न प्रकार के कई नमूने जांच के लिए भेजे गए थे, जिनकी एक रिपोर्ट में खुलासा हुआ है कि मासूम बच्चों की मौत चूहों की बीमारी के कारण हुई थी. चूहों के मल मूत्र से यह बीमारी होती है. चूहे घर में कई बार खाने पर मल मूत्र कर देते हैं. इस खाना को खाने से संक्रमण फैलता है. जांच में स्पष्ट रूप से सामने आया है कि चूहों से होने वाली बीमारी लेप्टोस्पायरोसिस से ही बच्चों की मौत हुई है. गांव की ढाणी में चूहों को पकड़ने के लिए पिंजरा भी लगाया गया है. यहां पर पकड़े जाने वाले चूहों से भी नमूना लेकर जांच के लिए भेजा जाएगा.'
अक्टूबर में हुई थी बच्चों की मौत: बता दें कि 21 से 31 अक्टूबर के बीच गांव चाहल्का की ढाणी में 3 से 6 वर्ष तक के चार बच्चों की रहस्यमय बीमारी के कारण मौत हुई थी. बच्चों की मौत का मामला सामने आने के बाद स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मच गया. आनन-फानन में विभाग की ओर से अलग-अलग टीम गठित कर टीकाकरण अभियान शुरू कराया. ढाणी और आस-पास के क्षेत्र में दवा छिड़काव कराया गया. विभिन्न प्रकार के नमूने जांच के लिए भेजे गए. प्रदेश स्वास्थ्य विभाग की एक टीम ने भी गांव में दौरा किया. केंद्रीय स्वास्थ्य विभाग को भी सारी स्थिति से अवगत कराया गया. मामला उजागर होने के करीब तीन सप्ताह बाद मासूम बच्चों की मौत का खुलासा हुआ है.
कैसे फैलती है लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी?: स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों से मिली जानकारी के मुताबिक लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी चूहों के मूत्र से फैलती है. इसमें बीमार व्यक्ति को पीलिया या कभी हार्ट फेल होने का भी खतरा रहता है. ऐसे में तुरंत बीमार व्यक्ति की सीआरपी जांच करानी चाहिए. इसमें प्लेटलेट्स की संख्या में तेजी से गिरावट नहीं होती है.
लेप्टोस्पायरोसिस बीमारी के लक्षण: डेंगू की तरह इस बीमारी में बुखार आता है और शरीर के सभी अंगों में दर्द रहता है. इस बीमारी में लक्षण चार से पांच दिन बाद दिखाई देते हैं. सही इलाज नहीं मिलने पर बुखार 10 से 15 दिन तक रहता है. संक्रमित व्यक्ति को तीन-चार दिनों से बुखार रहता है.
बीमारी से बचने के लिए बरतें ये सावधानी: ग्रामीण इलाकों में जिस तालाब में जानवर जाते हैं, वहां नहाने से बचें. घर में अचानक चूहे बढ़ने लगे तो सावधानी बरतें. बाहर से लाए गए प्लास्टिक के पैकेट को साफ करके इस्तेमाल करें. मानसून के दौरान तालाब में नहाने से बचें. घर के पालतू जानवरों की साफ-सफाई पर भी विशेष ध्यान दें.
ये भी पढ़ें: नूंह कुआं पूजन विवाद में आरोपी बड़ा मदरसा के दो नाबालिग छात्रों को मिली जमानत, महिलाओं पर पूजा के दौरान पथराव का आरोप