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किसान संगठनों ने लॉन्च किया 'एमएसपी लूट कैलकुलेटर', सरकारी दावे की खुलेगी पोल - किसान आंदोलन

न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) को लेकर केंद्र सरकार के दावों को पोल खोलने के लिए जय किसान आंदोलन ने 'एमएसपी लूट कैलकुलेटर' लॉन्च किया है. इसके माध्यम से अलग-अलग राज्यों में एमएसपी से कम रेट पर की जा रही फसलों की खरीद के आंकड़े जारी किए जाएंगे.

एमएसपी लूट कैलकुलेटर
एमएसपी लूट कैलकुलेटर
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Published : Mar 18, 2021, 5:39 PM IST

नई दिल्ली : एमएसपी पर गारंटी के साथ खरीद के लिए कानून बनाने की मांग पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों में शामिल जय किसान आंदोलन ने अब 'एमएसपी लूट कैलकुलेटर' लॉन्च कर दिया है, जिसके माध्यम से वह प्रतिदिन देश के अलग-अलग राज्यों के आंकड़े जारी करेंगे, जहां एमएसपी से कम रेट पर फसलों की खरीद की जा रही है.

मौजूदा मौसम में चने की फसल मंडियों तक पहुंच रही है, लेकिन चने की खरीद एमएसपी से कम रेट पर की जा रही है. गुरुवार के आंकड़े चने की फसल को आधार बना कर जारी किए गए हैं. दावा है कि चना किसानों को मौजूदा वर्ष में एमएसपी से कम दर पर फसल बेचने के कारण 870 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

जय किसान आंदोलन के नेता योगेन्द्र यादव का दावा है कि मार्च के पहले महीने में ही किसानों को सरकार ने 140 करोड़ कम दिए हैं. दरअसल, इस समय पश्चिम बंगाल और गुजरात में किसान चने की फसल बेच रहे हैं, जिस पर सरकार द्वारा घोषित एमएसपी 5,100 रुपये प्रति क्विंटल है. 15 मार्च तक मंडियों में 32 लाख क्विंटल चना बिक्री के लिए पहुंचा है, जो कुल अनुमानित उत्पाद का लगभग 16% ही है.

जय किसान आंदोलन के मुताबिक, मंडियों में किसानों को औसतन 4,663 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत मिल रही है. इसका मतलब है कि किसानों को प्रति क्विंटल 437 रुपये कम पर चने की फसल बेचनी पड़ रही है. वहीं चने की फसल उगाने में अग्रणी राज्य गुजरात की बात की जाए तो वहां किसानों को औसतन 4,462 रुपये प्रति क्विंटल ही मिल पाए. इस आंकड़े के मुताबिक, किसानों को तय एमएसपी के मुकाबले प्रति क्विंटल 638 रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

दावे के मुताबिक, गुजरात के किसानों को इस तरह से अब तक 46 करोड़ रुपये कम मिले हैं, जबकि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों को क्रमशः 38 करोड़ रुपये और 35 करोड़ रुपये कम मिले.

2020-21 में चना किसानों को 884 करोड़ रुपये का नुकसान
योगेन्द्र यादव का कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है और सरकार द्वारा तय एमएसपी पर खरीद न हो पाने से हर वर्ष किसानों को भारी नुकसान होता है. वर्ष 2020-21 में चना उगाने वाले किसानों को तय एमएसपी से 800 करोड़ रुपये तक कम मिले और इस तरह से उन्हें 884 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा. वहीं वर्ष 2019-20 में किसानों को एमएसपी से लगभग 957 करोड़ रुपये कम दिया गया.

एगमार्क नेट वेबसाइट से लिए गए आंकड़े
'एमएसपी लूट कैलकुलेटर' पर इस्तेमाल किए गए आंकड़े की विश्वसनीयता पर बात करते हुए जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अविक साहा ने कहा कि ये आंकड़े सरकार की वेबसाइट 'एगमार्क' नेट से लिए गए हैं.

इस तरह से अब किसान संगठन प्रत्येक दिन देश के किसी राज्य या मंडी के आंकड़े जारी करेगा. अविक साहा ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित एमएसपी का फायदा किसानों को कितना मिल पाता है, इस पर एक रिपोर्ट उन्होंने दो साल पहले भी नीती आयोग के समक्ष पेश की थी और अब उनका संगठन प्रतिदिन आंकड़े जारी कर सरकार के दावों का भांडा फोड़ करेगा.

यह भी पढ़ें- सरकार-किसानों के बीच केवल वार्ता का स्वांग हो रहा : योगेंद्र यादव

जय किसान आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन में भी शामिल है, जो तीन कृषि कानूनो को रद्द करने की मांग के साथ विगत 112 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

नई दिल्ली : एमएसपी पर गारंटी के साथ खरीद के लिए कानून बनाने की मांग पर आंदोलन कर रहे किसान संगठनों में शामिल जय किसान आंदोलन ने अब 'एमएसपी लूट कैलकुलेटर' लॉन्च कर दिया है, जिसके माध्यम से वह प्रतिदिन देश के अलग-अलग राज्यों के आंकड़े जारी करेंगे, जहां एमएसपी से कम रेट पर फसलों की खरीद की जा रही है.

मौजूदा मौसम में चने की फसल मंडियों तक पहुंच रही है, लेकिन चने की खरीद एमएसपी से कम रेट पर की जा रही है. गुरुवार के आंकड़े चने की फसल को आधार बना कर जारी किए गए हैं. दावा है कि चना किसानों को मौजूदा वर्ष में एमएसपी से कम दर पर फसल बेचने के कारण 870 करोड़ रुपये का नुकसान होगा.

जय किसान आंदोलन के नेता योगेन्द्र यादव का दावा है कि मार्च के पहले महीने में ही किसानों को सरकार ने 140 करोड़ कम दिए हैं. दरअसल, इस समय पश्चिम बंगाल और गुजरात में किसान चने की फसल बेच रहे हैं, जिस पर सरकार द्वारा घोषित एमएसपी 5,100 रुपये प्रति क्विंटल है. 15 मार्च तक मंडियों में 32 लाख क्विंटल चना बिक्री के लिए पहुंचा है, जो कुल अनुमानित उत्पाद का लगभग 16% ही है.

जय किसान आंदोलन के मुताबिक, मंडियों में किसानों को औसतन 4,663 रुपये प्रति क्विंटल की कीमत मिल रही है. इसका मतलब है कि किसानों को प्रति क्विंटल 437 रुपये कम पर चने की फसल बेचनी पड़ रही है. वहीं चने की फसल उगाने में अग्रणी राज्य गुजरात की बात की जाए तो वहां किसानों को औसतन 4,462 रुपये प्रति क्विंटल ही मिल पाए. इस आंकड़े के मुताबिक, किसानों को तय एमएसपी के मुकाबले प्रति क्विंटल 638 रुपये का नुकसान झेलना पड़ रहा है.

दावे के मुताबिक, गुजरात के किसानों को इस तरह से अब तक 46 करोड़ रुपये कम मिले हैं, जबकि महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के किसानों को क्रमशः 38 करोड़ रुपये और 35 करोड़ रुपये कम मिले.

2020-21 में चना किसानों को 884 करोड़ रुपये का नुकसान
योगेन्द्र यादव का कहना है कि यह कोई नई बात नहीं है और सरकार द्वारा तय एमएसपी पर खरीद न हो पाने से हर वर्ष किसानों को भारी नुकसान होता है. वर्ष 2020-21 में चना उगाने वाले किसानों को तय एमएसपी से 800 करोड़ रुपये तक कम मिले और इस तरह से उन्हें 884 करोड़ रुपये का नुकसान झेलना पड़ा. वहीं वर्ष 2019-20 में किसानों को एमएसपी से लगभग 957 करोड़ रुपये कम दिया गया.

एगमार्क नेट वेबसाइट से लिए गए आंकड़े
'एमएसपी लूट कैलकुलेटर' पर इस्तेमाल किए गए आंकड़े की विश्वसनीयता पर बात करते हुए जय किसान आंदोलन के राष्ट्रीय संयोजक अविक साहा ने कहा कि ये आंकड़े सरकार की वेबसाइट 'एगमार्क' नेट से लिए गए हैं.

इस तरह से अब किसान संगठन प्रत्येक दिन देश के किसी राज्य या मंडी के आंकड़े जारी करेगा. अविक साहा ने कहा कि सरकार द्वारा घोषित एमएसपी का फायदा किसानों को कितना मिल पाता है, इस पर एक रिपोर्ट उन्होंने दो साल पहले भी नीती आयोग के समक्ष पेश की थी और अब उनका संगठन प्रतिदिन आंकड़े जारी कर सरकार के दावों का भांडा फोड़ करेगा.

यह भी पढ़ें- सरकार-किसानों के बीच केवल वार्ता का स्वांग हो रहा : योगेंद्र यादव

जय किसान आंदोलन संयुक्त किसान मोर्चा के आंदोलन में भी शामिल है, जो तीन कृषि कानूनो को रद्द करने की मांग के साथ विगत 112 दिन से दिल्ली की सीमाओं पर धरना प्रदर्शन कर रहे हैं.

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