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बिहार: पीएमसीएच में मरीजों को खाने के लाले

इन दिनों पटना पीएमसीएच अस्पताल का हाल बेहाल हो गया है. यहां दूर-दराज से आए मरीज और उनके परिजनों को खाना मुहैया नहीं कराया जाता. जिससे मरीजों को बाहर से खाना मंगवाकर खाना पड़ रहा है.

मरीजों के खाने के पड़े लाले
मरीजों के खाने के पड़े लाले
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Published : Mar 20, 2021, 2:22 PM IST

पटना: सरकारी अस्पतालों में एडमिट होने वाले मरीजों के लिए सरकार की तरफ से तीन टाइम का भोजन की सुविधा नि:शुल्क है. सुबह में नाश्ता, दोपहर और रात में खाना का प्रावधान है, लेकिन बिहार स्थित पटना के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में मरीजों को तीनों टाइम भोजन नहीं मिल पा रहा है. मरीजों को सिर्फ सुबह में एक वक्त का नाश्ता ही मिल रहा है. इस नाश्ते में 200 एमएल का 2 पाउच दूध का पैकेट, दो अंडा, दो सेब, 5 केला और 200 ग्राम के दो ब्रेड के पैकेट दिए जाते हैं.

मरीजों को नहीं दिया जा रहा खाना.

'होटल से लाना पड़ता है खाना'

पीएमसीएच अस्पताल में दोपहर के समय मरीजों के लिए चावल दाल और सब्जी और रात के समय दो रोटी और चावल दाल सब्जी का प्रबंध है. लेकिन अस्पताल में एडमिट मरीजों का कहना है कि उन्हें सिर्फ सुबह का नाश्ता मिलता है. दिन के खाने के लिए मरीजों के परिजनों को होटल से खरीदकर लाना पड़ता है.

मरीजों को नहीं दिया जा रहा खाना.
मरीजों को नहीं दिया जा रहा खाना.

'सुबह के नाश्ता के अलावा कुछ नहीं मिलता'
छपरा से आई पीएमसीएच के बीए गुजरी वार्ड में एडमिट अपनी मां का देखभाल कर रही बबीता कुमारी ने बताया कि अस्पताल में उन्हें सिर्फ सुबह का ही नाश्ता मिल रहा है. बाकी दिन के भोजन के लिए वह बाहर से व्यवस्था करती हैं. पीएमसीएच के हथवा वार्ड में अपने पति की देखभाल कर रही बबीता तिवारी ने बताया कि अस्पताल में उन्हें सिर्फ सुबह का नाश्ता मिलता है. दोपहर और रात का भोजन होने नहीं मिलता. उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में वह खाना बाहर होटल से खरीदकर लाती है. जो कहीं न कहीं मरीज के स्वास्थ्य के लिए भी हितकर नहीं है. लेकिन मरीजों को भोजन कराना भी जरूरी है, इस वजह से बाहर से मंगाना ही पड़ता है.

मरीजों के खाने के पड़े लाले
मरीजों के खाने के पड़े लाले

ये भी पढ़ें: नालंदा के युवक को ट्रेन से उतारकर किया गया क्वारंटीन, चेन्नई के लिए हुआ था रवाना

बाहर से खिचड़ी बनवाकर लाते हैं परिजन
पीएमसीएच के गुजरी वार्ड में अपनी मां को खिचड़ी खिला रहे युवक परवेज आलम ने बताया कि अस्पताल में उन्हें सिर्फ सुबह का नाश्ता मिलता है. दोपहर और रात का खाना का इंतजाम खुद करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि वह खिचड़ी बाहर से बनवाकर लाया है.

इसे भी पढ़ें: IPL की तर्ज पर बिहार में आज से BCL, कपिल देव करेंगे टूर्नामेंट का आगाज

मरीज और परिजन दोनों होते हैं परेशान
मोतिहारी से पहुंचे सुनील कुमार ने बताया कि उनके जमाई हथुआ वार्ड में एडमिट हैं. जहां अस्पताल प्रबंधन के माध्यम से सिर्फ सुबह का नाश्ता मिलता है. हालांकि नाश्ता अच्छा रहता है. वहीं इसी वार्ड में अपनी बेटी को दूध रोटी खिला रही महिला बीना देवी ने बताया कि वह अस्पताल में काफी लंबे समय से है. पहले वह राजेंद्र सर्जिकल वार्ड में एडमिट थी. जिसके उन्हें हथुआ वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. उन्होंने बताया कि दोपहर और रात का खाना अस्पताल प्रबंधन की ओर से नहीं मिलता है. ऐसे में उन्हें काफी परेशानी और दिक्कत होती है. उन्हें मजबूरी में होटल से खाना मंगाकर अपनी बीमार बच्ची को खिलाना पड़ता है.

अधिकारी ने कुछ बोलने से किया इनकार
इस पूरे मसले पर जब ईटीवी भारत की टीम ने पीएमसीएच के अधिकारियों से मामले की जानकारी लेने की कोशिश की तो अधीक्षक ने मिलने से इनकार कर दिया. इसके अलावा पीएमसीएच का कैंटीन जहां मरीजों के लिए खाना बनता है, वहां भी ईटीवी भारत की टीम को जाने से मना कर दिया गया.

मरीजों को नहीं दी जाती है जानकारी
बता दें कि पीएमसीएच में मरीजों के लिए प्रतिदिन खाना बनता है. लेकिन मरीजों को सही तरीके से जानकारी नहीं दी जाती है कि उन्हें अस्पताल में खाना चाहिए या नहीं. पीएमसीएच में एडमिट कई मरीजों को यह पता तक नहीं है कि अस्पताल में मुफ्त में खाना भी मिलता है. अधिकांश लोग सुबह का नाश्ता ही अस्पताल की तरफ से लेना पसंद करते हैं. दोपहर और रात का खाना नहीं लेते हैं. मगर जो काफी गरीब हैं, वह चाहते हैं कि अस्पताल में ही उन्हें दोपहर और रात का भोजन मिल जाए. लेकिन अस्पताल में नर्स और डॉक्टर के माध्यम से मरीजों और उनके परिजनों को सही जानकारी नहीं दी जाती है. बता दें कि वर्तमान समय में पीएमसीएच के विभिन्न वार्डों में 976 मरीज एडमिट है.

पटना: सरकारी अस्पतालों में एडमिट होने वाले मरीजों के लिए सरकार की तरफ से तीन टाइम का भोजन की सुविधा नि:शुल्क है. सुबह में नाश्ता, दोपहर और रात में खाना का प्रावधान है, लेकिन बिहार स्थित पटना के सबसे बड़े अस्पताल पीएमसीएच में मरीजों को तीनों टाइम भोजन नहीं मिल पा रहा है. मरीजों को सिर्फ सुबह में एक वक्त का नाश्ता ही मिल रहा है. इस नाश्ते में 200 एमएल का 2 पाउच दूध का पैकेट, दो अंडा, दो सेब, 5 केला और 200 ग्राम के दो ब्रेड के पैकेट दिए जाते हैं.

मरीजों को नहीं दिया जा रहा खाना.

'होटल से लाना पड़ता है खाना'

पीएमसीएच अस्पताल में दोपहर के समय मरीजों के लिए चावल दाल और सब्जी और रात के समय दो रोटी और चावल दाल सब्जी का प्रबंध है. लेकिन अस्पताल में एडमिट मरीजों का कहना है कि उन्हें सिर्फ सुबह का नाश्ता मिलता है. दिन के खाने के लिए मरीजों के परिजनों को होटल से खरीदकर लाना पड़ता है.

मरीजों को नहीं दिया जा रहा खाना.
मरीजों को नहीं दिया जा रहा खाना.

'सुबह के नाश्ता के अलावा कुछ नहीं मिलता'
छपरा से आई पीएमसीएच के बीए गुजरी वार्ड में एडमिट अपनी मां का देखभाल कर रही बबीता कुमारी ने बताया कि अस्पताल में उन्हें सिर्फ सुबह का ही नाश्ता मिल रहा है. बाकी दिन के भोजन के लिए वह बाहर से व्यवस्था करती हैं. पीएमसीएच के हथवा वार्ड में अपने पति की देखभाल कर रही बबीता तिवारी ने बताया कि अस्पताल में उन्हें सिर्फ सुबह का नाश्ता मिलता है. दोपहर और रात का भोजन होने नहीं मिलता. उन्होंने बताया कि ऐसी स्थिति में वह खाना बाहर होटल से खरीदकर लाती है. जो कहीं न कहीं मरीज के स्वास्थ्य के लिए भी हितकर नहीं है. लेकिन मरीजों को भोजन कराना भी जरूरी है, इस वजह से बाहर से मंगाना ही पड़ता है.

मरीजों के खाने के पड़े लाले
मरीजों के खाने के पड़े लाले

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बाहर से खिचड़ी बनवाकर लाते हैं परिजन
पीएमसीएच के गुजरी वार्ड में अपनी मां को खिचड़ी खिला रहे युवक परवेज आलम ने बताया कि अस्पताल में उन्हें सिर्फ सुबह का नाश्ता मिलता है. दोपहर और रात का खाना का इंतजाम खुद करना पड़ता है. उन्होंने बताया कि वह खिचड़ी बाहर से बनवाकर लाया है.

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मरीज और परिजन दोनों होते हैं परेशान
मोतिहारी से पहुंचे सुनील कुमार ने बताया कि उनके जमाई हथुआ वार्ड में एडमिट हैं. जहां अस्पताल प्रबंधन के माध्यम से सिर्फ सुबह का नाश्ता मिलता है. हालांकि नाश्ता अच्छा रहता है. वहीं इसी वार्ड में अपनी बेटी को दूध रोटी खिला रही महिला बीना देवी ने बताया कि वह अस्पताल में काफी लंबे समय से है. पहले वह राजेंद्र सर्जिकल वार्ड में एडमिट थी. जिसके उन्हें हथुआ वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया. उन्होंने बताया कि दोपहर और रात का खाना अस्पताल प्रबंधन की ओर से नहीं मिलता है. ऐसे में उन्हें काफी परेशानी और दिक्कत होती है. उन्हें मजबूरी में होटल से खाना मंगाकर अपनी बीमार बच्ची को खिलाना पड़ता है.

अधिकारी ने कुछ बोलने से किया इनकार
इस पूरे मसले पर जब ईटीवी भारत की टीम ने पीएमसीएच के अधिकारियों से मामले की जानकारी लेने की कोशिश की तो अधीक्षक ने मिलने से इनकार कर दिया. इसके अलावा पीएमसीएच का कैंटीन जहां मरीजों के लिए खाना बनता है, वहां भी ईटीवी भारत की टीम को जाने से मना कर दिया गया.

मरीजों को नहीं दी जाती है जानकारी
बता दें कि पीएमसीएच में मरीजों के लिए प्रतिदिन खाना बनता है. लेकिन मरीजों को सही तरीके से जानकारी नहीं दी जाती है कि उन्हें अस्पताल में खाना चाहिए या नहीं. पीएमसीएच में एडमिट कई मरीजों को यह पता तक नहीं है कि अस्पताल में मुफ्त में खाना भी मिलता है. अधिकांश लोग सुबह का नाश्ता ही अस्पताल की तरफ से लेना पसंद करते हैं. दोपहर और रात का खाना नहीं लेते हैं. मगर जो काफी गरीब हैं, वह चाहते हैं कि अस्पताल में ही उन्हें दोपहर और रात का भोजन मिल जाए. लेकिन अस्पताल में नर्स और डॉक्टर के माध्यम से मरीजों और उनके परिजनों को सही जानकारी नहीं दी जाती है. बता दें कि वर्तमान समय में पीएमसीएच के विभिन्न वार्डों में 976 मरीज एडमिट है.

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