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पंजाब के लोगों की बेहतरी के लिए मैं किसी भी चीज की कुर्बानी दूंगा : सिद्धू - कांग्रेस की पंजाब इकाई

कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद नवजोत सिंह सिद्धू का पहला बयान आया है. बयान में सिद्धू ने कहा है कि मैं न हाईकमान को गुमराह कर सकता, न गुमराह होने दे सकता. इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ने के लिए, पंजाब के लोगों की ज़िन्दगी को बेहतर करने के लिए किसी भी चीज की कुर्बानी मैं दे दूंगा.

नवजोत सिंह सिद्धू
नवजोत सिंह सिद्धू
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Published : Sep 29, 2021, 11:31 AM IST

Updated : Sep 29, 2021, 7:41 PM IST

चंडीगढ़ : कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष के पद से अचानक इस्तीफा देने के एक दिन बाद चुप्पी तोड़ते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने पुलिस महानिदेशक, राज्य के महाधिवक्ता और 'दागी' नेताओं की नियुक्तियों पर बुधवार को सवाल उठाए.

उन्होंने कहा कि वह किसी भी तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं लेकिन अपने सिद्धांतों पर हमेशा डटे रहेंगे.

सिद्धू बोले-मेरी आज तक किसी से कोई निजी लड़ाई नहीं रही.

सिद्धू ने कहा है कि मैं न हाईकमान को गुमराह कर सकता, न गुमराह होने दे सकता. इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ने के लिए, पंजाब के लोगों की ज़िन्दगी को बेहतर करने के लिए किसी भी चीज की कुर्बानी मैं दूंगा. इसके लिए मुझे कुछ सोचने की ज़रूरत नहीं है. साथ ही सिद्धू ने कहा कि मेरा 17 साल का राजनीतिक सफर एक मकसद के लिए रहा है. उन्होंने कहा कि पंजाब के लोगों की ज़िन्दगी को बेहतर करना और मुद्दों की राजनीति पर स्टैंड लेकर खड़ा रहना यही मेरा धर्म है. मेरी आज तक किसी से कोई निजी लड़ाई नहीं रही.

सिद्धू ने बुधवार को ट्विटर पर चार मिनट का एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, 'हक़-सच की लड़ाई आखिरी दम तक लड़ता रहूंगा ….'

सिद्धू ने वीडियो में कहा, ' मेरे प्यारे पंजाबियों, मेरे 17 साल के राजनीतिक सफर का उद्देश्य केवल....पंजाब के लोगों के जीवन को बेहतर बनाना, बदलाव लाना और मुद्दों की राजनीति पर आवाज उठाना रहा है. यही मेरा 'धर्म' और मेरा कर्तव्य रहा है. आज तक मेरी किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, न ही मैंने कोई व्यक्तिगत लड़ाई लड़ी है. मेरी लड़ाई मुद्दों और पंजाब समर्थक एजेंडे पर रही है, जिसके लिए मैं लंबे समय से आवाज उठाता रहा हूं.'

सिद्धू ने कहा, ' मेरे पिता ने एक बार मुझसे कहा था कि जब कभी भी भ्रम हो, हमेशा नैतिक मूल्यों से समझौता किए बिना सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए.'

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को पंजाब पुलिस के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. सहोता का स्पष्ट तौर पर जिक्र करते हुए, सिद्धू ने कहा, ' आज मैंने देखा कि उन मुद्दों पर समझौता हो रहा है.'

सहोता फरीदकोट में गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी की घटनाओं की जांच के लिए तत्कालीन अकाली सरकार द्वारा 2015 में गठित एक विशेष जांच दल के प्रमुख थे. सिद्धू ने कहा, ' जिन्होंने छह साल पहले बादल को क्लीन चिट दी थी...ऐसे लोगों को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी दी गई है.....'

सिद्धू ने एपीएस देओल की राज्य के नए महाधिवक्ता के रूप में नियुक्ति पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ' मेरी आत्मा कांप उठती है, जब मैं देखता हूं कि जिन लोगों ने 'पक्की जमानत' दिलाई है, वे महाधिवक्ता बनाए गए हैं. यह क्या एजेंडा है ?'

ये भी पढ़ें - विवादाें से सिद्धू का है पुराना नाता, डालें एक नजर राजनीतिक करियर पर

देओल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के वकील रह चुके हैं. वह पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी का उनके खिलाफ कई मामलों में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

सिद्धू ने कहा, ' जो लोग मुद्दों की बात करते थे, वे मुद्दे अब कहां हैं?... क्या हम इन माध्यमों से अपनी मंजिल तक पहुंचेंगे. 'गुरु साहिब' के न्याय के लिए लड़ने और पंजाब के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए.....मैं कोई भी बलिदान दूंगा लेकिन हमेशा सिद्धांतों पर डटा रहूंगा.'

उन्होंने कहा कि 'दागी' नेताओं और अधिकारियों वाली व्यवस्था हटाए जाने के बाद वापस लाई जा रही है और ' मैं इसका विरोध करता हूं.'

उनका इशारा चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में राणा गुरजीत सिंह को शामिल किए जाने की ओर था. सिंह को उनके अतीत को लेकर कुछ पार्टी नेताओं द्वारा विरोध जताए जाने के बावजूद मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल से सिंह को रेत खनन संबंधी निविदाओं की नीलामी में कथित अनियमितताओं के आरोपों के चलते इस्तीफा देना पड़ा था.

सिद्दू ने कहा कि न तो वह पार्टी आलाकमान को गुमराह कर सकते हैं और न किसी को ऐसा करने देंगे. उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा सही और सच के लिए आवाज उठाई है.

सिद्दू को अमरिंदर सिंह के साथ टकराव के बीच 18 जुलाई को कांग्रेस की पंजाब इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. अमरिंदर सिंह ने दस दिन पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

बता दें कि सिद्धू ने मंगलवार को कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. वहीं सिद्धू के इस्तीफे के कुछ ही घंटे बाद चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में 18 सदस्यीय नये मंत्रिमंडल में शामिल रजिया सुल्ताना ने भी पूर्व क्रिकेटर के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए अपना इस्तीफा दे दिया था.इसके अलावा पंजाब की कांग्रेस इकाई के महासचिव योगिन्दर ढींगरा और कोषाध्यक्ष गुलजार इंदर चहल ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था.

राज्य में नयी मंत्रिपरिषद के सदस्यों को विभागों के आवंटन के तुरंत बाद सिद्धू (57) ने पद छोड़ दिया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में सिद्धू ने कहा है कि वह पार्टी की सेवा करना जारी रखेंगे. सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के साथ नेतृत्व को लेकर खींचतान के बीच इसी साल जुलाई में पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष का पद संभाला था. अमरिंदर सिंह ने दस दिन पहले पार्टी आलाकमान पर खुद को अपमानित करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

चंडीगढ़ : कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष के पद से अचानक इस्तीफा देने के एक दिन बाद चुप्पी तोड़ते हुए नवजोत सिंह सिद्धू ने पुलिस महानिदेशक, राज्य के महाधिवक्ता और 'दागी' नेताओं की नियुक्तियों पर बुधवार को सवाल उठाए.

उन्होंने कहा कि वह किसी भी तरह की कुर्बानी देने के लिए तैयार हैं लेकिन अपने सिद्धांतों पर हमेशा डटे रहेंगे.

सिद्धू बोले-मेरी आज तक किसी से कोई निजी लड़ाई नहीं रही.

सिद्धू ने कहा है कि मैं न हाईकमान को गुमराह कर सकता, न गुमराह होने दे सकता. इंसाफ के लिए लड़ाई लड़ने के लिए, पंजाब के लोगों की ज़िन्दगी को बेहतर करने के लिए किसी भी चीज की कुर्बानी मैं दूंगा. इसके लिए मुझे कुछ सोचने की ज़रूरत नहीं है. साथ ही सिद्धू ने कहा कि मेरा 17 साल का राजनीतिक सफर एक मकसद के लिए रहा है. उन्होंने कहा कि पंजाब के लोगों की ज़िन्दगी को बेहतर करना और मुद्दों की राजनीति पर स्टैंड लेकर खड़ा रहना यही मेरा धर्म है. मेरी आज तक किसी से कोई निजी लड़ाई नहीं रही.

सिद्धू ने बुधवार को ट्विटर पर चार मिनट का एक वीडियो साझा करते हुए लिखा, 'हक़-सच की लड़ाई आखिरी दम तक लड़ता रहूंगा ….'

सिद्धू ने वीडियो में कहा, ' मेरे प्यारे पंजाबियों, मेरे 17 साल के राजनीतिक सफर का उद्देश्य केवल....पंजाब के लोगों के जीवन को बेहतर बनाना, बदलाव लाना और मुद्दों की राजनीति पर आवाज उठाना रहा है. यही मेरा 'धर्म' और मेरा कर्तव्य रहा है. आज तक मेरी किसी से कोई व्यक्तिगत दुश्मनी नहीं है, न ही मैंने कोई व्यक्तिगत लड़ाई लड़ी है. मेरी लड़ाई मुद्दों और पंजाब समर्थक एजेंडे पर रही है, जिसके लिए मैं लंबे समय से आवाज उठाता रहा हूं.'

सिद्धू ने कहा, ' मेरे पिता ने एक बार मुझसे कहा था कि जब कभी भी भ्रम हो, हमेशा नैतिक मूल्यों से समझौता किए बिना सत्य के मार्ग पर चलना चाहिए.'

वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी इकबाल प्रीत सिंह सहोता को पंजाब पुलिस के महानिदेशक का अतिरिक्त प्रभार दिया गया है. सहोता का स्पष्ट तौर पर जिक्र करते हुए, सिद्धू ने कहा, ' आज मैंने देखा कि उन मुद्दों पर समझौता हो रहा है.'

सहोता फरीदकोट में गुरु ग्रन्थ साहिब की बेअदबी की घटनाओं की जांच के लिए तत्कालीन अकाली सरकार द्वारा 2015 में गठित एक विशेष जांच दल के प्रमुख थे. सिद्धू ने कहा, ' जिन्होंने छह साल पहले बादल को क्लीन चिट दी थी...ऐसे लोगों को न्याय दिलाने की जिम्मेदारी दी गई है.....'

सिद्धू ने एपीएस देओल की राज्य के नए महाधिवक्ता के रूप में नियुक्ति पर भी सवाल उठाया. उन्होंने कहा, ' मेरी आत्मा कांप उठती है, जब मैं देखता हूं कि जिन लोगों ने 'पक्की जमानत' दिलाई है, वे महाधिवक्ता बनाए गए हैं. यह क्या एजेंडा है ?'

ये भी पढ़ें - विवादाें से सिद्धू का है पुराना नाता, डालें एक नजर राजनीतिक करियर पर

देओल पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय के वरिष्ठ अधिवक्ता हैं और पंजाब के पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के वकील रह चुके हैं. वह पूर्व शीर्ष पुलिस अधिकारी का उनके खिलाफ कई मामलों में प्रतिनिधित्व कर रहे हैं.

सिद्धू ने कहा, ' जो लोग मुद्दों की बात करते थे, वे मुद्दे अब कहां हैं?... क्या हम इन माध्यमों से अपनी मंजिल तक पहुंचेंगे. 'गुरु साहिब' के न्याय के लिए लड़ने और पंजाब के लोगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए.....मैं कोई भी बलिदान दूंगा लेकिन हमेशा सिद्धांतों पर डटा रहूंगा.'

उन्होंने कहा कि 'दागी' नेताओं और अधिकारियों वाली व्यवस्था हटाए जाने के बाद वापस लाई जा रही है और ' मैं इसका विरोध करता हूं.'

उनका इशारा चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व वाले मंत्रिमंडल में राणा गुरजीत सिंह को शामिल किए जाने की ओर था. सिंह को उनके अतीत को लेकर कुछ पार्टी नेताओं द्वारा विरोध जताए जाने के बावजूद मंत्रिमंडल में शामिल किया गया. अमरिंदर सिंह के मंत्रिमंडल से सिंह को रेत खनन संबंधी निविदाओं की नीलामी में कथित अनियमितताओं के आरोपों के चलते इस्तीफा देना पड़ा था.

सिद्दू ने कहा कि न तो वह पार्टी आलाकमान को गुमराह कर सकते हैं और न किसी को ऐसा करने देंगे. उन्होंने कहा कि उन्होंने हमेशा सही और सच के लिए आवाज उठाई है.

सिद्दू को अमरिंदर सिंह के साथ टकराव के बीच 18 जुलाई को कांग्रेस की पंजाब इकाई का अध्यक्ष नियुक्त किया गया था. अमरिंदर सिंह ने दस दिन पहले मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

बता दें कि सिद्धू ने मंगलवार को कांग्रेस की पंजाब इकाई के अध्यक्ष पद से इस्तीफा दे दिया था. वहीं सिद्धू के इस्तीफे के कुछ ही घंटे बाद चरणजीत सिंह चन्नी के नेतृत्व में 18 सदस्यीय नये मंत्रिमंडल में शामिल रजिया सुल्ताना ने भी पूर्व क्रिकेटर के साथ एकजुटता व्यक्त करते हुए अपना इस्तीफा दे दिया था.इसके अलावा पंजाब की कांग्रेस इकाई के महासचिव योगिन्दर ढींगरा और कोषाध्यक्ष गुलजार इंदर चहल ने भी अपने पदों से इस्तीफा दे दिया था.

राज्य में नयी मंत्रिपरिषद के सदस्यों को विभागों के आवंटन के तुरंत बाद सिद्धू (57) ने पद छोड़ दिया. कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे पत्र में सिद्धू ने कहा है कि वह पार्टी की सेवा करना जारी रखेंगे. सिद्धू ने अमरिंदर सिंह के साथ नेतृत्व को लेकर खींचतान के बीच इसी साल जुलाई में पार्टी की प्रदेश इकाई के अध्यक्ष का पद संभाला था. अमरिंदर सिंह ने दस दिन पहले पार्टी आलाकमान पर खुद को अपमानित करने का आरोप लगाते हुए मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया था.

Last Updated : Sep 29, 2021, 7:41 PM IST
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