हजारीबागः खुदा से प्रेम और इबादत के लिए कोई उम्र नहीं होती. रमजान माह में रोजेदार रोजा रखकर खुदा की इबादत करते हैं. इसमें वृद्ध, युवा और बच्चे सभी कोशिश करते हैं कि वह रोजा रखकर एक माह तक इबादत करें. आपको हम एक ऐसे नन्हे रोजेदार से मिलवाने जा रहे हैं जो महज 5 साल 8 महीने का है. इस रमजान में प्रत्येक दिन रोजा रखा है. वो कहता है कि ऊपर वाले ने मुझे शक्ति दी है. मैं उससे मोहब्बत करता हूं इसलिए रोजा रखा हूं.
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रमजान का महीना बेहद पाक होता है. एक महीने तक मुस्लिम समुदाय के लोग खुदा की इबादत में लीन रहते हैं. मुस्लिम समुदाय का हर एक तबका यह कोशिश करता है कि वह भी रोजा रखे. रोजा रखने में बच्चे भी पीछे नहीं रहते. हजारीबाग में बड़ी संख्या में बच्चों ने बरकत के महीने में इबादत कर रहे हैं. लेकिन इन सबसे अलग है हजारीबाग लोहसिंघना मोहल्ले में रहने वाला अरसलान. जो महज 5 साल 8 महीने का है और दूसरी क्लास में पढ़ता है. अरसलान पहले दिन से रोजा रख रहा है. उसका कहना है कि खुदा ने मुझे शक्ति दी है. उसी के रहमो-करम की वजह से वो रोजा रख पाता है. सुबह नन्हा रोजेदार सेहरी करता है और शाम में रोजा खोलता भी है.
कोई भी त्यौहार बच्चों के लिए विशेष खुशी लेकर आता है. रोजा रखने वाले बच्चे भी बेसब्री से ईद का इंतजार कर रहे हैं. 5 साल का बच्चा रोजा रखा है तो यह बात आसपास के लोगों में इस बात को लेकर उत्साह है. पड़ोसी बताते हैं कि आमतौर पर 11 साल के बच्चे ही रोजा रखते हैं. लेकिन यह बच्चा 5 साल की उम्र में रोजा रखा है. यह ऊपर वाले का ही दुआ है कि वह बिल्कुल स्वस्थ है. भीषण गर्मी में भी इस बच्चे के मनोबल में फर्क नहीं पड़ा.
अरसलान के पिता ऑटो चालक हैं. उनका भी कहना है कि उन्होंने बच्चे को रोजा रखने के लिए प्रेरित नहीं किया. बल्कि वो खुद से रोजा रखना शुरू किया, उसे मना भी नहीं किया गया है. अब कुछ दिनों में ईद भी आने वाला है. ऐसे में परिवार में बेहद खुशी है. इतनी छोटी उम्र में रोजा रखना चुनौती से कम नहीं है. गर्मी से हर कोई परेशान है और प्यास बुझाने के लिए शीतल पेय का सहारा ले रहा है. ऐसे में पांच साल का अरसलान रोजा रखकर खुदा की इबादत में लीन है. शायद इसी लिए कहा जाता है कि भक्ति में बड़ी शक्ति होती है.