हल्द्वानी: विधानसभा चुनाव का डंका बजते ही जहां उम्मीदवारों की दिनचर्या में बदलाव आ गया है हर प्रत्याशी बेहतर प्रचार कर अपने सिर जीत का सेहरा बांधना चाहते हैं. पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत लालकुआं विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. ऐसे में हरीश रावत के उपर अपनी सीट बचाने के साथ-साथ पूरे प्रदेश की सीटों को जिताने की भी जिम्मेदारी है जिससे उनकी व्यस्तता बढ़ गई है. चुनावी भागदौड़ के बीच हरीश रावत की दिनचर्या कैसी है इस बारे में ईटीवी भारत ने हरीश रावत से बात की.
हरीश रावत की सुबह की शुरुआत: हरीश रावत लालकुआं विधानसभा क्षेत्र के तीन पानी स्थित अपने मकान में रहते हैं जहां से उनकी सभी चुनावी गतिविधियां संचालित हो रही हैं. हरीश रावत सुबह बिस्तर से उठने के बाद थोड़ी देर ध्यान और योग करते हैं. इसके बाद स्नान करके पूजा-पाठ कर अपने दिन की शुरुआत करते हैं. इतनी व्यस्तता के बावजूद रावत सुबह मंदिर में हनुमान चालीसा और दुर्गा चालीसा का पाठ करना नहीं भूलते.
सूप पीकर फिर लेते हैं हल्का भोजन: हरीश रावत की व्यस्तता इतनी रहती है कि उनके समर्थक सुबह से ही उनसे मिलने के लिए पहुंचने लगते हैं, जहां वो अन्य कामों के साथ-साथ समर्थकों और पार्टी के पदाधिकारियों से भी मुलाकात करते हैं. वे सुबह के नाश्ते की शुरुआत सूप पीकर करते हैं. इसके बाद वे हल्का भोजन लेकर अपने चुनाव प्रचार में निकल जाते हैं. उनकी व्यस्तता इतनी है कि वे अपना सुबह का नाश्ता भी खड़े-खड़े करते हैं, जिसके दौरान वह अपने कार्यकर्ताओं और समर्थकों से संवाद भी करते हैं.
पूरे प्रदेश की प्रचार की जिम्मेदारी: हरीश रावत ने बताया कि उनको प्रदेश की सभी 70 सीटों की जिम्मेदारी दी गई है, जहां उनको प्रचार भी करना है और वर्चुअल प्रचार को भी तैयार करते हैं. हालांकि लालकुआं विधानसभा सीट पर उनकी व्यस्तता थोड़ी अधिक है. रावत, रोजाना करीब दस से छोटी जनसभाओं के साथ लोगों के बीच जाकर जनसंपर्क अभियान भी चला रहे हैं.
जनता के प्यार और आशीर्वाद से नहीं महसूस होती थकान: हरीश रावत ने कहा कि पूरे दिन चुनाव प्रचार के बाद जनता से मिले प्यार और आशीर्वाद से उनको किसी तरह की थकान महसूस नहीं होती है और वो लगातार लोगों से डोर टू डोर कैंपेन करते हैं. यहां तक कि भारी बरसात के बीच भी हरीश रावत अपने चुनाव अभियान को जारी रखे हुए हैं. जनसंपर्क के बाद हरीश रावत ग्यारह बजे रात अपने आवास पर पहुंचते हैं और दिन भर की चुनावी चर्चा पर विचार-विमर्श के साथ-साथ पूरे प्रदेश की सीटों की चर्चा व मंथन करते हैं. ये सिलसिला रात के करीब दो बजे तक चलता है. हरीश रावत मुश्किल से 4 घंटे सोते हैं और सुबह 6 बजे उठकर फिर से चुनाव प्रचार की तैयारियों में जुट जाते हैं.
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