लखनऊ: दो दशक पहले राजधानी में हुए कवियत्री मधुमिता शुक्ला हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि त्रिपाठी को कारागार प्रशासन ने रिहा करने का आदेश जारी कर दिया है. राज्यपाल की अनुमति पर कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने गुरुवार को इसका आदेश जारी किया है.
दरअसल, अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि ने समय पूर्व रिहाई के लिए आवेदन किया था, चूंकि दोनों की उम्र 60 वर्ष से अधिक है और 10 वर्ष की कारावास काट चुके है, लिहाजा उनके आवेदन को शासन ने स्वीकार करते हुए आदेश जारी किया है.
कारागार प्रशासन एवं सुधार विभाग ने दोनो की समय से पूर्व रिहाई के दो अलग-अलग आदेश जारी किए हैं. इसमें कहा गया है कि अमरमणि त्रिपाठी जिनकी उम्र 66 वर्ष है और मधुमणि त्रिपाठी जो कि 61 वर्ष की है दोनो ने ही अपरिहार 17 वर्ष से अधिक और 20 वर्ष से अधिक सपरिहार सजा काटी है. दोनो का ही जेल में आचरण अच्छा था. लिहाजा दोनो समय से पूर्व रिहाई के लिए उपयुक्त है. यदि दाेनों को किसी अन्य वाद में जेल में निरुद्ध रखना आवश्यक न हो तो जिला मजिस्ट्रेट गोरखपुर के विवेक के अनुसार दो जमानतें तथा उतनी ही धनराशि का एक मुचलका प्रस्तुत करने पर कारागार से मुक्त कर दिया जाए.
बता दें कि करीब 20 वर्ष पहले 9 मई 2003 को राजधानी की पेपरमिल कॉलोनी में रहने वाली 7 माह की गर्भवती कवियत्री मधुमिता शुक्ला की गोली मार कर हत्या कर दी गई थी. इस मामले की पहले जांच पुलिस ने की फिर सीबीसीआईडी की 20 दिन की जांच के बाद सरकार ने केस CBI को सौंपा था. सीबीआई ने अपनी जांच में अमरमणि त्रिपाठी और उनकी पत्नी मधुमणि को दोषी करार देते हुए अदालत में आरोप पत्र दाखिल किया था. मधुमिता की बहन ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया और केस को लखनऊ से दिल्ली या तमिलनाडु ट्रांसफर करने की अपील की. सुप्रीम कोर्ट ने वर्ष 2005 में केस उत्तराखंड ट्रांसफर कर दिया. 24 अक्टूबर 2007 को देहरादून सेशन कोर्ट ने पांचों लोगों को उम्र कैद की सजा सुनाई, अमरमणि त्रिपाठी नैनीताल हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट गए लेकिन सजा बरकरार रही थी. तब से ही वे गोरखपुर जेल में उम्रकैद की सजा काट रहे थे.
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