रोहतासः बिहार के सासाराम में हिंसा का खौफ अभी तक खत्म नहीं हुआ है. लोग घटना के पांच दिन बाद भी डर के साए में जी रहे हैं. जो लोग घर छोड़कर चले गए वे लौटने की हिम्मत नहीं कर रहे हैं. लोग हिंसक घटना को भुला नहीं पा रहे. जब घर छोड़कर लोग जा रहे थे तो कहा था कि माहौल शांत रहा तो लौट के आएंगे, लेकिन अभी भी उन्हें घर में लौटने की हिम्मत नहीं है. वह मंजर याद करने से ही रूह कांप जाता है. लोगों ने कहा कि दंगाईयों ने घर में घुस घुसकर आग लगा दी. किसी तरह हमलोग जान बचाकर भागे थे, पता नहीं आज क्या होता?
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STF एडीजी ने लिया जायजाः सासाराम में हिंसा की घटना के बाद से पुलिस लगातार कैंप कर रही है. पुलिस के वरीय अधिकारी लगातार क्षेत्र का जायजा ले रहे हैं. मंगलवार को STF एडीजी सुशील खोपड़े घटनास्थल का जायजा लेने पहुंचे थे. जब उनसे पलायन लोगों को लाने की बात पूछी गई तो उन्होंने कहा कि माहौल पूरी तरह शांत है. पुलिस लगातार इलाके का कैंप कर रही है. जो भी लोग यहां से गए हैं वे लौटते हैं तो उन्हें सुरक्षा दी जाएगी. एडीजी ने यह भी कहा कि लोग खुद से आना चाहे तो पुलिस सुरक्षा के लिए तैयार है. शांति व्यवस्था बनाए रखने में पुलिस पूरी कोशिश कर रही है.
"तीन से चार घर है, जहां के लोग घटना के वक्त चले गए हैं. उनलोगों के लिए हमलोग प्रयास कर रहे हैं. उनलोगों को पूरी सुरक्षा दी जाएगी, लेकिन वे लोग खुद अपनी मर्जी से आएंगे तो हम उन्हें ले आएंगे और पूरी सुरक्षा प्रदान की जाएगी. इलाके में शांति कायम हो रही है. हम सभी लोगों से संपर्क करने का प्रयास कर रहे हैं, जो घर छोड़कर गए हैं." -सुशील खोपड़े, एडीजी, STF
बर्बादी के निशानः सासाराम से पलायन कर गए लोगों ने अपना दर्द बयां किया. कहा कि घटना याद कर के ही रूह कांप जाता है. जिस तरीके से घरों में आग लगाई गई. जिस समय घटना हुई हमलोग घर में थे. डर के मारे भागने लगे. प्रशासन उन लोगों को सुरक्षा उपलब्ध नहीं करवा पा रही है. ऐसे में घर की महिलाएं, बच्चे दहशत में हैं. लोग घरों को छोड़ कर चले गए हैं. गांव की गलियों में अभी भी बर्बादी के निशान देखने को मिल रहे हैं. अधिकांश घरों में ताला लटका हुआ है. गांव के अजय महतो, संतोष कुमार, राहुल महतो परिवार के साथ गांव छोड़ चुके हैं.
पीड़ितों का दर्दः हिंसा के पीड़ित अजय महतो ने अपना दर्द बयां किया. उसने कहा कि "उस घटना को याद करके ही डर लगता है. हमलोग इतने डरे हुए थे कि घर छोड़ना पड़ा. पूरे परिवार के साथ घर को छोड़कर चले आए". घटना की चश्मदीद माहिया ने जो बताया वह वास्तव में डराने वाला है. उसने कहा कि "हिंसक लोग पुलिस के सामने आग लगा दे रहे थे. पुलिस सब देख रही थी लेकिन कुछ कर नहीं पा रही थी. जब हमलोग भागे तो घर में ताला लगा रहे थे. पुलिस ने कहा ताला खुला छोड़ दो. जब हमलोग घर छोड़ दिए तो लोगों ने आग लगा दी". पीड़ित संतोष कुमार ने कहा कि "यहां की हालात ठीक नहीं है. यहां से 10 घर के परिवार जा चुके हैं".