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संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में जीवाश्म ईंधनों पर प्रमुखता से किया जाएगा विचार: COP28 अध्यक्ष अल जाबेर - जीवाश्म ईंधनों पर प्रमुखता

COP28 के अध्यक्ष अल जाबेर ने कहा कि इस साल की संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में जीवाश्म ईंधन पर मजबूत विचार होगा. उन्होंने कहा कि कुछ भी मेज से बाहर नहीं है. उन्होंने COP28 के उद्घाटन पूर्ण सत्र को संबोधित किया. united nations climate talks, COP28 President Al Jaber

COP28 President Al Jaber
COP28 के अध्यक्ष अल जाबेर
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By PTI

Published : Nov 30, 2023, 10:53 PM IST

नई दिल्ली: सीओपी28 के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर ने गुरुवार को कहा कि इस साल की संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में जीवाश्म ईंधनों पर प्रमुखता से विचार किया जाएगा और कोई भी मुद्दा बातचीत के दायरे से बाहर नहीं है. सीओपी28 के पूर्ण सत्र का उद्घाटन करते हुए अल जाबेर ने कहा कि 'यह सीओपी जीवन को बेहतर बनाने के लिए और लोगों के बारे में है.' उन्होंने मिस्र के सामेह शौकरी से सीओपी28 (कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज) का प्रभार आधिकारिक रूप से संभाला है.

जीवाश्म ईंधनों- कोयला, तेल और गैस- के उपयोग में चरणबद्ध तरीके से कमी लाने के लिए वैश्विक दबाव बढ़ता जा रहा है. यह ईंधन वैश्विक जलवायु परिवर्तन में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है. यह 75 प्रतिशत से अधिक वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और सभी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के करीब 90 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है.

वहीं, जीवाश्म ईंधन का उत्पादन करने वाले देशों की ओर से इसका प्रतिरोध किया जा रहा है और कंपनियां दलील दे रही हैं कि जब तक वे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर कार्बन उत्सर्जन से निपट रही हैं, उन्हें तेल और गैस निकालना जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए. 2023 की उत्पादन अंतराल रिपोर्ट के निष्कर्षों से खुलासा हुआ कि सरकारें वैश्विक ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न बढ़ने देते हुए दोगुनी से अधिक मात्रा में जीवाश्म ईंधन का उत्पादन करने की योजना बना रही हैं.

यह रिपोर्ट 20 नवंबर को जारी की गई है. इसमें चेतावनी दी गई है कि यदि विभिन्न देशों की सरकारें अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर सहमत नहीं होती हैं और उन्हें लागू नहीं करती हैं तो विश्व करीब तीन डिग्री सेल्सियस वार्मिंग की ओर बढ़ेगा. ग्लासगो में 2021 में, सीओपी26 में देशों से कोयले का उपयोग चरणबद्ध तरीके से कम करने की अपील की गई थी.

इसे आगे बढ़ाते हुए, पिछले साल के सीओपी27 में करीब 80 विकसित और विकासशील देशों ने न केवल कोयला, बल्कि सभी जीवाश्म ईंधनों के उपयोग में चरणबद्ध तरीके से कमी लाने का समर्थन किया था. अल जाबेर ने प्रतिनधियों से अनुरोध किया कि 'मैं जानता हूं कि वार्ता के विषय में जीवाश्म ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा को शामिल करने के मजबूत विचार हैं. हमारे पास कुछ अभूतपूर्व करने की शक्ति है. मैं आपसे साथ मिलकर काम करने की अपील करता हूं.'

सरकार संचालित आबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी का नेतृत्व करने वाले सीओपी28 के अध्यक्ष ने कहा कि 'आइए जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कमी लाने पर आगे बढ़ें. जीवाश्म ईंधन की भूमिका सहित कोई भी मुद्दा बातचीत से बाहर नहीं है.' अल जाबेर ने मौजूदा ऊर्जा प्रणाली को कार्बनमुक्त बनाने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने आग्रह किया कि 'आइए साथ मिलकर काम करें, समान आधार तलाशें और आम सहमति बनाएं.'

भारत, ग्लोबल साउथ ने हानि और क्षति कोष के संचालन को लेकर समझौते पर खुशी जताई

जलवायु संकट में कम योगदान देने के बावजूद इसका खामियाजा भुगतने वाले विकासशील और गरीब देशों को मुआवजा देने के उद्देश्य से हानि और क्षति कोष के परिचालन को लेकर हुए समझौते का भारत ने गुरुवार को सकारात्मक संकेत के तौर पर स्वागत किया. इस कोष को लेकर हुए समझौते पर मिलीजुली प्रतिक्रिया आई खास कर ग्लोबल साउथ से.

संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता सीओपी28 एक सकारात्मक संकेत के साथ शुरू हुई, जिसमें देशों ने हानि और क्षति कोष के संचालन पर शुरुआती समझौता किया. सीओपी के अध्यक्ष डॉ. सुल्तान अल जाबेर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विज्ञान स्पष्ट है और अब हम सभी के लिये समय आ गया है कि जलवायु कार्रवाई के लिए पर्याप्त रूप से चौड़ी सड़क ढूंढी जाए.

बता दें कि जलवायु वार्ता 12 दिसंबर तक जारी रहेगी. इसमें जलवायु पर पड़ने वाले प्रभावों, जीवाश्म ईंधन के उपयोग, मीथेन गैस के उत्सर्जन और पृथ्वी पर उत्सर्जन में कमी लाने तथा जलवायु अनुकूलन के लिए वित्तीय सहायता के वास्ते धनी देशों से विकासशील देशों को मुआवजे पर गहन मंथन किये जाने की संभावना है.

नई दिल्ली: सीओपी28 के अध्यक्ष सुल्तान अल जाबेर ने गुरुवार को कहा कि इस साल की संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता में जीवाश्म ईंधनों पर प्रमुखता से विचार किया जाएगा और कोई भी मुद्दा बातचीत के दायरे से बाहर नहीं है. सीओपी28 के पूर्ण सत्र का उद्घाटन करते हुए अल जाबेर ने कहा कि 'यह सीओपी जीवन को बेहतर बनाने के लिए और लोगों के बारे में है.' उन्होंने मिस्र के सामेह शौकरी से सीओपी28 (कांफ्रेंस ऑफ पार्टीज) का प्रभार आधिकारिक रूप से संभाला है.

जीवाश्म ईंधनों- कोयला, तेल और गैस- के उपयोग में चरणबद्ध तरीके से कमी लाने के लिए वैश्विक दबाव बढ़ता जा रहा है. यह ईंधन वैश्विक जलवायु परिवर्तन में सबसे बड़ी भूमिका निभाता है. यह 75 प्रतिशत से अधिक वैश्विक ग्रीन हाउस गैस उत्सर्जन और सभी कार्बन डाइऑक्साइड उत्सर्जन के करीब 90 प्रतिशत के लिए जिम्मेदार है.

वहीं, जीवाश्म ईंधन का उत्पादन करने वाले देशों की ओर से इसका प्रतिरोध किया जा रहा है और कंपनियां दलील दे रही हैं कि जब तक वे अत्याधुनिक प्रौद्योगिकियों का उपयोग कर कार्बन उत्सर्जन से निपट रही हैं, उन्हें तेल और गैस निकालना जारी रखने की अनुमति दी जानी चाहिए. 2023 की उत्पादन अंतराल रिपोर्ट के निष्कर्षों से खुलासा हुआ कि सरकारें वैश्विक ग्लोबल वार्मिंग को 1.5 डिग्री सेल्सियस से अधिक न बढ़ने देते हुए दोगुनी से अधिक मात्रा में जीवाश्म ईंधन का उत्पादन करने की योजना बना रही हैं.

यह रिपोर्ट 20 नवंबर को जारी की गई है. इसमें चेतावनी दी गई है कि यदि विभिन्न देशों की सरकारें अधिक महत्वाकांक्षी लक्ष्यों पर सहमत नहीं होती हैं और उन्हें लागू नहीं करती हैं तो विश्व करीब तीन डिग्री सेल्सियस वार्मिंग की ओर बढ़ेगा. ग्लासगो में 2021 में, सीओपी26 में देशों से कोयले का उपयोग चरणबद्ध तरीके से कम करने की अपील की गई थी.

इसे आगे बढ़ाते हुए, पिछले साल के सीओपी27 में करीब 80 विकसित और विकासशील देशों ने न केवल कोयला, बल्कि सभी जीवाश्म ईंधनों के उपयोग में चरणबद्ध तरीके से कमी लाने का समर्थन किया था. अल जाबेर ने प्रतिनधियों से अनुरोध किया कि 'मैं जानता हूं कि वार्ता के विषय में जीवाश्म ईंधन और नवीकरणीय ऊर्जा को शामिल करने के मजबूत विचार हैं. हमारे पास कुछ अभूतपूर्व करने की शक्ति है. मैं आपसे साथ मिलकर काम करने की अपील करता हूं.'

सरकार संचालित आबू धाबी नेशनल ऑयल कंपनी का नेतृत्व करने वाले सीओपी28 के अध्यक्ष ने कहा कि 'आइए जीवाश्म ईंधन के उपयोग में कमी लाने पर आगे बढ़ें. जीवाश्म ईंधन की भूमिका सहित कोई भी मुद्दा बातचीत से बाहर नहीं है.' अल जाबेर ने मौजूदा ऊर्जा प्रणाली को कार्बनमुक्त बनाने के महत्व पर जोर दिया. उन्होंने आग्रह किया कि 'आइए साथ मिलकर काम करें, समान आधार तलाशें और आम सहमति बनाएं.'

भारत, ग्लोबल साउथ ने हानि और क्षति कोष के संचालन को लेकर समझौते पर खुशी जताई

जलवायु संकट में कम योगदान देने के बावजूद इसका खामियाजा भुगतने वाले विकासशील और गरीब देशों को मुआवजा देने के उद्देश्य से हानि और क्षति कोष के परिचालन को लेकर हुए समझौते का भारत ने गुरुवार को सकारात्मक संकेत के तौर पर स्वागत किया. इस कोष को लेकर हुए समझौते पर मिलीजुली प्रतिक्रिया आई खास कर ग्लोबल साउथ से.

संयुक्त राष्ट्र जलवायु वार्ता सीओपी28 एक सकारात्मक संकेत के साथ शुरू हुई, जिसमें देशों ने हानि और क्षति कोष के संचालन पर शुरुआती समझौता किया. सीओपी के अध्यक्ष डॉ. सुल्तान अल जाबेर ने इस बात पर प्रकाश डाला कि विज्ञान स्पष्ट है और अब हम सभी के लिये समय आ गया है कि जलवायु कार्रवाई के लिए पर्याप्त रूप से चौड़ी सड़क ढूंढी जाए.

बता दें कि जलवायु वार्ता 12 दिसंबर तक जारी रहेगी. इसमें जलवायु पर पड़ने वाले प्रभावों, जीवाश्म ईंधन के उपयोग, मीथेन गैस के उत्सर्जन और पृथ्वी पर उत्सर्जन में कमी लाने तथा जलवायु अनुकूलन के लिए वित्तीय सहायता के वास्ते धनी देशों से विकासशील देशों को मुआवजे पर गहन मंथन किये जाने की संभावना है.

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