हैदराबाद : 27 नवंबर को भारत के आठवें प्रधानमंत्री विश्वनाथ प्रताप सिंह की 15वीं पुण्यतिथि है. बिहार में जातिगत गणना के बाद आरक्षण की सीमा बढ़ाये जाने की घोषणा के बाद से फिर से वीपी सिंह चर्चा में हैं. कुछ राजनीतिक विश्लेषक भारत में आरक्षण की राजनीति को मंडल-2 की राजनीति (Mandal 2.0) का नाम दे रहे हैं. महज 11 महीने के कार्यकाल (2 दिसंबर 1989-10 नवंबर 1990) में बीपी सिंह ने मंडल कमीशन की अनुसंशा को आरक्षण के रूप में लागू कर भारतीय राजनीति को नया मोड़ पर लाकर खड़ा कर दिया. इसके बाद से आजतक उन पर भारतीय जनमानस को बांटने के आरोप (विभाजनकारी व्यक्ति) लग रहे हैं. आरक्षण का लाभ पाने वाले उन्हें मसीहा मानते हैं. वहीं आरक्षण की वजह से अवसरों को गंवाने वाले उन्हें खलनायक के रूप में देखते हैं.
आरक्षण पर फैसले के बाद वीपी सिंह को पूरे देश में काफी विरोध का सामना करना पड़ा था. माना जाता है कि आरक्षण पर फैसले के कारण उन्हें राजनीति रूप से बड़ा नुकसान उठाना पड़ा. वहीं आरक्षण के फैसले से जिस वर्ग को सबसे ज्यादा फायदा हुआ वे उस अनुपात में वीपी सिंह के समर्थन में नहीं आये. ये अलग बात है कि उनके पक्ष में एक नारा काफी चर्चित हुआ था 'वीपी सिंह राजा नहीं फकीर हैं, देश का तकदीर है'. वहीं भ्रष्टाचार के मसले पर वीपी सिंह काफी सख्त माने जाते हैं. उनके बारे में एक कहावत काफी प्रचलित थी-जब वे वित्त मंत्री थे, तबतक उनके घर के 3 किलोमीटर के आसपास कोई व्यापारी नहीं गुजरता था. कुछ राजनीति विश्लेषकों का कहना है कि उनके सख्त लहजे के कारण उन्हें वित्त मंत्रालय से हटाकर रक्षा मंत्रालय में भेजा गया था.
डॉ. अंबेडकर से काफी लगाव था वीपी सिंह को
बीपी सिंह सामाजिक न्याय का हिमायती थे. आरक्षण के बारे में उनके फैसले को सभी लोग जानते हैं. इसके अलावा उनके कार्यकाल के दौरान कई फैसले लिये गये थे. उनके कार्यकाल के दौरान संसद के सेंट्रल हॉल में डॉ. भीमराव अंबेडकर की तस्वीर लगाई गई और उन्हीं दिनों डॉ. अंबेडकर को भारत देने का देने का फैसला लिया गया था. बहुत कम लोगों को पता है कि भूदान आंदोलन में वे दिलों-जान से जुटे थे. इसी दौरान उन्होंने अपनी जमीन को भूदान में दे दिया. इसके बाद इनके परिवार के लोगों ने इनसे नाता तोड़ लिया था.
- 25 जून 1931 इलाहाबाद में जन्म हुआ
- उनके पिता का नाम राजा बहादुर राम गोपाल सिंह था
- 25 जून 1955 को सीता कुमारी से विवाह
- वीपी सिंह के 2 बेटे-अजेय सिंह व अभय सिंह
- 1947-48 के उदय प्रताप कॉलेज, वाराणसी छात्र संघ अध्यक्ष रहे
- 1947-48 के बीच इलाहाबाद विश्वविघालय छात्र संघ के उपाध्यक्ष रहे
- 1957 में भूदान आंदोलन में सक्रिय हुए.
- 1957 में इलाहाबाद जिले के पासना गांव में भूदान में जमीन को दान किया.
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Met DMK MP Shri TR Baalu in Delhi and received an invite from the Chief Minister of Tamil Nadu, Shri MK Stalin, to attend the unveiling ceremony of former Prime Minister Shri VP Singh's statue. pic.twitter.com/O4Qg4HuHqg
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- जमीन दान करने के बाद परिवार वालों ने नाता तोड़ लिया था.
- 1969-71 तक उत्तर प्रदेश विधान सभा के सदस्य रहे
- 1971-74 तक लोक सभा के सदस्य रहे
- अक्टूबर 1974-नवंबर 1976 तक वाणिज्य उपमंत्री रहे
- नवंबर 1976-मार्च 1977 तक केंद्रीय वाणिज्य राज्य मंत्री रहे
- 2 जनवरी-26 जुलाई 1980 तक लोकसभा के सदस्य रहे
- 21 नवंबर-1980 से 28 जून 1982 तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे
- 21 नवंबर 1980 से 14 जून 1981 तक उत्तर प्रदेश विधान परिषद् के सदस्य रहे
- 15 जून 1981 से 16 जुलाई 1983 तक उत्तर प्रदेश विधानसभा के सदस्य रहे
- 29 जनवरी 1983 को केंद्रीय वाणिज्य मंत्री बने
- 15 फरवरी 1983 को वाणिज्य मंत्री का अतिरिक्त प्रभार
- 16 जुलाई 1983 को राज्यसभा के सदस्य चुने गये
- 1 सितंबर 1984 को उत्तर प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चुने गये
- 31 दिसंबर 1984 को केंद्रीय वित्त मंत्री बने
- जनवरी 1987 में वित्त मंत्री से हटाकर उन्हें रक्षा मंत्री बना दिया गया.
- इसके कुछ समय बाद उन्होंने कांग्रेस और संसद सदस्यता दोनों छोड़ दिया
- 1988 में जनता दल के संस्थापक सदस्य बने.
- 2 दिसंबर 1989 को भारत के आठवें प्रधानमंत्री बने
- 10 नवंबर 1990 अल्पमत में होने के कारण पद छोड़ना पड़ा
- 27 नवंबर 2008 को 77 साल की आयु में उनका निधन हो गया.
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- वीवी सिंह ब्लड कैंसर से पीड़ित थे.