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पश्चिम बंगाल: पहले चरण के चुनाव के बाद भी कांग्रेस नेताओं में तालमेल नहीं

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Published : Mar 28, 2021, 12:37 PM IST

केरल में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी वामदलों पर हमला करते रहे हैं. कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में 'न्याय' को प्रमुखता से स्थान दिया है. इसके तहत आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को 5,700 रुपए प्रति महीना समर्थन का आश्वासन दिया गया है.

cong leaders do not keep pace with bengal
पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कांग्रेस

नई दिल्ली/कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कांग्रेस का कोई भी हाई-प्रोफाइल नेता प्रचार के लिए नहीं गया. पार्टी राज्य में वाम दलों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. सूत्रों ने कहा कि राज्य की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी और राज्य प्रभारी जितिन प्रसाद के बीच तालमेल की कमी है. चौधरी चुनावों को लेकर फैसले ले रहे हैं. दिल्ली से प्रचार के लिए बंगाल जाने वाले नेताओं को पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है.

इसी वजह से जितिन प्रसाद बंगाल से लौट आए हैं और करीबी सहयोगी कहते हैं कि चौधरी जिस तरह से चुनाव से जुड़े मामलों का प्रबंधन कर रहे हैं, उससे वह नाखुश हैं. कांग्रेस राज्य में 92 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जितिन प्रसाद और अधीर रंजन चौधरी राज्य में प्रचार अभियान की अगुवाई करने वाले थे.

जब राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं के अभियान कार्यक्रम के बारे में जितिन प्रसाद से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के बाद, हम मीडिया को सूचित करेंगे. जबकि अन्य नेताओं ने कहा कि अधीर से पूछिए.

सूत्रों के अनुसार, स्टार प्रचारक सूची में शामिल नेता भी चुनाव प्रचार के लिए बंगाल जाने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि वहां से कोई सकारात्मक रुझान या संकेत नहीं मिल रहा है. राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से सीधा मुकाबला है, जबकि वाम दल अपने ग्रामीण इलाकों में फिर से अपना आधार मजबूत करने की कोशिश में हैं. कांग्रेस 2016 के चुनाव में 44 सीटों पर जीत को बरकरार रखने की पूरी कोशिश कर रही है.

टिकट वितरण के समय से ही पार्टी में नाराजगी बढ़ने लगी थी. एक तो इसमें देरी हुई और जब इसे अंतिम रूप दिया गया तब पार्टी के अंदर मतभेद खुल कर सामने आ गए. कांग्रेस के लिए एक और चिंता की बात यह है कि जब तक केरल में चुनाव खत्म नहीं हो जाते, तब तक वह पश्चिम बंगाल में पूरी तरह वाम दलों के खिलाफ नहीं जा सकती, क्योंकि पार्टी के लिए बंगाल में वामपंथियों की प्रशंसा करना और केरल में आलोचना करना मुश्किल है.

केरल में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी वामदलों पर हमला करते रहे हैं. कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में 'न्याय' को प्रमुखता से स्थान दिया है. इसके तहत आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को 5,700 रुपए प्रति महीना समर्थन का आश्वासन दिया गया है. घोषणापत्र में प्रवासी श्रमिकों के परिवारों को रोजगार मिलने तक अंतरिम राहत के रूप में 5,000 रुपये प्रति माह देने का भी वादा किया गया है.

पढ़ें: पश्चिम बंगाल: पहले चरण के मतदान के दौरान हिंसा, 10 लोग गिरफ्तार

2019 के आम चुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत घटकर 4 प्रतिशत रह गया था, लेकिन यह अभी भी कई जिलों जैसे कि पुरालिया, मालदा और मुर्शीदाबाद में एक महत्वपूर्ण फैक्टर बना हुआ है. पश्चिम बंगाल में मतदान 29 अप्रैल तक आठ चरणों में होगा और मतों की गिनती 2 मई को होगी.

नई दिल्ली/कोलकाता: पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव के पहले चरण में कांग्रेस का कोई भी हाई-प्रोफाइल नेता प्रचार के लिए नहीं गया. पार्टी राज्य में वाम दलों के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ रही है. सूत्रों ने कहा कि राज्य की कांग्रेस इकाई के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी और राज्य प्रभारी जितिन प्रसाद के बीच तालमेल की कमी है. चौधरी चुनावों को लेकर फैसले ले रहे हैं. दिल्ली से प्रचार के लिए बंगाल जाने वाले नेताओं को पूरी जानकारी नहीं दी जा रही है.

इसी वजह से जितिन प्रसाद बंगाल से लौट आए हैं और करीबी सहयोगी कहते हैं कि चौधरी जिस तरह से चुनाव से जुड़े मामलों का प्रबंधन कर रहे हैं, उससे वह नाखुश हैं. कांग्रेस राज्य में 92 सीटों पर चुनाव लड़ रही है. जितिन प्रसाद और अधीर रंजन चौधरी राज्य में प्रचार अभियान की अगुवाई करने वाले थे.

जब राहुल और प्रियंका गांधी वाड्रा सहित पार्टी के शीर्ष नेताओं के अभियान कार्यक्रम के बारे में जितिन प्रसाद से पूछा गया, तो उन्होंने कहा कि कार्यक्रम को अंतिम रूप देने के बाद, हम मीडिया को सूचित करेंगे. जबकि अन्य नेताओं ने कहा कि अधीर से पूछिए.

सूत्रों के अनुसार, स्टार प्रचारक सूची में शामिल नेता भी चुनाव प्रचार के लिए बंगाल जाने के लिए तैयार नहीं हैं क्योंकि वहां से कोई सकारात्मक रुझान या संकेत नहीं मिल रहा है. राज्य में सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस का भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) से सीधा मुकाबला है, जबकि वाम दल अपने ग्रामीण इलाकों में फिर से अपना आधार मजबूत करने की कोशिश में हैं. कांग्रेस 2016 के चुनाव में 44 सीटों पर जीत को बरकरार रखने की पूरी कोशिश कर रही है.

टिकट वितरण के समय से ही पार्टी में नाराजगी बढ़ने लगी थी. एक तो इसमें देरी हुई और जब इसे अंतिम रूप दिया गया तब पार्टी के अंदर मतभेद खुल कर सामने आ गए. कांग्रेस के लिए एक और चिंता की बात यह है कि जब तक केरल में चुनाव खत्म नहीं हो जाते, तब तक वह पश्चिम बंगाल में पूरी तरह वाम दलों के खिलाफ नहीं जा सकती, क्योंकि पार्टी के लिए बंगाल में वामपंथियों की प्रशंसा करना और केरल में आलोचना करना मुश्किल है.

केरल में पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी वामदलों पर हमला करते रहे हैं. कांग्रेस ने अपने घोषणापत्र में 'न्याय' को प्रमुखता से स्थान दिया है. इसके तहत आर्थिक रूप से पिछड़े परिवारों को 5,700 रुपए प्रति महीना समर्थन का आश्वासन दिया गया है. घोषणापत्र में प्रवासी श्रमिकों के परिवारों को रोजगार मिलने तक अंतरिम राहत के रूप में 5,000 रुपये प्रति माह देने का भी वादा किया गया है.

पढ़ें: पश्चिम बंगाल: पहले चरण के मतदान के दौरान हिंसा, 10 लोग गिरफ्तार

2019 के आम चुनावों में कांग्रेस का वोट प्रतिशत घटकर 4 प्रतिशत रह गया था, लेकिन यह अभी भी कई जिलों जैसे कि पुरालिया, मालदा और मुर्शीदाबाद में एक महत्वपूर्ण फैक्टर बना हुआ है. पश्चिम बंगाल में मतदान 29 अप्रैल तक आठ चरणों में होगा और मतों की गिनती 2 मई को होगी.

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