नई दिल्ली/सोनीपत : किसान आंदोलन समाप्त करने का किसान संगठनों ने ऐलान (farmers called off their protest) कर दिया है. गुरुवार को सरकार की ओर से भेजा गया किसानों को औपचारिक पत्र में सभी प्रमुख मांगों को मान लिया गया है. सरकार ने किसानों पर दर्ज मामले (Cases Against Farmers) वापस लेने की मांग स्वीकार कर ली है.
साथ ही पराली जलाने पर आपराधिक मामला दर्ज नहीं होगा. इसके अलावा आंदोलन के दौरान मारे गए सभी किसानों के परिवारों को मुआवजा दिया जाएगा. पंजाब, उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार पहले ही मृतक किसानों के परिवार को मुआवजा और नौकरी देने का ऐलान कर चुकी हैं. वहीं सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने टेंट उखाड़ने शुरू कर दिए हैं. दिल्ली बॉर्डर पर 378 दिन से चल रहा किसान आंदोलन खत्म कर दिया गया है. किसान नेता बलबीर राजेवाल ने कहा कि अहंकारी सरकार को झुकाकर जा रहे हैं. वहीं योगेंद्र यादव ने कहा कि यह किसानों की बहुत बड़ी जीत है. तो राकेश टिकैत ने कहा कि संयुक्त किसान मोर्चा था, है और रहेगा. संयुक्त मोर्चा इकट्ठा यहां से जा रहा है, ये बड़ी जीत है.
आंदोलन खत्म होने की घोषणा होते ही सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने टेंट उखाड़ने (Farmers start removing tents) शुरू कर दिए हैं. इसके अलावा वापसी की तैयारी भी शुरू कर दी गई है. दिल्ली-हरियाणा स्थित सिंघु बॉर्डर में किसानों ने अपने धरना स्थल से टेंट हटाना शुरू कर दिया है. एक किसान का कहना है, 'हम अपने घरों के लिए निकलने की तैयारी कर रहे हैं.'
संयुक्त किसान मोर्चा ने 11 दिसंबर को घर वापसी का फैसला किया है. इस दिन किसान बड़ी संख्या में इक्कठा होकर जश्न जुलूस निकालेंगे. इसके अलावा 15 दिसंबर को समीक्षा बैठक करेंगे. इस बैठक में किसान आंदोलन की सफलता और विफलता पर चर्चा की जाएगी. आंदोलन के स्थगित होने के एलान के साथ ही बॉर्डर से किसान अपने सामान भी समेटने लगे हैं. तीन कृषि कानून रद्द होने और किसानों की कई प्रमुख मांगों को माने जाने के बाद किसान इसे अपनी जीत के रूप में देख रहे हैं.
मांगे मान ली, पर है दुख : राजपाल सिंह
बुजुर्ग किसान राजपाल सिंह की उम्र तकरीबन 75 साल है. राजपाल सिंह आंदोलन की शुरुआत से ही गाजीपुर बॉर्डर पर मौजूद थे. हालांकि आंदोलन के दौरान कई बार अपने परिवार वालों से मिलने घर भी गए. राजपाल सिंह उत्तर प्रदेश के मुरादाबाद जिले के रहने वाले हैं. 10 किसान मोर्चा द्वारा आंदोलन समाप्ति की घोषणा के बाद राजपाल सिंह गाजीपुर बॉर्डर से अपने गांव के लिए रवाना हुए हैं.
राजपाल सिंह का कहना है कि भले ही सरकार ने किसानों की तमाम मांगें मान ली है, लेकिन अभी भी हम दुखी हैं. सरकार अगर समय रहते किसानों की मांगें मान ली होती तो 750 किसान आंदोलन के दौरान नहीं मरते. हमें सरकार पर विश्वास है कि जब किसानों की समस्याएं सुलझ पाएगी. यदि राकेश टिकैत एक बार फिर बॉर्डर पर आने का ऐलान करेंगे तो तुरंत किसान गांवों से बॉर्डर की तरफ कूच करेगा.
वहीं किसान आंदोलन की वापसी के साथ ही सिंघु बॉर्डर पर किसानों ने जश्न मानना शुरू कर दिया और लंगरों के पास भारी भीड़ जमा हो गई. हालांकि, देश के रक्षा प्रमुख समेत 13 की दुर्घटना में मृत्यु के कारण संयुक्त किसान मोर्चा ने आज किसी भी तरह का उत्सव मनाने से मना किया था और विजय जुलूस के लिये 11 दिसंबर का दिन तय किया था, लेकिन जैसे ही यह खबर सिंघू बॉर्डर पर बैठे किसानों के बीच पहुंची कि नेतृत्व और सरकार के बीच सहमती बन गई है और अब वह अपने घरों को जा सकेंगे वैसे ही किसानों ने कहीं ढोल तो कहीं ट्रैक्टर पर लगे बड़े स्पीकर पर संगीत बजा कर जीत की खुशी मनाना शुरू कर दिया.
संयुक्त किसान मोर्चा गाजीपुर बॉर्डर के प्रवक्ता और किसान नेता जगतार सिंह बाजवा के मुताबिक सरकार द्वारा भेजे गए प्रस्ताव पर सहमति व्यक्त करते हुए किसान मोर्चा ने घोषणा की है कि 11 दिसंबर को विजय दिवस (Farmers will celebrate Vijay Diwas) मनाते हुए बॉर्डर खाली करना शुरू करेंगे. सीडीएस विपिन रावत व अन्य जांबाज बहादुरों की शहादत पर देश की इस अपूरणीय क्षति को देखते हुए संयुक्त किसान मोर्चा स्वयं को भी देश की संवेदना के साथ जोड़ता है. इसे देखते हुए 10 दिसंबर को बॉर्डर पर कोई भी जश्न आदि नहीं मनाया जाएगा.
15 जनवरी को संयुक्त किसान मोर्चा की बैठक आयोजित की जाएगी जिसमें सरकार द्वारा किए गए वायदों की समीक्षा करते हुए अन्य किसानी मुद्दों पर भी विचार विमर्श किया जाएगा. संयुक्त किसान मोर्चा को सरकार की ओर से भेजे गए प्रस्ताव में कहा गया है कि किसानों की सबसे बड़ी मांग MSP पर कमेटी (Committee will be formed on MSP ) बनाई जाएगी. आंदोलन के दौरान किसानों पर दर्ज हुए मुकदमों को भी वापस ले लिया जाएगा. आंदोलन के दौरान जान गंवाने वाले किसानों को भी मुआवजा दिए जाने की मांग पर मांग ली गयी है. इसके अलावा बिजली और पराली पर किसानों की मांगें मान ली गई हैं.
'खत्म नहीं, स्थगित हुआ है किसान आंदोलन' ईटीवी भारत से किसान नेताओं की बातचीत
संयुक्त किसान मोर्चा के पांच सदस्यीय कमेटी के सदस्य और किसान नेता शिव कुमार कक्का ने बताया कि देश में इससे पहले भी 50 से ज्यादा कमेटी और आधा दर्जन के करीब कमिशन का गठन हुआ, लेकिन सभी की रिपोर्ट और शिफरिशें ठंडे बस्ते में चली गईं. सबसे लोकप्रिय उदाहरण स्वामिनाथन आयोग का ही है. इसलिये संयुक्त किसान मोर्चा का यह प्रयास रहेगा कि सीमित समय में न केवल कमेटी का निष्कर्ष सामने आए बल्कि उसका प्रभावी रूप से क्रियान्वयन भी हो.
गुरनाम सिंह चढुनी चले राजनीति की राह, शुरू करेंगे मिशन पंजाब
किसान नेता गुरनाम सिंह चढुनी ने आज एक बार फिर स्पष्ट कहा कि वह पंजाब चुनाव में मिशन पंजाब नाम के साथ उतरेंगे और न केवल स्वयं चुनाव लड़ेंगे, बल्कि उम्मीदवार भी उतारेंगे. चढुनी ने आगे बताया कि इसका संयुक्त किसान मोर्चा से कोई संबंध नहीं है, बल्कि यह उनका निजी निर्णय है. वह किसान हित में आगे की लड़ाई को और आगे बढ़ाना चाहते हैं और इसके लिये बहुत लोगों ने उन्हें चुनाव में उतरने के लिये कहा है.
सरकार से अच्छे होंगे संबंध, कमेटी से समस्या नहीं : धर्मेन्द मलिक
भारतीय किसान यूनियन (टिकैत) के प्रवक्ता धर्मेंद्र मलिक ने आंदोलन वापसी की घोषणा के बाद ईटीवी भारत से कहा कि देश में पहली बार किसानों ने अपनी राजनीतिक शक्ति का आभास सरकार को कराया है और सरकार के चर्चा के केंद्र में किसान आज है. यह आंदोलन की सबसे बड़ी उपलब्धि है. मलिक आंदोलन वापसी को बीच का रास्ता नहीं, बल्की किसानों की जीत मानते हैं. क्योंकि सरकार को उनकी लगभग सभी प्रमुख बात माननी पड़ी. हालांकी उन्होंने यह भी कहा कि उनका या उनके संगठन का सरकार या उनके लोगों से कोई बैर नहीं है और न ही सरकार की अन्य किसी कमेटी से उन्हें गुरेज है.
पढ़ेंः Farmers Protest : किसान आंदोलन स्थगित, 11 दिसंबर से घर लौटेंगे आंदोलनकारी