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कृषि कानूनों के खिलाफ प्रदर्शन के दौरान गोली लगने से संत की मौत, सुसाइड नोट बरामद - protest against farm laws

केंद्र सरकार द्वारा बनाए गए कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले 21 दिनों से किसान आंदोलन कर रहे हैं. दिल्ली-हरियाणा सीमा पर हजारों की संख्या में पंजाब व अन्य राज्यों के किसान धरना दे रहे हैं. इस मामले में सुप्रीम कोर्ट भी सुनवाई कर रही है. आज एक अप्रत्याशित घटनाक्रम में सिंघु बॉर्डर पर एक संत की मौत हो गई है. घटनास्थल से सुसाइड नोट भी बरामद हुआ है.

गोली लगने से किसान की मौत
गोली लगने से किसान की मौत
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Published : Dec 16, 2020, 9:28 PM IST

Updated : Dec 17, 2020, 7:28 AM IST

सोनीपत: सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ बुधवार को करनाल के संत रामसिंह ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली. संत रामसिंह के पास से सुसाइड नोट भी मिला है. संत रामसिंह करनाल के सिंगडा गांव के गुरुद्वारे में रहते थे.

गोली लगने के बाद संत रामसिंह को पानीपत के पार्क अस्पताल में इलाज के लाया गया. जहां डॉक्टर्स ने संत रामसिंह को मृत घोषित कर दिया. सोनीपत पुलिस को संत के पास से सुसाइट नोट भी मिला है.

farmer
किसान संत रामसिंह की मौत के बाद बरामद सुसाइड नोट

संत ने सुसाइड नोट में क्या लिखा?

किसानों का दुख देखा, अपने हक के लिए सड़कों पर बैठे हैं. बहुत दिल दुखा है. सरकार न्याय नहीं दे रही, जुल्म है. जुल्म करना पाप है, जुल्म सहना भी पाप है. किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ कुछ किया, कुछ नहीं किया. कइयों ने सम्मान वापस किये, पुरुस्कार वापस करके रोष जताया. मैं किसानों के हक के लिए और सरकार के जुल्म के खिलाफ आत्महत्या करता हूं. ये जुल्म के खिलाफ आवाज है. ये कीर्ति किसानों के हक में आवाज है. वाहे गुरू जी का खालसा. वाहे गुरू जी की फतेह.

21 दिन से किसानों का प्रदर्शन जारी

बता दें कि 21 दिन से किसान हरियाणा-दिल्ली सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं. बढ़ती ठंड की वजह से किसानों की मौत की संख्या भी बढ़ती जा रही है. वहीं बुधवार शाम को करनाल के एक किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. सोनीपत पुलिस मामले की जांच में लगी है.

ये भी पढ़ें- सोनीपत: सिंघु बॉर्डर पर बढ़ती ठंड और हार्ट अटैक से एक और किसान की मौत

अब तक 6 किसानों की हुई मौत

  • बुधवार 16 दिसंबर की सुबह ही पंजाब के पटियाला जिले के रहने वाले पाला नाम के किसान की मौत हुई थी. शुरुआती जांच के मुताबिक बढ़ती ठंड और हार्ट अटैक की वजह से किसान की मौत हुई है.
  • 15 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर के उषा टॉवर के सामने एक किसान की मौत हो गई थी. मृतक किसान की पहचान गुरमीत निवासी मोहाली (उम्र 70 साल) के रूप में हुई. खबर है कि हार्ट अटैक की वजह से किसान की मौत हुई है.
  • 15 दिसंबर को की देर रात को करनाल में सड़क हासदा हुआ. जिसमें दिल्ली से धरना देकर लौट रहे दो किसानों की मौत हो गई. इस हादसे में कई किसान घायल भी हो गए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मरने वाले किसानों में एक 24 साल का गुरप्रीत था, जो अपने माता-पिता का इकलौता लड़का था.
  • 14 दिसंबर सोमवार को सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे मक्खन सिंह नाम के किसान की मौत हो गई थी. खबर है कि हार्ट अटैक की वजह से किसान की मौत हुई. मृतक किसान के जानकारों ने सरकार से उनके परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता की मांग की है.
  • 6 दिसंबर को सिरसा के कलांवली के कमलजीत नाम के किसान की मौत हो गई. धरने से वापस लौटते समय खुंईयामलकाना टोल के पास उनकी तबीयत बिगड़ गई. परिजनों ने कमलजीत सिंह को तुरंत डबावील के सिलिव अस्पताल में भर्ती करवाया. गंभीर हालत की वजह से डॉक्टरों ने जवाब दे दिया. जिसके बाद उन्हें सिरसा के सिविल अस्पताल लाया गया. जहां किसान ने दम तोड़ दिया.

सोनीपत: सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों के खिलाफ बुधवार को करनाल के संत रामसिंह ने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली. संत रामसिंह के पास से सुसाइड नोट भी मिला है. संत रामसिंह करनाल के सिंगडा गांव के गुरुद्वारे में रहते थे.

गोली लगने के बाद संत रामसिंह को पानीपत के पार्क अस्पताल में इलाज के लाया गया. जहां डॉक्टर्स ने संत रामसिंह को मृत घोषित कर दिया. सोनीपत पुलिस को संत के पास से सुसाइट नोट भी मिला है.

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किसान संत रामसिंह की मौत के बाद बरामद सुसाइड नोट

संत ने सुसाइड नोट में क्या लिखा?

किसानों का दुख देखा, अपने हक के लिए सड़कों पर बैठे हैं. बहुत दिल दुखा है. सरकार न्याय नहीं दे रही, जुल्म है. जुल्म करना पाप है, जुल्म सहना भी पाप है. किसी ने किसानों के हक में और जुल्म के खिलाफ कुछ किया, कुछ नहीं किया. कइयों ने सम्मान वापस किये, पुरुस्कार वापस करके रोष जताया. मैं किसानों के हक के लिए और सरकार के जुल्म के खिलाफ आत्महत्या करता हूं. ये जुल्म के खिलाफ आवाज है. ये कीर्ति किसानों के हक में आवाज है. वाहे गुरू जी का खालसा. वाहे गुरू जी की फतेह.

21 दिन से किसानों का प्रदर्शन जारी

बता दें कि 21 दिन से किसान हरियाणा-दिल्ली सिंघु बॉर्डर पर कृषि कानूनों को रद्द करने की मांग को लेकर धरना दे रहे हैं. बढ़ती ठंड की वजह से किसानों की मौत की संख्या भी बढ़ती जा रही है. वहीं बुधवार शाम को करनाल के एक किसान की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई. सोनीपत पुलिस मामले की जांच में लगी है.

ये भी पढ़ें- सोनीपत: सिंघु बॉर्डर पर बढ़ती ठंड और हार्ट अटैक से एक और किसान की मौत

अब तक 6 किसानों की हुई मौत

  • बुधवार 16 दिसंबर की सुबह ही पंजाब के पटियाला जिले के रहने वाले पाला नाम के किसान की मौत हुई थी. शुरुआती जांच के मुताबिक बढ़ती ठंड और हार्ट अटैक की वजह से किसान की मौत हुई है.
  • 15 दिसंबर को सिंघु बॉर्डर के उषा टॉवर के सामने एक किसान की मौत हो गई थी. मृतक किसान की पहचान गुरमीत निवासी मोहाली (उम्र 70 साल) के रूप में हुई. खबर है कि हार्ट अटैक की वजह से किसान की मौत हुई है.
  • 15 दिसंबर को की देर रात को करनाल में सड़क हासदा हुआ. जिसमें दिल्ली से धरना देकर लौट रहे दो किसानों की मौत हो गई. इस हादसे में कई किसान घायल भी हो गए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. मरने वाले किसानों में एक 24 साल का गुरप्रीत था, जो अपने माता-पिता का इकलौता लड़का था.
  • 14 दिसंबर सोमवार को सिंघु बॉर्डर पर प्रदर्शन कर रहे मक्खन सिंह नाम के किसान की मौत हो गई थी. खबर है कि हार्ट अटैक की वजह से किसान की मौत हुई. मृतक किसान के जानकारों ने सरकार से उनके परिवार के सदस्य को सरकारी नौकरी और आर्थिक सहायता की मांग की है.
  • 6 दिसंबर को सिरसा के कलांवली के कमलजीत नाम के किसान की मौत हो गई. धरने से वापस लौटते समय खुंईयामलकाना टोल के पास उनकी तबीयत बिगड़ गई. परिजनों ने कमलजीत सिंह को तुरंत डबावील के सिलिव अस्पताल में भर्ती करवाया. गंभीर हालत की वजह से डॉक्टरों ने जवाब दे दिया. जिसके बाद उन्हें सिरसा के सिविल अस्पताल लाया गया. जहां किसान ने दम तोड़ दिया.
Last Updated : Dec 17, 2020, 7:28 AM IST
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