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भारत बंद के साथ आंदोलन तेज करेंगे किसान, नए कृषि कानूनों का करेंगे होलिका दहन

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Published : Mar 17, 2021, 10:29 PM IST

किसान नेताओं ने 26 मार्च के अपने संपूर्ण भारत बंद से पहले कहा कि वे केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तेज करने की तैयारी कर रहे हैं. उन्होंने कहा, कि हम तीन (नए कृषि) कानूनों की प्रतियों का होलिका दहन करेंगे और उम्मीद है कि सरकार को सदबुद्धि आएगी.

कॉन्सेप्ट इमेज
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नई दिल्ली : किसान नेताओं ने 26 मार्च के अपने संपूर्ण भारत बंद से पहले बुधवार को कहा कि वे केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तेज करने की तैयारी कर रहे हैं. किसान आंदोलन के चार महीने 26 मार्च को पूरे होने के मौके पर राष्ट्रव्यापी बंद के आह्वान के दौरान भी दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान 12 घंटे तक बंद रहेंगे. इसके बाद, 28 मार्च को केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों की प्रतियों का होलिका दहन किया जाएगा.

गंगानगर किसान समिति के रंजीत राजू ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'बंद सुबह छह बजे शुरू होगा और शाम छह बजे तक रहेगा, जिस दौरान सभी दुकानें और डेयरी तथा हर चीज बंद रहेंगी.'

उन्होंने कहा, 'हम तीन (नए कृषि) कानूनों की प्रतियों का होलिका दहन करेंगे और उम्मीद है कि सरकार को सदबुद्धि आएगी और वह इन कानूनों को रद्द करेगी तथा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए लिखित गारंटी देगी.'

बंद का सभी मजदूर एवं परिवहन संघों, छात्र, युवा और महिला संगठनों ने समर्थन किया है. एक अन्य किसान नेता पुरषोत्तम शर्मा ने कहा, 'हम राज्य स्तर पर भी इस तरह की बैठकें करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि बंद हर जगह हो.'

ऑल इंडिया किसान सभा के नेता कृष्ण प्रसाद ने कहा कि 112 दिनों से आंदोलन का लगातार जारी रहना अपने आप में एक उपलब्धि है और अब से यह मजबूत होता जाएगा.

प्रसाद ने कहा, 'ना तो आपने, ना ही हमने सोचा था कि हम ऐसा कर सकेंगे और लोगों ने यह प्रदर्शित किया है कि वे हमारा समर्थन कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि भारत बंद राज्य, जिला, तहसील और ग्राम स्तर पर होगा.

प्रसाद ने विद्युत संशोधन विधेयक,2021 पेश करने के केंद्र सरकार के कदम पर भी चिंता प्रकट करते हुए दावा किया कि मौजूदा अधिनियम में कोई भी संशोधन जनवरी में किसानों से किए गए सरकार के वादों के खिलाफ होगा.

पढ़ें - राम ने की देवी दुर्गा की पूजा क्योंकि वह राम से अधिक श्रेष्ठ हैं : ममता बनर्जी

उन्होंने कहा, 'सरकार के साथ हुई हमारी 11 दौर की वार्ता के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था कि उन्होंने विद्युत विधेयक को लेकर हमारी मांगें स्वीकार कर ली हैं.'

उन्होंने कहा, 'मीडिया में यह खबर आई कि प्रदर्शनकारी किसानों की 50 प्रतिशत मांगों का समाधान हो गया है, लेकिन वे (सरकार) फिर से इस अधिनियम को पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. यह धोखा है.'

नई दिल्ली : किसान नेताओं ने 26 मार्च के अपने संपूर्ण भारत बंद से पहले बुधवार को कहा कि वे केंद्र के नए कृषि कानूनों के खिलाफ आंदोलन तेज करने की तैयारी कर रहे हैं. किसान आंदोलन के चार महीने 26 मार्च को पूरे होने के मौके पर राष्ट्रव्यापी बंद के आह्वान के दौरान भी दुकानें और व्यापारिक प्रतिष्ठान 12 घंटे तक बंद रहेंगे. इसके बाद, 28 मार्च को केंद्र के तीन नए कृषि कानूनों की प्रतियों का होलिका दहन किया जाएगा.

गंगानगर किसान समिति के रंजीत राजू ने संवाददाता सम्मेलन में कहा, 'बंद सुबह छह बजे शुरू होगा और शाम छह बजे तक रहेगा, जिस दौरान सभी दुकानें और डेयरी तथा हर चीज बंद रहेंगी.'

उन्होंने कहा, 'हम तीन (नए कृषि) कानूनों की प्रतियों का होलिका दहन करेंगे और उम्मीद है कि सरकार को सदबुद्धि आएगी और वह इन कानूनों को रद्द करेगी तथा एमएसपी (न्यूनतम समर्थन मूल्य) के लिए लिखित गारंटी देगी.'

बंद का सभी मजदूर एवं परिवहन संघों, छात्र, युवा और महिला संगठनों ने समर्थन किया है. एक अन्य किसान नेता पुरषोत्तम शर्मा ने कहा, 'हम राज्य स्तर पर भी इस तरह की बैठकें करने की कोशिश कर रहे हैं, ताकि बंद हर जगह हो.'

ऑल इंडिया किसान सभा के नेता कृष्ण प्रसाद ने कहा कि 112 दिनों से आंदोलन का लगातार जारी रहना अपने आप में एक उपलब्धि है और अब से यह मजबूत होता जाएगा.

प्रसाद ने कहा, 'ना तो आपने, ना ही हमने सोचा था कि हम ऐसा कर सकेंगे और लोगों ने यह प्रदर्शित किया है कि वे हमारा समर्थन कर रहे हैं.' उन्होंने कहा कि भारत बंद राज्य, जिला, तहसील और ग्राम स्तर पर होगा.

प्रसाद ने विद्युत संशोधन विधेयक,2021 पेश करने के केंद्र सरकार के कदम पर भी चिंता प्रकट करते हुए दावा किया कि मौजूदा अधिनियम में कोई भी संशोधन जनवरी में किसानों से किए गए सरकार के वादों के खिलाफ होगा.

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उन्होंने कहा, 'सरकार के साथ हुई हमारी 11 दौर की वार्ता के दौरान कृषि मंत्री नरेंद्र तोमर ने कहा था कि उन्होंने विद्युत विधेयक को लेकर हमारी मांगें स्वीकार कर ली हैं.'

उन्होंने कहा, 'मीडिया में यह खबर आई कि प्रदर्शनकारी किसानों की 50 प्रतिशत मांगों का समाधान हो गया है, लेकिन वे (सरकार) फिर से इस अधिनियम को पेश करने की कोशिश कर रहे हैं. यह धोखा है.'

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