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Foetus Found In Abdomen Of 11-Month-Old Boy : असम में 11 महीने के बच्चे के पेट में भ्रूण मिला

असम में डॉक्टरों की एक टीम ने 11 महीने के बच्चे के पेट से 2 किलो वजन का भ्रूण सफलतापूर्वक निकाल दिया. यह एक दुर्लभ बीमारी है जिसे फीटस-इन-फेटू (एफआईएफ) कहा जाता है.

Foetus Found In Abdomen Of 11-Month-Old Boy
प्रतिकात्मक तस्वीर
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Published : Jan 22, 2023, 8:56 AM IST

डिब्रूगढ़ (असम): एक दुर्लभ मामले में असम के डिब्रूगढ़ जिले में एक 11 महीने के बच्चे के पेट में भ्रूण मिला. जिले के अपेक्षा अस्पताल में डॉक्टरों की टीम ने सफलतापूर्वक निकाल दिया. भ्रूण का वजन दो किलो बताया गया. बच्चा सुरक्षित बताया जा रहा है. चिकित्सकीय भाषा में इसे फीटस-इन-फेटू (एफआईएफ) कहा जाता है. डॉक्टरों ने कहा कि ऐसे मामले बहुत कम होते हैं. Fetus-in-fetu एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें एक विकृत कशेरुक भ्रूण अपने जुड़वां के शरीर के भीतर संलग्न होता है.

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एक डॉक्टर ने कहा कि यह एक अत्यंत दुर्लभ स्थिति है. 11 महीने का बच्चा अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले का रहने वाला है. डॉक्टर ने कहा कि उनकी जांच के बाद हमें पता चला कि उनके पेट में भ्रूण है और इसे शनिवार को सफलतापूर्वक निकाल दिया गया. पिछले साल नवंबर में रांची के एक निजी अस्पताल में 21 दिन की नवजात बच्ची के पेट से आठ भ्रूण निकाले गए थे. रामगढ़ में 10 अक्टूबर को जन्मी नवजात बच्ची को पेट में दर्द होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

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डॉक्टरों को ट्यूमर की आशंका के बाद नवजात का सीटी स्कैन कराया गया लेकिन जांच की रिपोर्ट में नवजात के पेट में आठ भ्रूण होने का पता चला. एक नवंबर को आयुष्मान भारत योजना के तहत उसका इलाज किया गया. यह ऑपरेशन डेढ़ घंटे तक चला और पीडिया सर्जन डॉ. मोहम्मद इमरान के नेतृत्व में किया गया. डॉक्टरों की टीम में एनेस्थेटिस्ट डॉ. विकास गुप्ता, डीएनबी के छात्र डॉ. उदय और नर्सों ने भी नवजात बच्ची की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई.

पढ़ें: Vitiligo : एक प्रकार का चर्म रोग या स्किन डिसऑर्डर है

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एक डॉक्टर ने कहा कि यह एक अत्यंत दुर्लभ स्थिति है. 11 महीने का बच्चा अरुणाचल प्रदेश के चांगलांग जिले का रहने वाला है. डॉक्टर ने कहा कि उनकी जांच के बाद हमें पता चला कि उनके पेट में भ्रूण है और इसे शनिवार को सफलतापूर्वक निकाल दिया गया. पिछले साल नवंबर में रांची के एक निजी अस्पताल में 21 दिन की नवजात बच्ची के पेट से आठ भ्रूण निकाले गए थे. रामगढ़ में 10 अक्टूबर को जन्मी नवजात बच्ची को पेट में दर्द होने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था.

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डॉक्टरों को ट्यूमर की आशंका के बाद नवजात का सीटी स्कैन कराया गया लेकिन जांच की रिपोर्ट में नवजात के पेट में आठ भ्रूण होने का पता चला. एक नवंबर को आयुष्मान भारत योजना के तहत उसका इलाज किया गया. यह ऑपरेशन डेढ़ घंटे तक चला और पीडिया सर्जन डॉ. मोहम्मद इमरान के नेतृत्व में किया गया. डॉक्टरों की टीम में एनेस्थेटिस्ट डॉ. विकास गुप्ता, डीएनबी के छात्र डॉ. उदय और नर्सों ने भी नवजात बच्ची की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई.

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