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उज्जैन में भाजपा की 'पाठशाला' में बही विचारधारा की 'गंगा'

बीजेपी केंद्रीय दल के नेतृत्व में उज्जैन में शुक्रवार से शुरू हुए भाजपा के दो दिवसीय प्रशिक्षण शिविर में कई बड़े नाम शामिल हुए. बीजेपी के तमाम विधायकों के साथ सिंधिया समर्थक विधायक-मंत्री भी पहली बार बीजेपी के प्रशिक्षण शिविर में पहुंचे. सवाल उठता है कि उज्जैन में विधायकों की पाठशाला का आइडिया किसका है और हां क्या सिंधिया समर्थकों को भगवा में रंगने की तैयारी हो चुकी है.

उज्जैन में भाजपा की 'पाठशाला'
उज्जैन में भाजपा की 'पाठशाला'
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Published : Feb 12, 2021, 10:56 PM IST

उज्जैन : महाकाल की नगरी उज्जैन में बीजेपी का प्रशिक्षण वर्ग चल रहा है. बीजेपी के तमाम विधायक सहित दिग्गज यहां मौजूद हैं. एक पुरानी मान्यता है कि, 'उज्जैन में कोई भी राजा यहां रात नहीं गुजारता, फिर चाहे वो शिवराज हो या महाराज, क्योंकि यहां के एक ही राजा हैं, वो हैं काल-भैरव'. शायद यहीं कारण है दिग्गज रात को ही यहां से रवाना हो जाते हैं.

भाजपा के लिए ये प्रशिक्षण शिविर जहां अतीत को खंगालने का अवसर है, वहीं भविष्य के लिए नए संकल्प बुनने का भी अवसर है. उसे ये देखना है कि बीता हुआ दौर उसे क्या संदेश देकर गया और उस संदेश का क्या सबब है. क्योंकि ये पहली बार होगा जब ज्योतिरादित्य सिंधिया या यूं कहें उनके साथ आए मंत्री विधायकों को बीजेपी अपनी विचारधारा में ढालने की कोशिश करेगी, उन्हें अपनी रीति-नीति से बेहतर तरीके से वाकिफ कराया जाएगा.

महाकाल की नगरी में महाराज-शिवराज और संगठन

BJP की 'पाठशाला'

विधायकों को ट्रेनिंग देने के लिए खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान के अलावा राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, सह प्रभारी पंकजा मुंडे, संगठन महामंत्री सुहास भगत मौजूद हैं, इन सभी नेताओं ने बीजेपी को संवारा है. दो लोकसभा सांसदों से बीजेपी को देश की सबसे बड़ी पार्टी बनाने में योगदान दिया है. ऐसे में अब इनके साथ महाराज भी हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया.

सिंधिया समर्थकों को भगवा में रंगने की तैयारी !

प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुए शिवराज
प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुए शिवराज

इस प्रशिक्षण वर्ग की खास बात यह है कि सिंधिया समर्थक विधायक और मंत्री पहली बार इसमें शामिल हो रहे हैं. बीजेपी की पूरी कोशिश होगी कि सिंधिया समर्थक विधायक, मंत्रियों को बीजेपी की विराचरधारा में पूरी तरह ढाल दें, और उनमें सिंधिया समर्थक का ठप्पा इसी 'पाठशाला' से हट जाए. लेकिन क्या बीजेपी ऐसे कर पाएगी.

मुख्यमंत्री शिवराज का वो कथन शायद आपको याद ही होगा जब उन्होंने कहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी दादी की परंपरा को निभाते हुए मध्‍य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराई थी.

यानी कांग्रेस की सरकारों को अलग-अलग समय में गिराने वाला पूरा सिंधिया वंश आज भाजपा में है. लोग इसका एक अर्थ यह भी निकालते हैं कि धोखा देने और स्वार्थ के लिए दलबदल करना सिंधिया के डीएनए में है, भाजपा जिसे हर बार अपनी ओर खींच लेती है.

उज्जैन में विधायकों की पाठशाला का आइडिया किसका ?

उज्जैन में विधायकों की पाठशाला का आइडिया किसका है, बीजेपी या आरएसएस का. क्या आरएसएस चाहता है कि कांग्रेस से भाजपा में आए सभी विधायक उनकी विचारधारा में रम जाएं ? सिंधिया भी मध्यप्रदेश बीजेपी नेताओं से ज्यादा आरएसएस की चौखट में पहुंच रहे हैं. तभी तो नागपुर में उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से भी मुलाकात की थी.

सिंधिया ने तब कहा भी कि यह केवल एक स्थान नहीं, बल्कि प्रेरणा स्थल है. उन्होंने आरएसएस जैसे संगठन का गठन किया जो देश की सेवा के लिए समर्पित है. यह स्थान देश सेवा के लिए ऊर्जा प्रदान करता है.

इस प्रशिक्षण वर्ग का असल मकसद भी एकजुटता दिखाना है. ऐसी एकजुटता कि सिंधिया समर्थक विधायक को आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा को पूरी तरीके से समझाया जाए. इसके लिए बीजेपी और आरएसएस के बड़े मास्टर उन्हें ट्रेनिंग दे रहे हैं.

कभी कांग्रेसी रहे मंत्री तुलावट आज बीजेपी को कह रहे मां...

उज्जैन पाठशाला में पहुंचे मंत्री तुलसी सुलावट बीजेपी को मां कह रहे हैं. तुलसी सिलावट ने कहा कि बीजेपी में आकर बड़ा सुकून मिलता है और बीजेपी मां के आगंन की तुलसी है. वहीं सिंधिया भी राजशाही टोपी पहने सीधे महाकाल के दरबार पहुंचे और उसके बाद प्रशिक्षण वर्ग में शामिल हुए.

पढ़ें- गुजरात स्थानीय चुनाव : भाजपा ने भरूच में 31 मुस्लिम उम्मीदवारों को दिया टिकट

मतलब साफ है सिंधिया समर्थक विधायकों के मुंह से बीजेपी को मां निकलना संदेश है कि महाकाल की नगरी में बीजेपी की पाठशाला से अब सिंधिया समर्थकों को घरवाला ही बनाकर रखना है. बीजेपी कांग्रेस छोड़कर आए विधायकों को अपनी विचारधारा में रमा तो देगी लेकिन उसे पाठशाला से वंचित अपने रूठे नेताओं की विचारधारा को बचाए रखना भी भविष्य में किसी बड़े चैलेंज से कम नहीं होगा.

उज्जैन : महाकाल की नगरी उज्जैन में बीजेपी का प्रशिक्षण वर्ग चल रहा है. बीजेपी के तमाम विधायक सहित दिग्गज यहां मौजूद हैं. एक पुरानी मान्यता है कि, 'उज्जैन में कोई भी राजा यहां रात नहीं गुजारता, फिर चाहे वो शिवराज हो या महाराज, क्योंकि यहां के एक ही राजा हैं, वो हैं काल-भैरव'. शायद यहीं कारण है दिग्गज रात को ही यहां से रवाना हो जाते हैं.

भाजपा के लिए ये प्रशिक्षण शिविर जहां अतीत को खंगालने का अवसर है, वहीं भविष्य के लिए नए संकल्प बुनने का भी अवसर है. उसे ये देखना है कि बीता हुआ दौर उसे क्या संदेश देकर गया और उस संदेश का क्या सबब है. क्योंकि ये पहली बार होगा जब ज्योतिरादित्य सिंधिया या यूं कहें उनके साथ आए मंत्री विधायकों को बीजेपी अपनी विचारधारा में ढालने की कोशिश करेगी, उन्हें अपनी रीति-नीति से बेहतर तरीके से वाकिफ कराया जाएगा.

महाकाल की नगरी में महाराज-शिवराज और संगठन

BJP की 'पाठशाला'

विधायकों को ट्रेनिंग देने के लिए खुद सीएम शिवराज सिंह चौहान के अलावा राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश, प्रदेश प्रभारी मुरलीधर राव, राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय, केंद्रीय मंत्री थावरचंद गहलोत, नरेंद्र सिंह तोमर, प्रह्लाद पटेल, फग्गन सिंह कुलस्ते, सह प्रभारी पंकजा मुंडे, संगठन महामंत्री सुहास भगत मौजूद हैं, इन सभी नेताओं ने बीजेपी को संवारा है. दो लोकसभा सांसदों से बीजेपी को देश की सबसे बड़ी पार्टी बनाने में योगदान दिया है. ऐसे में अब इनके साथ महाराज भी हैं, ज्योतिरादित्य सिंधिया.

सिंधिया समर्थकों को भगवा में रंगने की तैयारी !

प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुए शिवराज
प्रशिक्षण शिविर में शामिल हुए शिवराज

इस प्रशिक्षण वर्ग की खास बात यह है कि सिंधिया समर्थक विधायक और मंत्री पहली बार इसमें शामिल हो रहे हैं. बीजेपी की पूरी कोशिश होगी कि सिंधिया समर्थक विधायक, मंत्रियों को बीजेपी की विराचरधारा में पूरी तरह ढाल दें, और उनमें सिंधिया समर्थक का ठप्पा इसी 'पाठशाला' से हट जाए. लेकिन क्या बीजेपी ऐसे कर पाएगी.

मुख्यमंत्री शिवराज का वो कथन शायद आपको याद ही होगा जब उन्होंने कहा था कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने अपनी दादी की परंपरा को निभाते हुए मध्‍य प्रदेश में कांग्रेस की सरकार गिराई थी.

यानी कांग्रेस की सरकारों को अलग-अलग समय में गिराने वाला पूरा सिंधिया वंश आज भाजपा में है. लोग इसका एक अर्थ यह भी निकालते हैं कि धोखा देने और स्वार्थ के लिए दलबदल करना सिंधिया के डीएनए में है, भाजपा जिसे हर बार अपनी ओर खींच लेती है.

उज्जैन में विधायकों की पाठशाला का आइडिया किसका ?

उज्जैन में विधायकों की पाठशाला का आइडिया किसका है, बीजेपी या आरएसएस का. क्या आरएसएस चाहता है कि कांग्रेस से भाजपा में आए सभी विधायक उनकी विचारधारा में रम जाएं ? सिंधिया भी मध्यप्रदेश बीजेपी नेताओं से ज्यादा आरएसएस की चौखट में पहुंच रहे हैं. तभी तो नागपुर में उन्होंने आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत से भी मुलाकात की थी.

सिंधिया ने तब कहा भी कि यह केवल एक स्थान नहीं, बल्कि प्रेरणा स्थल है. उन्होंने आरएसएस जैसे संगठन का गठन किया जो देश की सेवा के लिए समर्पित है. यह स्थान देश सेवा के लिए ऊर्जा प्रदान करता है.

इस प्रशिक्षण वर्ग का असल मकसद भी एकजुटता दिखाना है. ऐसी एकजुटता कि सिंधिया समर्थक विधायक को आरएसएस और बीजेपी की विचारधारा को पूरी तरीके से समझाया जाए. इसके लिए बीजेपी और आरएसएस के बड़े मास्टर उन्हें ट्रेनिंग दे रहे हैं.

कभी कांग्रेसी रहे मंत्री तुलावट आज बीजेपी को कह रहे मां...

उज्जैन पाठशाला में पहुंचे मंत्री तुलसी सुलावट बीजेपी को मां कह रहे हैं. तुलसी सिलावट ने कहा कि बीजेपी में आकर बड़ा सुकून मिलता है और बीजेपी मां के आगंन की तुलसी है. वहीं सिंधिया भी राजशाही टोपी पहने सीधे महाकाल के दरबार पहुंचे और उसके बाद प्रशिक्षण वर्ग में शामिल हुए.

पढ़ें- गुजरात स्थानीय चुनाव : भाजपा ने भरूच में 31 मुस्लिम उम्मीदवारों को दिया टिकट

मतलब साफ है सिंधिया समर्थक विधायकों के मुंह से बीजेपी को मां निकलना संदेश है कि महाकाल की नगरी में बीजेपी की पाठशाला से अब सिंधिया समर्थकों को घरवाला ही बनाकर रखना है. बीजेपी कांग्रेस छोड़कर आए विधायकों को अपनी विचारधारा में रमा तो देगी लेकिन उसे पाठशाला से वंचित अपने रूठे नेताओं की विचारधारा को बचाए रखना भी भविष्य में किसी बड़े चैलेंज से कम नहीं होगा.

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