अलवर : देश में 77 दिनों से चल रहा किसान आंदोलन लगातार रफ्तार पकड़ रहा है. किसान नेताओं की तरफ से लगातार सरकार को घेरने के प्रयास भी किए जा रहे हैं. वहीं, अब किसानों ने अपने प्रदर्शन को उग्र करने की योजना भी तैयार की है. किसान नेता राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित देश के विभिन्न राज्यों में महापंचायत कर रहे हैं. राजस्थान में महापंचायत का सिलसिला शुरू हो चुका है. इसकी शुरुआत अलवर के लक्ष्मणगढ़ से की गई है. गुरुवार को लक्ष्मणगढ़ में पहली किसान महापंचायत की गई. इसमें किसान नेता राकेश टिकैत सहित अन्य किसान नेता पहुंचे.
अलवर जिले के दौरे पर आए किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि जब तक तीनों कृषि कानून वापस नहीं होते हैं, तब तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा. उन्होंने कहा कि सरकार उनकी संपत्ति का सही आकलन नहीं कर पाई है. उनके संपत्ति इससे और भी अधिक है.
उन्होंने कहा कि राजस्थान के किसानों को एकजुट करने के लिए वो राजस्थान दौरे पर आए हैं. इससे किसान आंदोलन को और गति मिल सकेगी. उन्होंने कहा कि सरकार की ओर से किसान आंदोलन को कमजोर करने की कोशिश की जा रही है, लेकिन जब तक किसानों के हितों की रक्षा के लिए तीनों कानून वापस नहीं होंगे तब तक आंदोलन जारी रखेंगे.
'18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन की बन रही रणनीति'
टिकैत ने कहा कि 18 फरवरी को रेल रोको आंदोलन की रणनीति चल रही है. उसे कमेटी तय करेगी कि आगे अलग-अलग तरीके से आंदोलन किस रूप में किया जाए. राकेश टिकैत ने सरकार को चेतावनी देते हुए कहा कि जब तक सरकार नहीं आएगी तब तक प्रदर्शन जारी रहेगा. सरकार की मंशा प्रदर्शन समाप्त करने की नहीं है, वो एक आम किसान की लड़ाई लड़ रहे हैं. राजस्थान, हरियाणा, उत्तर प्रदेश सहित पूरे देश के किसानों को उनकी फसल का मूल्य नहीं मिलता है और किसान परेशान रहता है.
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'चुनाव नहीं लड़ेंगे, किसान की लड़ाई लड़ रहे हैं'
किसान नेता राकेश टिकैत ने कहा कि किसान साल भर मेहनत मजदूरी कर अपनी फसल पैदा करता है. कभी बारिश तो कभी ओले उसकी फसल को खराब करते हैं, जो फसल बचती है उस फसल का दाम किसान को नहीं मिलता है. टिकैत ने कहा कि सरकार ने दिल्ली में जो कील लगाए हैं, उन कील को निकाल कर जाएंगे. उन्होंने कहा कि वो चुनाव नहीं लड़ेंगे वो किसान की लड़ाई लड़ रहे हैं.