कोलकाता : मखाना की खेती मूलत: बिहार में की जाती है, लेकिन अब इसकी खेती पश्चिम बंगाल के मालदा जिले के हरिश्चंद्रपुर तक फैल गई है. मखाना की खेती से हरिश्चंद्रपुर के निवासी सौ करोड़ से अधिक रुपये का कारोबार करते हैं. इसकी खेती के चलते यहां के लोगों के सामाजिक-आर्थिक बुनियादी ढांचे में भी सुधार हुआ है. बिहार से हर वर्ष 10 से 12 हजार लोग यहां जीनव यापन करने आते हैं.
मखाना की खेती में फायदा अधिक होता है, जिसके चलते इसकी खेती हर वर्ष बढ़ रही है. इतना ही नहीं यहां के किसानों के बीच पसंद बनती जा रही है और हर वर्ष किसानों की संख्या बढ़ रही है.
हालांकि, राज्य सरकार इस खेती में कोई मदद नहीं कर रही है. राज्य सरकार इस खेती को बढ़वा भी नहीं दे रही है और इसका आधिकारिक तौर पर प्रचार-प्रसार भी नहीं किया जा रहा है. अगर सरकार ध्यान दे, तो यह जिला पूरे देश में ही नहीं, बल्कि विदेशों में भी मखाना के लिए जाना जाएगा.
क्या होता है मखाना और क्यों है महत्वपूर्ण
इसे अंग्रेजी में फॉक्स नट के नाम से जानते हैं. स्थानीय लोग इसे मखाना कहते हैं. कई लोग तो इसके नाम से भी परिचित नहीं होंगे, लेकिन यह कई गुणों से भरपूर होता है. इसकी लोकप्रियता कई देशों में है.
मखाना वजन कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसके अलाव यह ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर नियंत्रित करने में भी खास भूमिका निभाता है.
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मखाना को यूरेल फेरॉक्स, लोटस शीड, गोर्गन नट्स और फूल मखाना के नाम से भी जाना जाता है. इन बीजों का उपयोग अक्सर कुछ भारतीय मिठाइयों और सेवइयों जैसे खीर, रायता या मखाना करी में किया जाता है. इतना ही शाम की चाय-नाश्ते के रूप में भी इसका उपयोग किया जाता है.
डॉक्टर इसे गर्भवती महिलाओं को सुझाते हैं और नियमित रूप से सेवन करने का सुझाव देते हैं, क्योंकि इसमें शून्य कोलेस्ट्रॉल और वसा होता है और यह कैल्शियम से भरपूर होता है.