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बिहार : किसानों की किस्मत बदल रहा ड्रैगन फ्रूट, एक एकड़ में लाखों की कमाई

कोरोना काल में ड्रैगन फ्रूट की खेती बिहार के कई किसानों की जिंदगी में खुशहाली ला रही है. अब बिहार के कई किसान इसकी खेती कर किस्मत आजमा रहे हैं. बिहार में बाढ़ से हर साल किसानों की कमर टूट जाती है. हजारों एकड़ धान की फसल बाढ़ से बर्बाद हो जाती है. ऐसे में सीमांचल के जिलों के किसानों ने धान के बदले ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की है.

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Published : Mar 29, 2021, 9:11 PM IST

ड्रैगन फ्रूट
ड्रैगन फ्रूट

पटना : कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोग अब शरीर को स्वस्थ और सेहतमंद बनाए रखने वाले रोग प्रतिरोधी फलों को दैनिक आहार में शामिल कर रहे हैं. लिहाजा कोविड काल में इंसानी खानपान में आए परिवर्तन के साथ ही खेती का ट्रेंड भी तेजी से बदल रहा है. पारंपरिक खेती से मुंह मोड़ बिहार के पूर्णिया जिले के किसान अनोखी इंटरक्रॉपिंग तकनीक से माउंटेन फल ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. किसान के मुताबिक इसमें एक बार की लागत में करीब 25 साल तक मुनाफा होता है.

जलालखढ़ प्रखंड के किसान तीन एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. दरअसल, जिला मुख्यालय से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर जलालगढ़ प्रखंड क्षेत्र के हांसी बेगमपुर गांव में रहने वाले किसान रंजय कुमार मंडल करीब तीन एकड़ जमीन पर पहाड़ी फल ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. जिसमें उन्हें उनके परिवार के लोगों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है.

ड्रैगन फ्रूट की खेती

उनका कहना है कि संक्रमण के इस दौर में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कोरोना से जारी जंग जीतने के लिए इसकी खेती शुरू की. इसके लिए उन्होंने तीन एकड़ भूमि पर 1800 पिलर लगाए हैं. इस हिसाब से ड्रैगन फ्रूट के 7200 पौधे लगाए गए हैं.

आधुनिक तकनीक से खेती
इंटरक्रॉपिंग तकनीक ने पारंपरिक खेती के घाटे से उबारा है. वे बताते हैं कि जादुई फल ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए इंटरक्रॉपिंग तकनीक अपनाई है. इसके तहत खेत की खाली जगहों का भी समुचित उपयोग किया जा रहा है. इसके लिए उन्होंने शिमला मिर्च, फूलगोभी, पपीता समेत करीब आधा दर्जन हरी सब्जियों के पौधे लगाए हैं. सबसे खास बात यह है कि वे इसकी खेती जैविक विधि से खेती कर रहे हैं. दूसरे साल में ही उन्हें इसका मुनाफा मिलना शुरू हो गया.

मक्का छोड़ शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती
किसान रंजय कुमार मंडल ने कहा कि इससे पहले इन खेतों में वे मक्के की खेती करते आ रहे थे. लेकिन इसमें लगातार होते घाटे के बाद उन्होंने खेती का ट्रेंड बदला और ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की. वह बताते हैं कि वर्ष 2018 में जब सबसे पहले उन्होंने इस पहाड़ी फल की खेती प्रारंभ की, तो उम्मीद के मुताबिक मुनाफा हाथ नहीं लगा. इसके बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट के साथ इंटरक्रॉपिंग तकनीक के तहत करीब आधा दर्जन हरी सब्जियों और पपीते जैसे फलों के पौधे लगाए. जैसे-जैसे लोगों को इसके फायदे की जनकारी मिलने लगी, ड्रैगन फ्रूट की डिमांड भी बढ़ने लगी है.

पटना समेत झारंखड, बंगाल में ज्यादा मांग
किसान रंजय कुमार मंडल ने कहा कि मौजूदा दौर में हाथों-हाथ उनके खेतों का फल ड्रैगन फ्रूट बिकने लगा है. राजधानी पटना समेत पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे राज्यों से इस फल की डिमांड आ रही है. जिसे वे फिलहाल पूरा करने में अक्षम हैं. यह इस प्रकार की खेती है कि एक बार लगाओ 25 साल तक मुनाफा कमाते रहो. वह बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की इंटीग्रेटेड खेती में उन्हें प्रति एकड़ पांच लाख का खर्च आया. वहीं एक साल में ही करीब सात लाख तक का मुनाफा कमा चुके हैं.

पढ़ें - हरियाणा : इस किसान को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए हो रहा लाखों का मुनाफा

एक बार की लागत में 25 साल तक मुनाफा
किसान रंजय कुमार मंडल ने कहा कि इस खेती के कई फायदे हैं. इसे एक बार लगाने पर 25 साल तक मुनाफा कमाया जा सकता है. वहीं, सब्जियों और फल को जोड़ दें तो यह करीब साढ़े आठ लाख रुपये के करीब है. ड्रैगन फ्रूट की खेती बेशुमार मुनाफे से भरपूर है. नवीन कृषि पर वर्षों से काम कर रहें मनीष यादव बताते हैं कि अगर इनकी तरह बाकी किसान भी धैर्य रखकर इसकी नियमित खेती करें तो पांच साल के भीतर इस करिश्माई फल से प्रति एकड़ 20 लाख रुपये का फायदा कमा सकते हैं. इस खेती में जैविक विधि का ही प्रयोग किया जाना चाहिए.

दूसरे किसान भी ड्रैगन फ्रूट की कर रहे खेती
पूर्णिया जिले के दूसरे किसान भी ड्रैगन फ्रूट की खेती की ओर उन्मुख हो रहे हैं. वहीं किसान रंजय मंडल बताते हैं कि संक्रमण काल में जिस प्रकार इस फल के फायदे सामने आए हैं. बाजार में ड्रैगन फ्रूट की डिमांड बढ़ी है. इससे कुछ महीनों में ही उनका टारगेट मुनाफा पार कर गया है.

वहीं, ड्रैगन फ्रूट की इस नवीन खेती के बाद से दूसरे किसान भी अब इसकी खेती करने के विचार लिए उनके पास आ रहे हैं. फल के फायदे और मुनाफा देख दूसरे किसान भी इसकी खेती की ओर तेजी से उन्मुख हो रहे हैं.

पटना : कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लोग अब शरीर को स्वस्थ और सेहतमंद बनाए रखने वाले रोग प्रतिरोधी फलों को दैनिक आहार में शामिल कर रहे हैं. लिहाजा कोविड काल में इंसानी खानपान में आए परिवर्तन के साथ ही खेती का ट्रेंड भी तेजी से बदल रहा है. पारंपरिक खेती से मुंह मोड़ बिहार के पूर्णिया जिले के किसान अनोखी इंटरक्रॉपिंग तकनीक से माउंटेन फल ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. किसान के मुताबिक इसमें एक बार की लागत में करीब 25 साल तक मुनाफा होता है.

जलालखढ़ प्रखंड के किसान तीन एकड़ में ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. दरअसल, जिला मुख्यालय से तकरीबन 15 किलोमीटर दूर जलालगढ़ प्रखंड क्षेत्र के हांसी बेगमपुर गांव में रहने वाले किसान रंजय कुमार मंडल करीब तीन एकड़ जमीन पर पहाड़ी फल ड्रैगन फ्रूट की खेती कर रहे हैं. जिसमें उन्हें उनके परिवार के लोगों का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है.

ड्रैगन फ्रूट की खेती

उनका कहना है कि संक्रमण के इस दौर में शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाकर कोरोना से जारी जंग जीतने के लिए इसकी खेती शुरू की. इसके लिए उन्होंने तीन एकड़ भूमि पर 1800 पिलर लगाए हैं. इस हिसाब से ड्रैगन फ्रूट के 7200 पौधे लगाए गए हैं.

आधुनिक तकनीक से खेती
इंटरक्रॉपिंग तकनीक ने पारंपरिक खेती के घाटे से उबारा है. वे बताते हैं कि जादुई फल ड्रैगन फ्रूट की खेती के लिए इंटरक्रॉपिंग तकनीक अपनाई है. इसके तहत खेत की खाली जगहों का भी समुचित उपयोग किया जा रहा है. इसके लिए उन्होंने शिमला मिर्च, फूलगोभी, पपीता समेत करीब आधा दर्जन हरी सब्जियों के पौधे लगाए हैं. सबसे खास बात यह है कि वे इसकी खेती जैविक विधि से खेती कर रहे हैं. दूसरे साल में ही उन्हें इसका मुनाफा मिलना शुरू हो गया.

मक्का छोड़ शुरू की ड्रैगन फ्रूट की खेती
किसान रंजय कुमार मंडल ने कहा कि इससे पहले इन खेतों में वे मक्के की खेती करते आ रहे थे. लेकिन इसमें लगातार होते घाटे के बाद उन्होंने खेती का ट्रेंड बदला और ड्रैगन फ्रूट की खेती शुरू की. वह बताते हैं कि वर्ष 2018 में जब सबसे पहले उन्होंने इस पहाड़ी फल की खेती प्रारंभ की, तो उम्मीद के मुताबिक मुनाफा हाथ नहीं लगा. इसके बाद उन्होंने ड्रैगन फ्रूट के साथ इंटरक्रॉपिंग तकनीक के तहत करीब आधा दर्जन हरी सब्जियों और पपीते जैसे फलों के पौधे लगाए. जैसे-जैसे लोगों को इसके फायदे की जनकारी मिलने लगी, ड्रैगन फ्रूट की डिमांड भी बढ़ने लगी है.

पटना समेत झारंखड, बंगाल में ज्यादा मांग
किसान रंजय कुमार मंडल ने कहा कि मौजूदा दौर में हाथों-हाथ उनके खेतों का फल ड्रैगन फ्रूट बिकने लगा है. राजधानी पटना समेत पश्चिम बंगाल और झारखंड जैसे राज्यों से इस फल की डिमांड आ रही है. जिसे वे फिलहाल पूरा करने में अक्षम हैं. यह इस प्रकार की खेती है कि एक बार लगाओ 25 साल तक मुनाफा कमाते रहो. वह बताते हैं कि ड्रैगन फ्रूट की इंटीग्रेटेड खेती में उन्हें प्रति एकड़ पांच लाख का खर्च आया. वहीं एक साल में ही करीब सात लाख तक का मुनाफा कमा चुके हैं.

पढ़ें - हरियाणा : इस किसान को कॉन्ट्रैक्ट फार्मिंग के जरिए हो रहा लाखों का मुनाफा

एक बार की लागत में 25 साल तक मुनाफा
किसान रंजय कुमार मंडल ने कहा कि इस खेती के कई फायदे हैं. इसे एक बार लगाने पर 25 साल तक मुनाफा कमाया जा सकता है. वहीं, सब्जियों और फल को जोड़ दें तो यह करीब साढ़े आठ लाख रुपये के करीब है. ड्रैगन फ्रूट की खेती बेशुमार मुनाफे से भरपूर है. नवीन कृषि पर वर्षों से काम कर रहें मनीष यादव बताते हैं कि अगर इनकी तरह बाकी किसान भी धैर्य रखकर इसकी नियमित खेती करें तो पांच साल के भीतर इस करिश्माई फल से प्रति एकड़ 20 लाख रुपये का फायदा कमा सकते हैं. इस खेती में जैविक विधि का ही प्रयोग किया जाना चाहिए.

दूसरे किसान भी ड्रैगन फ्रूट की कर रहे खेती
पूर्णिया जिले के दूसरे किसान भी ड्रैगन फ्रूट की खेती की ओर उन्मुख हो रहे हैं. वहीं किसान रंजय मंडल बताते हैं कि संक्रमण काल में जिस प्रकार इस फल के फायदे सामने आए हैं. बाजार में ड्रैगन फ्रूट की डिमांड बढ़ी है. इससे कुछ महीनों में ही उनका टारगेट मुनाफा पार कर गया है.

वहीं, ड्रैगन फ्रूट की इस नवीन खेती के बाद से दूसरे किसान भी अब इसकी खेती करने के विचार लिए उनके पास आ रहे हैं. फल के फायदे और मुनाफा देख दूसरे किसान भी इसकी खेती की ओर तेजी से उन्मुख हो रहे हैं.

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