पीलीभीत: मां की मौत के बाद ननिहाल में रह रहे बच्चे को उसके ही पिता ने मृत बताकर थाने में एफआईआर दर्ज करा दी. जानकारी मिलने के बाद पीड़ित पक्ष ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. इस दौरान मासूम अपने ही मुकदमे में गवाही देने के लिए सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और कहा कि साहब! मैं जिंदा हूं.
बच्चे की मां की हो चुकी है मौत, ननिहाल में होती है परवरिश
वर्ष 2010 में न्यूरिया थाना क्षेत्र के राफियापुर के रहने वाले चरण सिंह ने बेटी मीना की शादी सुनगढ़ी के भानुप्रकाश से की थी. कुछ समय बाद दोनों को एक बेटा हुआ. उसका नाम अभय सिंह रखा गया. बताते हैं कि वर्ष 2013 में पत्नी मीना की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. भानु प्रकाश व उसके परिवार के विरुद्ध मीना के परिजनों ने दहेज एक्ट मारपीट और हत्या का मुकदमा पंजीकृत कराया. यह केस पीलीभीत के जिला न्यायालय में विचाराधीन है. मीना की मौत के बाद उसके बेटे अभय को मीना के परिजन साथ ननिहाल ले आए. वर्ष 2015 में बेटे अभय को वापस पाने के लिए भानु प्रकाश ने न्यायालय में केस दायर किया. जिसमें जनवरी 2021 में न्यायालय ने भानु प्रकाश के पक्ष में फैसला सुना दिया. इस फैसले के विरुद्ध में अभय के नाना चरण सिंह हाईकोर्ट चले गए, जहां यह मामला विचाराधीन है.
निर्णय पर अमल के लिए पिता ने कोर्ट में दाखिल की अपील
परिवार न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश द्वारा दिए गए निर्णय पर अमल करने के लिए भानु प्रताप ने अपील दायर की, जिस पर प्रधान न्यायाधीश ने न्यूरिया पुलिस को ननिहाल से बच्चा भानु प्रताप को दिलाने का आदेश पारित किया. चूंकि मामला उच्च न्यायालय में विचाराधीन था, इसलिए ननिहाल पक्ष ने बच्चे को पिता को वापस करने से साफ इनकार कर दिया.
न्यूरिया थाने में पिता ने दर्ज कराया बच्चे की हत्या का मुकदमा
भानु प्रताप ने न्यायालय का सहारा लेते हुए 24 जुलाई 2023 को न्यूरिया थाने में चरण सिंह और अन्य लोगों के विरुद्ध अभय को जान से मार देने समेत अन्य धाराओं में मुकदमा पंजीकृत कर दिया. मुकदमा दर्ज होने के बाद पुलिस ने जब मामले की जांच करते हुए दबिश देनी शुरू की तो बच्चा न्याय की गुहार लगाने के लिए हाईकोर्ट पहुंच गया. बच्चे की ओर से वाद दायर कर कहा गया कि उसके पिता भानु प्रकाश की ओर से दर्ज कराई गई FIR गलत है और वह जिंदा है.
हाइकोर्ट में मामला खारिज होने के बाद सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया
बच्चों ने खुद को जिंदा बचाते हुए अपने नाना-नानी के पास सुरक्षित होने की बात भी न्यायालय में कही. हालांकि हाईकोर्ट ने यह मामला खारिज कर दिया. जिसके बाद बच्चे ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. मामले में सर्वोच्च न्यायालय की दो जजों की बेंच ने स्थगन आदेश पारित किया है साथ ही फैमिली कोर्ट के प्रधान न्यायाधीश, प्रमुख सचिव गृह, पुलिस अधीक्षक पीलीभीत, थाना न्यूरिया के प्रभारी निरीक्षक को नोटिस जारी कर हलफनामा दाखिल करने का आदेश दिया है.
नाना के खिलाफ किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर लगी रोक
पूरे मामले की न्यायालय में पैरवी करने वाले अधिवक्ता कुलदीप जौहरी ने बताया कि धारा 156 (3) के तहत न्यायालय ने न्यूरिया पुलिस को जांच कर कार्यवाही के आदेश दिए थे. न्यूरिया पुलिस ने जीवित बच्चे को मृत मानकर हत्या जैसी गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज कर लिया, जो कि पुलिस की कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है. फिलहाल मामले में चरण सिंह व अन्य किसी के विरुद्ध किसी भी प्रकार की कार्रवाई पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा रोक लगा दी गई है. अग्रिम आदेश तक बच्चे की कस्टडी उसके नाना के पास ही रहेगी.
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