मेरठ: सोनभद्र जेल में बंद पूर्व मंत्री याकूब कुरैशी की मुसीबतें कम होने का नाम ही नहीं ले रही हैं. लगातार पुलिस का शिकंजा याकूब कुरैशी पर कसता ही जा रहा है. प्रदेश के माफिया की हाल ही में प्रदेश सरकार की तरफ से जारी सूची में शामिल किए गए याकूब कुरैशी को लेकर अब मेरठ पुलिस ने फिर एक बार उस पर शिकंजा कसा है. मेरठ पुलिस ने याकूब कुरैशी को गैंग लीडर बनाते हुए गैंग डी 144 के रूप में पंजीकृत कर दिया है. जो गैंग पंजीकृत किया गया है, उसमें याकूब के अलावा उसके परिवारीजनों को भी शामिल किया गया है.
पूर्व मंत्री याकूब के अलावा इस गैंग में उसके बेटे फिरोज और इमरान, पत्नी संजीदा बेगम उर्फ समजीदा, घोसीपुर निवासी फैजाब, नरहेड़ा गांव निवासी मुजीब और शास्त्रीनगर के रहने वाले मोहित त्यागी को भी इसमें शामिल किया गया है. एसएसपी रोहित सिंह सजवाण ने बताया कि मेरठ के तेलीयान सराय बहलीम निवासी याकूब कुरैशी ने अपने सहयोगियों के साथ गैंग बनाकर आर्थिक और भौतिक लाभ लेने के लिए मांस का अवैध कारोबार और अन्य जघन्य अपराध किए हैं. उन्होंने कहा कि यह सर्व विदित है कि याकूब कुरैशी इस पूरे मामले में कर्ताधर्ता रहा है. एसएसपी ने कहा कि निगरानी और नियंत्रण करने के उद्देश्य से गैंग को सूची में शामिल किया गया है.
गौरतलब है कि पूर्व मंत्री पर पिछले साल मार्च के आखिर में उस वक्त शिकंजा कसना शुरू हुआ था, जब उसकी बंद पड़ी मीट फैक्ट्री में छापे के दौरान बड़े पैमाने पर मीट की पैकिंग होती मिली थी. पूर्व मंत्री की मीट फैक्ट्री अल फहीम मीटेक्स प्राइवेट लिमिटेड पर छापेमारी में खुलासा हुआ था कि यहां अवैध तरीके से मीट की पैकिंग हो रही थी. खराब मीट को विदेशों में भेजने के लिए पैकिंग हो रही थी. तब याकूब और उसकी पत्नी, दो बेटों सहित 17 लोगों के खिलाफ खरखौदा थाने में मुकदमा दर्ज किया गया था. उसके बाद याकूब अपने परिवार के साथ फरार हो गया था.
पुलिस ने सबसे पहले याकूब का एक बेटा गिरफ्तार किया था. उसके बाद फिर दूसरे बेटे के साथ याकूब को गिरफ्तार कर लिया गया था. शुरुआत में एक साथ मेरठ की जेल में रहे तीनों बाप-बेटों को चौधरी चरण सिंह जिला जेल से पूर्वांचल की अलग-अलग जेलों में स्थानांतरित कर दिया गया था. फिरहाल, उसके दोनों बेटे जमानत पर बाहर हैं.
गौरतलब है कि 1980 के दशक में मेरठ की सड़कों पर ठेली पर रखकर याकूब नींबू बेचा करता था. लेकिन, देखते ही देखते यह शख्स बड़ा आदमी बन गया. 2002 में राजनीति में कदम रखा और बसपा से विधायक बन गया. उसके बाद फिर बीएसपी के शासनकाल में याकूब मंत्री बन गया था. यह वह दौर था, जब याकूब ने मीट के कारोबार को बड़े पैमाने पर फैला दिया था. याकूब को प्रदेश के सबसे बड़े मीट कारोबारियों में गिना जाता था.
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