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कृषि कानूनों पर सरकार के प्रचार के जवाब में अन्नदाताओं का अभियान

केंद्र सरकार के कृषि कानूनों के खिलाफ विरोध बीते 26 नवंबर से जारी है. केंद्र सरकार किसानों का समर्थन हासिल करने के लिए जागरुकता अभियान चला रही है. इसके जवाब में किसानों के समूह ने भी अभियान की शुरुआत की है. किसान संगठनों का कहना है कि मोदी सरकार जितना एफडीआई और कॉर्पोरेट निवेश को बढ़ावा देगी उतना ही वह आंदोलन तेज करेंगे.

Farmers Plan Counter Campaign
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Published : Dec 20, 2020, 11:08 PM IST

नई दिल्ली : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने रविवार को घोषणा की कि वह तीन कृषि सुधार अधिनियमों के पक्ष में किसानों को समझाने के मोदी सरकार के प्रयासों के खिलाफ प्रचार अभियान चलाएगा.

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन को आज 25 दिन पूरे हो गए, आंदोलनकारी समूहों ने मृतक किसानों को श्रद्धांजलि दी और उन्हें आंदोलन का शहीद बताया.

एआईकेएससीसी ने शनिवार को केंद्रीय कृषि मंत्री के 'किसानों को पत्र ’के जवाब में एक खुला पत्र जारी किया था. किसान नेताओं ने फिर से चेतावनी दी है कि जितनी अधिक मोदी सरकार एफडीआई को बढ़ावा देगी, उतना ही अधिक दृढ़ इसके खिलाफ उनका संघर्ष होगा.

प्रदर्शनकारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस आंदोलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के किसान गाजीपुर और शाहजापुर सीमा पर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए है.

एआईकेएससीसी ने एक बार फिर कृषि में एफडीआई और कॉर्पोरेट निवेश को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की. 70 करोड़ लोग कृषि पर जीवित रहते हैं और उनका अस्तित्व इन कानूनों के साथ संकट पर है.

एक बयान में कहा गया है कि तीन कृषि कानून कृषि बाजारों को निष्क्रिय कर देंगे, कंपनियों और बड़े कारोबारियों को खाद्य स्टॉकिंग की अनुमति देंगे और सभी किसानों को बड़े व्यवसाय के साथ अनुबंधित किया जाएगा, जिससे उच्च ऋण के साथ किसानों पर बोझ बढ़ने लगेगा.

पढ़ें- कृषि कानूनों पर गतिरोध : 'मन की बात' का भी बहिष्कार करेंगे किसान, कल भूख हड़ताल

एआईकेएससीसी ने दावा किया कि देश भर के 22 राज्यों में विरोध प्रदर्शन के दौरान 40 मृत किसानों को श्रद्धांजलि दी गई. लगभग 90,000 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें 50 से अधिक लाख लोगों की भागीदारी थी.

इस बीच, हरियाणा और वेस्ट यूपी में बड़े विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. अधिक संख्या में लोग प्रदर्शन स्थलों पर जा रहे हैं. दूर राज्यों के प्रदर्शनकारियों के कई दल दिल्ली में किसानों के साथ जुड़ने की योजना बना रहे हैं.

नई दिल्ली : अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने रविवार को घोषणा की कि वह तीन कृषि सुधार अधिनियमों के पक्ष में किसानों को समझाने के मोदी सरकार के प्रयासों के खिलाफ प्रचार अभियान चलाएगा.

कृषि कानूनों के विरोध में किसानों के आंदोलन को आज 25 दिन पूरे हो गए, आंदोलनकारी समूहों ने मृतक किसानों को श्रद्धांजलि दी और उन्हें आंदोलन का शहीद बताया.

एआईकेएससीसी ने शनिवार को केंद्रीय कृषि मंत्री के 'किसानों को पत्र ’के जवाब में एक खुला पत्र जारी किया था. किसान नेताओं ने फिर से चेतावनी दी है कि जितनी अधिक मोदी सरकार एफडीआई को बढ़ावा देगी, उतना ही अधिक दृढ़ इसके खिलाफ उनका संघर्ष होगा.

प्रदर्शनकारियों की संख्या लगातार बढ़ रही है. इस आंदोलन में पश्चिमी उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के किसान गाजीपुर और शाहजापुर सीमा पर विरोध प्रदर्शन में शामिल हुए है.

एआईकेएससीसी ने एक बार फिर कृषि में एफडीआई और कॉर्पोरेट निवेश को बढ़ावा देने के लिए मोदी सरकार की आलोचना की. 70 करोड़ लोग कृषि पर जीवित रहते हैं और उनका अस्तित्व इन कानूनों के साथ संकट पर है.

एक बयान में कहा गया है कि तीन कृषि कानून कृषि बाजारों को निष्क्रिय कर देंगे, कंपनियों और बड़े कारोबारियों को खाद्य स्टॉकिंग की अनुमति देंगे और सभी किसानों को बड़े व्यवसाय के साथ अनुबंधित किया जाएगा, जिससे उच्च ऋण के साथ किसानों पर बोझ बढ़ने लगेगा.

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एआईकेएससीसी ने दावा किया कि देश भर के 22 राज्यों में विरोध प्रदर्शन के दौरान 40 मृत किसानों को श्रद्धांजलि दी गई. लगभग 90,000 स्थानों पर विरोध प्रदर्शन किया गया, जिसमें 50 से अधिक लाख लोगों की भागीदारी थी.

इस बीच, हरियाणा और वेस्ट यूपी में बड़े विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं. अधिक संख्या में लोग प्रदर्शन स्थलों पर जा रहे हैं. दूर राज्यों के प्रदर्शनकारियों के कई दल दिल्ली में किसानों के साथ जुड़ने की योजना बना रहे हैं.

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