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हल्द्वानी अतिक्रमण: पहले विद्युत-पेयजल कनेक्शन कटेगा फिर चलेगा बुलडोजर, सड़कों पर उतरीं महिलाएं

नैनीताल डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने हल्द्वानी रेलवे भूमि से अतिक्रमण हटाने को लेकर संबंधित अधिकारियों के साथ बैठक की. इस दौरान उन्होंने कहा कि अतिक्रमणकारियों के पहले विद्युत और पेयजल कनेक्शन काटे जाएंगे, फिर ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू की जाएगी. पूरे कार्रवाई को अंजाम देने के लिए पैरामिलिट्री फोर्स से लेकर उत्तराखंड पुलिस के जवान तैनात किए जाएंगे.

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Published : Jan 4, 2023, 8:27 PM IST

अतिक्रमण हटाने को लेकर डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने ली बैठक.

हल्द्वानी: हाईकोर्ट के आदेश पर वनभूलपुरा क्षेत्र से रेलवे भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों को हटाए जाने की कवायद शुरू हो गई है. रेलवे, जिला और पुलिस प्रशासन अतिक्रमण हटाने को लेकर व्यवस्थाओं में जुटा हुआ है. इसी कड़ी में नैनीताल डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने डीएम कैंप कार्यालय में अधिकारियों के साथ बैठक कर अतिक्रमण हटाने की तैयारियों को लेकर चर्चा की. फिलहाल. जिला प्रशासन की निगाहें 5 जनवरी को आने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिकी हुई है. उधर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सैकड़ों की संख्या महिलाएं और बच्चे सड़कों पर उतर गए हैं.

बताया जा रहा है कि 5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से अतिक्रमणकारियों के खिलाफ फैसला आने पर जिला प्रशासन पहले चरण में अतिक्रमणकारियों के विद्युत और पेयजल कनेक्शन को काटने का काम करेगा. नैनीताल डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे, जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है. अतिक्रमण को रेलवे प्रशासन को हटाना है. लेकिन कानून व्यवस्था और सुरक्षा की दृष्टि से जिला प्रशासन रेलवे को पूरा सहयोग कर रहा है.

उन्होंने कहा कि रेलवे की ओर से जिस तरह का सहयोग मांगा जा रहा है, उसका जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पूरा सहयोग कर रहा है. उन्होंने कहा कि पैरामिलिट्री फोर्स के अलावा उत्तराखंड पुलिस के जवान भारी संख्या में पहुंचने वाले हैं. 8 जनवरी तक सभी फोर्स हल्द्वानी पहुंच जाएंगे. पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को रखने के लिए जगह चिन्हित कर लिया गया है. जहां उनके लिए खाने और रहने की व्यवस्था कराई जाएगी.
ये भी पढ़ेंः सियासत की जमीन पर 'अतिक्रमण' की बिसात, होगा बुलडोजर से प्रहार या विपक्ष के आगे घुटने टेकेगी सरकार?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सड़कों पर उतरी महिलाएंः नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद वनभूलपुरा क्षेत्र के 78 एकड़ रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाना जाना है, लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ स्थानीय लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. जहां 5 जनवरी को सुनवाई होनी है, लेकिन इससे पहले अपनी मांगों को लेकर लोग धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. आज भी सैकड़ों की संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतरीं और जमकर प्रदर्शन किया.

महिलाओं का कहना है कि उनके आशियाने को न उजड़ा जाए. इस दौरान काफी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सड़कों पर बैठे नजर आए. महिलाएं और बच्चे रो-रो कर अपनी व्यथा सुना रहे हैं. साथ ही सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें उजाड़ने से पहले उनका विस्थापन किया जाए.

गौर हो कि नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद वनभूलपुरा क्षेत्र से करीब 78 हेक्टेयर भूमि पर बसे 4365 अतिक्रमणकारियों से भूमि खाली कराई जानी है. भूमि खाली कराने के लिए रेलवे, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है. अतिक्रमण हटाने के लिए भारी फोर्स भी हल्द्वानी पहुंच गई है. वहीं, रेलवे अपनी स्टेशन और ट्रेनों की सुरक्षा के लिए व्यवस्था करने में जुटा हुआ है.

हल्द्वानी के वनभूलपूरा के अतिक्रमण क्षेत्र में भारी संख्या में पुलिस फोर्स भी तैनात किए गए हैं. जिससे किसी तरह का माहौल खराब न हो. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि इस आशियाने उजाड़ने से करीब 60 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो जाएंगे. उनका कहना है कि पिछले कई दशकों से वह यहां पर रह रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते उनके आशियाने को उजाड़ा जा रहा है.
ये भी पढ़ेंः रेलवे भूमि अतिक्रमण मामले पर हरीश रावत ने रखा मौन उपवास, कहा- देवों की भूमि पर दिखाएं मानवता

अतिक्रमण हटाने को लेकर डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने ली बैठक.

हल्द्वानी: हाईकोर्ट के आदेश पर वनभूलपुरा क्षेत्र से रेलवे भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारियों को हटाए जाने की कवायद शुरू हो गई है. रेलवे, जिला और पुलिस प्रशासन अतिक्रमण हटाने को लेकर व्यवस्थाओं में जुटा हुआ है. इसी कड़ी में नैनीताल डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने डीएम कैंप कार्यालय में अधिकारियों के साथ बैठक कर अतिक्रमण हटाने की तैयारियों को लेकर चर्चा की. फिलहाल. जिला प्रशासन की निगाहें 5 जनवरी को आने वाले सुप्रीम कोर्ट के निर्णय पर टिकी हुई है. उधर, सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सैकड़ों की संख्या महिलाएं और बच्चे सड़कों पर उतर गए हैं.

बताया जा रहा है कि 5 जनवरी को सुप्रीम कोर्ट से अतिक्रमणकारियों के खिलाफ फैसला आने पर जिला प्रशासन पहले चरण में अतिक्रमणकारियों के विद्युत और पेयजल कनेक्शन को काटने का काम करेगा. नैनीताल डीएम धीराज सिंह गर्ब्याल ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए रेलवे, जिला प्रशासन के साथ मिलकर काम कर रहा है. अतिक्रमण को रेलवे प्रशासन को हटाना है. लेकिन कानून व्यवस्था और सुरक्षा की दृष्टि से जिला प्रशासन रेलवे को पूरा सहयोग कर रहा है.

उन्होंने कहा कि रेलवे की ओर से जिस तरह का सहयोग मांगा जा रहा है, उसका जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन पूरा सहयोग कर रहा है. उन्होंने कहा कि पैरामिलिट्री फोर्स के अलावा उत्तराखंड पुलिस के जवान भारी संख्या में पहुंचने वाले हैं. 8 जनवरी तक सभी फोर्स हल्द्वानी पहुंच जाएंगे. पुलिस और पैरामिलिट्री फोर्स के जवानों को रखने के लिए जगह चिन्हित कर लिया गया है. जहां उनके लिए खाने और रहने की व्यवस्था कराई जाएगी.
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सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले सड़कों पर उतरी महिलाएंः नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद वनभूलपुरा क्षेत्र के 78 एकड़ रेलवे की भूमि से अतिक्रमण हटाना जाना है, लेकिन नैनीताल हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ स्थानीय लोग सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए हैं. जहां 5 जनवरी को सुनवाई होनी है, लेकिन इससे पहले अपनी मांगों को लेकर लोग धरना प्रदर्शन कर रहे हैं. आज भी सैकड़ों की संख्या में महिलाएं सड़कों पर उतरीं और जमकर प्रदर्शन किया.

महिलाओं का कहना है कि उनके आशियाने को न उजड़ा जाए. इस दौरान काफी संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग सड़कों पर बैठे नजर आए. महिलाएं और बच्चे रो-रो कर अपनी व्यथा सुना रहे हैं. साथ ही सरकार से मांग कर रहे हैं कि उन्हें उजाड़ने से पहले उनका विस्थापन किया जाए.

गौर हो कि नैनीताल हाईकोर्ट के आदेश के बाद वनभूलपुरा क्षेत्र से करीब 78 हेक्टेयर भूमि पर बसे 4365 अतिक्रमणकारियों से भूमि खाली कराई जानी है. भूमि खाली कराने के लिए रेलवे, जिला प्रशासन और पुलिस प्रशासन ने सभी तैयारियां पूरी कर ली है. अतिक्रमण हटाने के लिए भारी फोर्स भी हल्द्वानी पहुंच गई है. वहीं, रेलवे अपनी स्टेशन और ट्रेनों की सुरक्षा के लिए व्यवस्था करने में जुटा हुआ है.

हल्द्वानी के वनभूलपूरा के अतिक्रमण क्षेत्र में भारी संख्या में पुलिस फोर्स भी तैनात किए गए हैं. जिससे किसी तरह का माहौल खराब न हो. वहीं, स्थानीय लोगों का कहना है कि इस आशियाने उजाड़ने से करीब 60 हजार से ज्यादा लोग बेघर हो जाएंगे. उनका कहना है कि पिछले कई दशकों से वह यहां पर रह रहे हैं, लेकिन राजनीतिक दबाव के चलते उनके आशियाने को उजाड़ा जा रहा है.
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