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रोड्स स्कॉलरशिप 2022 के लिए पांच भारतीयों का चयन - ऋतिका मुखर्जी

2022 के लिए पांच भारतीयों का चयन प्रतिष्ठित रोड्स स्कॉलर्स के लिए किया गया है. इस स्कॉलरशिप की शुरुआत 1903 में हुई थी. ऋतिका मुखर्जी, अद्रिजा घोष, अकुमजंग पोंगेन, डॉ वरद पुंटंबेकर और डॉ ऐश्वर्या वेदुला को छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए चयनित किया गया है. यह युवा लोगों के लिए परिवर्तनकारी शैक्षिक अवसर प्रदान करने वाले स्नातकोत्तर पुरस्कार हैं.

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Published : Nov 18, 2021, 6:09 PM IST

हैदराबाद : कठिन चयन प्रक्रिया से गुजरने के बाद भारत के पांच प्रतिस्पर्धियों को प्रतिष्ठित रोड्स स्कॉलरशिप 2022 के लिए चुना गया है. लिखित परीक्षा और प्रारंभिक साक्षात्कार के बाद फाइनलिस्टों का चयन किया गया था. इसके बाद शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों का अंतिम साक्षात्कार लिया गया. ऋतिका मुखर्जी, अद्रिजा घोष, अकुमजंग पोंगेन, डॉ वरद पुंटंबेकर और डॉ ऐश्वर्या वेदुला को छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए चुना गया. उन्हें अब ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अपनी अकादमिक उड़ान को आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा.

रोड्स स्कॉलरशिप की 1903 में शुरुआत की गई थी. यह युवा लोगों के लिए परिवर्तनकारी शैक्षिक अवसर प्रदान करने वाले स्नातकोत्तर पुरस्कार हैं.

ऋतिका मुखर्जी : दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस में बीएससी (ऑनर्स) अंतिम वर्ष की छात्रा हैं. उन्होंने जूलॉजी में विशेषज्ञता हासिल की है. वह नींद और जागने की तंत्रिका पर काम कर रही हैं. वर्तमान में वह कैलिफ़ोर्निया में अध्ययनरत हैं. उनकी रुचि ऑक्सफोर्ड में जानवरों और मनुष्यों में नींद के सेलुलर और आणविक कामकाज की खोज में है.

अद्रिजा घोष : कोलकाता की रहने वाली अद्रिजा ने पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज से बीए की डिग्री प्राप्त की है. उन्होने एलएलबी (ऑनर्स) भी पूरा किया है. भारत में मृत्युदंड के मामलों में सजा पर शोध करते हुए, उन्होंने कानूनी सहायता क्लिनिक परिचय में एक स्वयंसेवक के रूप में भी काम किया है. उनका लक्ष्य ऑक्सफोर्ड में बीसीएल की डिग्री के लिए पढ़ना और रणनीतिक जनहित याचिका में अपना करियर बनाना है.

अकुमजंग पोंगेन : दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में दर्शनशास्त्र के अंतिम वर्ष के छात्र हैं. वह कोहिमा से हैं. नागालैंड के रहने वाले भारत के पहले रोड्स स्कॉलर हैं. धर्मशास्त्र और दर्शनशास्त्र में उनकी विशेष रुचि है. अकुमजंग गाने के साथ-साथ पियानो और गिटार भी बजाते हैं. क्लासिक गानों में भी वह रुचि रखते हैं. वह समाज के लिए दर्शन को और अधिक सुलभ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, खासकर प्रमुख ग्रंथों का अपनी मातृभाषा में अनुवाद करके.

डॉ वरद पुंतंबेकर : मूल रूप से भोपाल के रहने वाले वरद ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है और वर्तमान में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में स्थित सोसाइटी फॉर एजुकेशन एक्शन एंड रिसर्च इन कम्युनिटी हेल्थ (सर्च) में पब्लिक हेल्थ फेलो हैं. उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में समस्या-समाधान पसंद है और वे सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं. वरद ने जन्मजात हृदय दोषों को स्क्रीन करने में मदद करने के लिए एक अभिनव उपकरण विकसित करने में मदद की है और ऑक्सफोर्ड में मातृ और शिशु कल्याण पर शोध करने के इच्छुक हैं.

डॉ ऐश्वर्या वेदुला : वह हैदराबाद की रहने वाली हैं. उस्मानिया मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री पूरी कर रही हैं. ऑक्सफोर्ड में, ऐश्वर्या अंततः एक चिकित्सक-न्यूरोसाइंटिस्ट बनने के उद्देश्य से नैदानिक ​​और आणविक तंत्रिका विज्ञान में आगे के शोध को आगे बढ़ाने में रुचि रखती हैं. उन्होंने सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद से इंटर्नशिप की है और ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के माता-पिता के निदान के अनुभवों और जानकारी की जरूरतों का अध्ययन किया है. वह मरीजों को शिक्षित करने और टीकाकरण को ट्रैक करने के लिए कोविड -19 महामारी की अग्रिम पंक्ति में रही हैं.

हैदराबाद : कठिन चयन प्रक्रिया से गुजरने के बाद भारत के पांच प्रतिस्पर्धियों को प्रतिष्ठित रोड्स स्कॉलरशिप 2022 के लिए चुना गया है. लिखित परीक्षा और प्रारंभिक साक्षात्कार के बाद फाइनलिस्टों का चयन किया गया था. इसके बाद शॉर्टलिस्ट किए गए उम्मीदवारों का अंतिम साक्षात्कार लिया गया. ऋतिका मुखर्जी, अद्रिजा घोष, अकुमजंग पोंगेन, डॉ वरद पुंटंबेकर और डॉ ऐश्वर्या वेदुला को छात्रवृत्ति प्राप्त करने के लिए चुना गया. उन्हें अब ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में अपनी अकादमिक उड़ान को आगे बढ़ाने का अवसर मिलेगा.

रोड्स स्कॉलरशिप की 1903 में शुरुआत की गई थी. यह युवा लोगों के लिए परिवर्तनकारी शैक्षिक अवसर प्रदान करने वाले स्नातकोत्तर पुरस्कार हैं.

ऋतिका मुखर्जी : दिल्ली विश्वविद्यालय के मिरांडा हाउस में बीएससी (ऑनर्स) अंतिम वर्ष की छात्रा हैं. उन्होंने जूलॉजी में विशेषज्ञता हासिल की है. वह नींद और जागने की तंत्रिका पर काम कर रही हैं. वर्तमान में वह कैलिफ़ोर्निया में अध्ययनरत हैं. उनकी रुचि ऑक्सफोर्ड में जानवरों और मनुष्यों में नींद के सेलुलर और आणविक कामकाज की खोज में है.

अद्रिजा घोष : कोलकाता की रहने वाली अद्रिजा ने पश्चिम बंगाल नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ ज्यूरिडिकल साइंसेज से बीए की डिग्री प्राप्त की है. उन्होने एलएलबी (ऑनर्स) भी पूरा किया है. भारत में मृत्युदंड के मामलों में सजा पर शोध करते हुए, उन्होंने कानूनी सहायता क्लिनिक परिचय में एक स्वयंसेवक के रूप में भी काम किया है. उनका लक्ष्य ऑक्सफोर्ड में बीसीएल की डिग्री के लिए पढ़ना और रणनीतिक जनहित याचिका में अपना करियर बनाना है.

अकुमजंग पोंगेन : दिल्ली के सेंट स्टीफंस कॉलेज में दर्शनशास्त्र के अंतिम वर्ष के छात्र हैं. वह कोहिमा से हैं. नागालैंड के रहने वाले भारत के पहले रोड्स स्कॉलर हैं. धर्मशास्त्र और दर्शनशास्त्र में उनकी विशेष रुचि है. अकुमजंग गाने के साथ-साथ पियानो और गिटार भी बजाते हैं. क्लासिक गानों में भी वह रुचि रखते हैं. वह समाज के लिए दर्शन को और अधिक सुलभ बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं, खासकर प्रमुख ग्रंथों का अपनी मातृभाषा में अनुवाद करके.

डॉ वरद पुंतंबेकर : मूल रूप से भोपाल के रहने वाले वरद ने अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान, नई दिल्ली से एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की है और वर्तमान में महाराष्ट्र के गढ़चिरौली में स्थित सोसाइटी फॉर एजुकेशन एक्शन एंड रिसर्च इन कम्युनिटी हेल्थ (सर्च) में पब्लिक हेल्थ फेलो हैं. उन्हें सार्वजनिक स्वास्थ्य के क्षेत्र में समस्या-समाधान पसंद है और वे सभी के लिए गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच में सुधार के लिए प्रतिबद्ध हैं. वरद ने जन्मजात हृदय दोषों को स्क्रीन करने में मदद करने के लिए एक अभिनव उपकरण विकसित करने में मदद की है और ऑक्सफोर्ड में मातृ और शिशु कल्याण पर शोध करने के इच्छुक हैं.

डॉ ऐश्वर्या वेदुला : वह हैदराबाद की रहने वाली हैं. उस्मानिया मेडिकल कॉलेज से एमबीबीएस की डिग्री पूरी कर रही हैं. ऑक्सफोर्ड में, ऐश्वर्या अंततः एक चिकित्सक-न्यूरोसाइंटिस्ट बनने के उद्देश्य से नैदानिक ​​और आणविक तंत्रिका विज्ञान में आगे के शोध को आगे बढ़ाने में रुचि रखती हैं. उन्होंने सेंटर फॉर सेल्युलर एंड मॉलिक्यूलर बायोलॉजी, हैदराबाद से इंटर्नशिप की है और ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों के माता-पिता के निदान के अनुभवों और जानकारी की जरूरतों का अध्ययन किया है. वह मरीजों को शिक्षित करने और टीकाकरण को ट्रैक करने के लिए कोविड -19 महामारी की अग्रिम पंक्ति में रही हैं.

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