नालंदा : राजगीर के अंतरराष्ट्रीय नालंदा विश्वविद्यालय में 'वैशाली फेस्टिवल ऑफ़ डेमोक्रेसी' पर आयोजित दो दिवसीय सेमिनार में शामिल होने पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, बिहार के राज्यपाल राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर समेत कई देशों के प्रतिनिधियों ने हिस्सा लिया. इस मौके पर पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि नालंदा पूर्व से ही ज्ञान की धरती रही है. भारत मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी है. इसके लिए हम लोगों को देश दुनिया में प्रचार प्रसार करना चाहिए.
'वैशाली है लोकतंत्र की जननी' : वैशाली गणतंत्र के महत्व के बारे में जानकारी देते हुए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि वैशाली पुरातत्व गणतंत्र है, कई स्थानों पर लोकतंत्र और गणतंत्र की व्यवस्था है. उस व्यवस्था को बेहतर प्रकार से ऑर्गेनाइज किया गया था. उन्होंने कहा कि ''ऋग्वेद में 40, अथर्ववेद में नौ बार गणतंत्र शब्द का प्रयोग होता है. राज्यपाल ने भी सेमिनार के विषय पर विस्तार से चर्चा की है. पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने कहा कि भारत में गणतंत्र सदियों पहले आया है.''
भारत मदर ऑफ डेमोक्रेसी : पूर्व राष्ट्रपति ने कहा कि भारत ने कोई भी निर्णय जनतांत्रिक तरीके से लिए हैं. भगवान बुद्ध ने अपने अनुयायियों को 'बुद्धं शरणं गच्छामि, संघं शरणं गच्छामी' का जो ज्ञान दिया है, गणतंत्र परिलक्षित होती है. इसके बाद मीनाक्षी लेखी ने कहा भारत 'मदर ऑफ़ डेमोक्रेसी' है.
भारत में लोकतंत्र 5000 साल पुराना : वहीं असम के मुख्यमंत्री हमंत बिस्वा सरमा ने कहा कि इंडिया में लोकतंत्र की यात्रा 5 हजार साल पहले की है. लोकतंत्र की शुरूआत जो 1947 से बताते हैं उसमें सुधार की जरूरत है. भारत में लोकतंत्र विदेशियों की देन नहीं बल्कि भारत का बिहार है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भी इस बात का जिक्र करते हैं.
''इस समारोह का महत्व बिहार में हीं क्यों है? क्योंकि लोकतंत्र की जननी भारत का बिहार है. गणतंत्र का जन्म वैशाली से हुआ. इसे गौरवशाली क्षण में बदलने के लिए यह समारोह का बिहार में होना सार्थक है.''- राजेन्द्र विश्वनाथ आर्लेकर, राज्यपाल, बिहार