नई दिल्लीः दिल्ली के राऊज एवेन्यू कोर्ट के सेशंस कोर्ट ने बुधवार को राजस्थान के पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की याचिका को खारिज कर दिया. गहलोत ने याचिका में केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मामले में एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट की कोर्ट से जारी समन को चुनौती दी थी. स्पेशल जज एमके नागपाल ने ये फैसला सुनाया.
कोर्ट ने 6 दिसंबर को फैसला सुरक्षित रख लिया था. सुनवाई के दौरान अशोक गहलोत की ओर से कहा गया था कि गजेंद्र सिंह शेखावत का कहना है कि मानहानि का मामला इसलिए बनता है क्योंकि शेखावत का नाम एफआईआर में नहीं है. शेखावत का नाम चार्जशीट में भी नहीं था. उन्होंने कहा था कि गहलोत का बयान राज्य के गृह मंत्री के रूप में दिया गया था.
जो बयान गहलोत ने सदन में दिया था वह राज्य के स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप की ओर से उपलब्ध कराई गई जानकारी के मुताबिक था. ऐसे में गहलोत के खिलाफ आपराधिक मानहानि का मामला नहीं बनता है. इस दलील का शेखावत की ओर से पेश वकील ने विरोध करते हुए कहा था कि केस डायरी से छेड़छाड़ की गई थी.
बता दें, सेशंस कोर्ट ने 1 अगस्त को गहलोत के खिलाफ जारी समन पर रोक लगाने से इनकार करते हुए उनको वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए पेश होने की अनुमति दी थी. 6 जुलाई को एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल ने शेखावत की ओर से दायर आपराधिक मानहानि के मामले पर अशोक गहलोत को समन जारी किया था. एडिशनल मेट्रोपोलिटन मजिस्ट्रेट हरजीत सिंह जसपाल के इसी आदेश को गहलोत ने सेशंस कोर्ट में चुनौती दी थी.
दिल्ली पुलिस दाखिल कर चुकी है जांच रिपोर्टः दिल्ली पुलिस ने 25 मई को अपनी जांच रिपोर्ट कोर्ट में दाखिल किया था. इस मामले में गजेंद्र सिंह शेखावत ने कोर्ट में दिए अपने बयान में कहा था कि संजीवनी घोटाले से मेरा कोई संबंध नहीं है. जांच एजेंसियों ने मुझे आरोपी नहीं माना, मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाए गए हैं. शेखावत ने कहा था कि अशोक गहलोत ने छवि खराब करने के लिए मेरे खिलाफ झूठे आरोप लगाए.
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