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जेल में अब नहीं लगेगी अपराध की पाठशाला, अलग रहेंगे फर्स्ट टाइमर

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Published : Mar 24, 2022, 10:34 PM IST

तिहाड़ समेत दिल्ली के अन्य जेल प्रशासनों ने अहम कदम उठाते हुए पहली बार जेल आ रहे विचाराधीन कैदियों को पेशेवर अपराधियो से रखने का फैसला (seperate criminal part in delhi jail) किया है.

अपराध की पाठशाला
अपराध की पाठशाला

नई दिल्ली : तिहाड़ सहित दिल्ली की अन्य जेलों में अब अपराध की पाठशाला नहीं लगेगी. जेल प्रशासन ने इसके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है. अब पहली बार अपराध कर जेल आने वाले विचाराधीन कैदियों को पेशेवर अपराधियों से अलग रखा (seperate criminal part in delhi jail) जाएगा. इसके लिए तिहाड़ और मंडोली में एक-एक जेल को आरक्षित रखा गया है. उस आरक्षित जेलों में कोई भी ऐसा कैदी नहीं रखा जाएगा, जो पहले भी अपराध कर चुका हो.

जानकारी के अनुसार, तिहाड़ जेल को अपराध की पाठशाला के तौर पर देखा जाता है. यहां पर जब कोई पहली बार अपराध करने वाले को लाया जाता है, तो कुख्यात बदमाश उसे पेशेवर अपराधी बनाने की कोशिश करते हैं. बदमाशों द्वारा उसे सिखाया जाता है कि किस तरह वह एक बड़ा अपराधी बन सकता है. कैसे वह वाहन चोरी, शराब तस्करी, हथियारों की तस्करी, लूट, डकैती आदि अपराधों को अंजाम दे सकता है. इसके अलावा कुछ गैंग ऐसे युवाओं को अपने साथ शामिल कर लेते हैं. उनकी मदद करने के नाम पर उन्हें अपने गैंग में शामिल करते हैं और बाहर निकलने पर उनसे अपराध करवाते हैं. ऐसे हजारों उदाहरण पुलिस के सामने आते रहे हैं.

ऐसे मामलों को रोकने के मकसद से तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल ने महत्वपूर्ण फैसला किया है. उन्होंने अब पहली बार अपराध कर जेल आने वाले कैदियों के लिए अलग जेल की व्यवस्था की (first timer undertrial prisoners kept separate in delhi jails) गई है. इसके लिए तिहाड़ जेल नंबर-4 और मंडोली की जेल नंबर-12 को आरक्षित कर दिया गया है. इन दोनों जेल में केवल ऐसे कैदियों को रखा जाएगा जो पहली बार अपराध करके पहुंचे हैं. इस बात को भी सुनिश्चित किया जाएगा कि यहां जाने के लिए कोई कैदी झूठ न बोले. इसलिए जेल आने पर कैदी का फिंगरप्रिंट लिया जाएगा. इससे पता चलेगा कि वह पहले भी जेल आया है या नहीं. इसके बाद ही उसे इन दोनों जेलों में भेजा जाएगा.

जेल के सूत्रों ने बताया कि इस पहल से दो महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे. सर्वप्रथम, पहली बार अपराध कर जेल लाए गए कैदी पेशेवर अपराधी बनने से बच सकेंगे. वह बुरी संगत से दूर रहेंगे तो उनके सुधरने की संभावना ज्यादा रहेगी. दूसरा जेल में बंद कुख्यात कैदियों की प्रताड़ना और जबरन उगाही का शिकार होने से उन्हें बचाया जा सकेगा. जेल प्रशासन को उम्मीद है कि इस पहल से भविष्य में अपराध भी कम होंगे.

पढ़ें : जेल में बंद हत्या के आरोपी ने IIT-JAM में हासिल किया 54वां स्थान

जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक फर्स्ट टाइमर कैदियों को तिहाड़ और मंडोली जेल के साथ-साथ रोहिणी जेल में भी रखा जाता था. लेकिन 24 मार्च को यह तय कर दिया गया कि अब से जो भी फर्स्ट टाइमर अंडरट्रायल कैदी (first timer undertrial prisoners) जेल में आएंगे उन्हें निर्धारित किये गए दो ही जेलों में रखा जाएगा, जिससे कि वह है हेबीचुअल क्रिमिनल के संपर्क में ना आ सकें.

द्वारका, साकेत, रोहिणी, तीस हजारी और पटियाला हाउस कोर्ट के अंतर्गत आने वाले अंडर ट्रायल कैदियों को तिहाड़ के जेल नंबर 4 में ही भेजा जाएगा. जबकि कड़कड़डूमा कोर्ट के अंतर्गत आने वाले अंडर ट्रायल कैदियों को मंडोली के जेल नंबर 12 में रखा जाएगा. जो फर्स्ट टाइमर कैदी जेल में लाए जाएंगे उनके रिकॉर्ड की जांच फिंगरप्रिंट के जरिए होगी, जिससे यह पता चल सके कि वह वास्तव में फर्स्ट टाइमर अंडर ट्रायल कैदी है या नहीं. क्या वह पहले किसी दूसरे नाम से बंद तो नहीं हुआ था. तिहाड़ डायरेक्टर जनरल संदीप गोयल ने बताया कि इस योजना से बेहतर रिजल्ट आ सकता है. 24 मार्च को प्रिंसिपल सेक्रेट्री होम ने भी तिहाड़ के जेल नंबर 4 में इस तरह की तैयारियों का जायजा लिया था. वह तिहाड़ जेल हेडक्वार्टर के अलावा जेल नंबर 4, 6 और 2 में भी गए थे.

नई दिल्ली : तिहाड़ सहित दिल्ली की अन्य जेलों में अब अपराध की पाठशाला नहीं लगेगी. जेल प्रशासन ने इसके लिए महत्वपूर्ण कदम उठाया है. अब पहली बार अपराध कर जेल आने वाले विचाराधीन कैदियों को पेशेवर अपराधियों से अलग रखा (seperate criminal part in delhi jail) जाएगा. इसके लिए तिहाड़ और मंडोली में एक-एक जेल को आरक्षित रखा गया है. उस आरक्षित जेलों में कोई भी ऐसा कैदी नहीं रखा जाएगा, जो पहले भी अपराध कर चुका हो.

जानकारी के अनुसार, तिहाड़ जेल को अपराध की पाठशाला के तौर पर देखा जाता है. यहां पर जब कोई पहली बार अपराध करने वाले को लाया जाता है, तो कुख्यात बदमाश उसे पेशेवर अपराधी बनाने की कोशिश करते हैं. बदमाशों द्वारा उसे सिखाया जाता है कि किस तरह वह एक बड़ा अपराधी बन सकता है. कैसे वह वाहन चोरी, शराब तस्करी, हथियारों की तस्करी, लूट, डकैती आदि अपराधों को अंजाम दे सकता है. इसके अलावा कुछ गैंग ऐसे युवाओं को अपने साथ शामिल कर लेते हैं. उनकी मदद करने के नाम पर उन्हें अपने गैंग में शामिल करते हैं और बाहर निकलने पर उनसे अपराध करवाते हैं. ऐसे हजारों उदाहरण पुलिस के सामने आते रहे हैं.

ऐसे मामलों को रोकने के मकसद से तिहाड़ जेल के डीजी संदीप गोयल ने महत्वपूर्ण फैसला किया है. उन्होंने अब पहली बार अपराध कर जेल आने वाले कैदियों के लिए अलग जेल की व्यवस्था की (first timer undertrial prisoners kept separate in delhi jails) गई है. इसके लिए तिहाड़ जेल नंबर-4 और मंडोली की जेल नंबर-12 को आरक्षित कर दिया गया है. इन दोनों जेल में केवल ऐसे कैदियों को रखा जाएगा जो पहली बार अपराध करके पहुंचे हैं. इस बात को भी सुनिश्चित किया जाएगा कि यहां जाने के लिए कोई कैदी झूठ न बोले. इसलिए जेल आने पर कैदी का फिंगरप्रिंट लिया जाएगा. इससे पता चलेगा कि वह पहले भी जेल आया है या नहीं. इसके बाद ही उसे इन दोनों जेलों में भेजा जाएगा.

जेल के सूत्रों ने बताया कि इस पहल से दो महत्वपूर्ण लाभ मिलेंगे. सर्वप्रथम, पहली बार अपराध कर जेल लाए गए कैदी पेशेवर अपराधी बनने से बच सकेंगे. वह बुरी संगत से दूर रहेंगे तो उनके सुधरने की संभावना ज्यादा रहेगी. दूसरा जेल में बंद कुख्यात कैदियों की प्रताड़ना और जबरन उगाही का शिकार होने से उन्हें बचाया जा सकेगा. जेल प्रशासन को उम्मीद है कि इस पहल से भविष्य में अपराध भी कम होंगे.

पढ़ें : जेल में बंद हत्या के आरोपी ने IIT-JAM में हासिल किया 54वां स्थान

जेल प्रशासन से मिली जानकारी के अनुसार, अब तक फर्स्ट टाइमर कैदियों को तिहाड़ और मंडोली जेल के साथ-साथ रोहिणी जेल में भी रखा जाता था. लेकिन 24 मार्च को यह तय कर दिया गया कि अब से जो भी फर्स्ट टाइमर अंडरट्रायल कैदी (first timer undertrial prisoners) जेल में आएंगे उन्हें निर्धारित किये गए दो ही जेलों में रखा जाएगा, जिससे कि वह है हेबीचुअल क्रिमिनल के संपर्क में ना आ सकें.

द्वारका, साकेत, रोहिणी, तीस हजारी और पटियाला हाउस कोर्ट के अंतर्गत आने वाले अंडर ट्रायल कैदियों को तिहाड़ के जेल नंबर 4 में ही भेजा जाएगा. जबकि कड़कड़डूमा कोर्ट के अंतर्गत आने वाले अंडर ट्रायल कैदियों को मंडोली के जेल नंबर 12 में रखा जाएगा. जो फर्स्ट टाइमर कैदी जेल में लाए जाएंगे उनके रिकॉर्ड की जांच फिंगरप्रिंट के जरिए होगी, जिससे यह पता चल सके कि वह वास्तव में फर्स्ट टाइमर अंडर ट्रायल कैदी है या नहीं. क्या वह पहले किसी दूसरे नाम से बंद तो नहीं हुआ था. तिहाड़ डायरेक्टर जनरल संदीप गोयल ने बताया कि इस योजना से बेहतर रिजल्ट आ सकता है. 24 मार्च को प्रिंसिपल सेक्रेट्री होम ने भी तिहाड़ के जेल नंबर 4 में इस तरह की तैयारियों का जायजा लिया था. वह तिहाड़ जेल हेडक्वार्टर के अलावा जेल नंबर 4, 6 और 2 में भी गए थे.

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