ETV Bharat / bharat

संसद में निरस्त करें कानून और MSP पर कानूनी गारंटी दें, तब तक संघर्ष जारी रहेगा : पंजाब के ग्रामीण - होशियारपुर न्यूज

पंजाब के ग्रामीणों का कहना है कि तब तक हमारा संघर्ष जारी रहेगा, जब तक केंद्र सरकार संसद में तीनों कृषि कानूनों को रद्द नहीं करती और न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) पर गारंटी नहीं देती है. बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को गुरु पर्व के मौके पर राष्ट्रहित में कानूनों को वापस लेने की सरकार की मंशा की घोषणा की थी

पंजाब के ग्रामीण
पंजाब के ग्रामीण
author img

By

Published : Nov 21, 2021, 5:37 PM IST

मोहाली/होशियारपुर : केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले वर्ष से हो रहे प्रदर्शनों का हिस्सा रहीं 62 वर्षीय भूपिंदर कौर का कहना है कि भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानूनों को निरस्त करने की घोषणा कर दी है, लेकिन लड़ाई अभी भी खत्म नहीं हुई है.

पंजाब के मोहाली जिले के चिल्ला गांव में एक गुरुद्वारे में अन्य महिलाओं के साथ 'लंगर' तैयार कर रहीं कौर ने कहा कि यह लड़ाई तब तक खत्म नहीं होगी जब तक कि कानूनों को संसद में औपचारिक रूप से निरस्त नहीं कर दिया जाता और फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की किसानों की मांग मान नहीं ली जाती.

किसान आंदोलन.
किसान आंदोलन.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि इन कानूनों को निरस्त करने के लिए संवैधानिक औपचारिकताएं संसद के 29 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में की जाएंगी.

कौर के साथ मौजूद अन्य महिलाओं ने भी उनकी बात से सहमति जताते हुए कहा कि संसद में इन कानूनों को औपचारिक रूप से निरस्त करने और फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग मानने के साथ ही प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को आर्थिक मुआवजा भी दिया जाना चाहिए.

करीब दो हजार की आबादी वाले चिल्ला गांव के लोग किसी किसान संगठन से नहीं जुड़े हैं लेकिन दिल्ली के पास सिंघू बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में हुए प्रदर्शनों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही.

नजदीक के मनौली, भागो माजरा, सांते माजरा, छोटा रायपुर और बड़ा रायपुर जैसे गांवों के लोग भी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन में शामिल होते रहे हैं.

भूपिंदर कौर ने पीटीआई-भाषा से कहा, 'जब तक तीनों कृषि कानून संसद में निरस्त नहीं कर दिए जाते जब तक संघर्ष जारी रहेगा.'

चिल्ला गांव में गुरुद्वारा प्रमुख बाबा सुखचैन सिंह ने कहा, 'किसी ने मुझे फोन किया और बधाई दी. मुझे लगा कि बधाई गुरु पर्व के कारण दी गई लेकिन फिर उन्होंने बताया कि कृषि कानून निरस्त कर दिए गए. मैं तब खाना खा रहा था, उसे बीच में ही छोड़कर मैं सीधे गुरुद्वारे पहुंचा और गांववालों को बताया कि हम जीत गए.'

उन्होंने दावा किया कि किसानों के पास इतना राशन था कि वे 2024 तक दिल्ली की सीमाओं पर बने रह सकते थे.

यह भी पढ़ें- केंद्रीय मंत्रिमंडल बुधवार को कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयकों को दे सकता है मंजूरी

जगतार सिंह गिल ने कहा कि लोग यह भूलेंगे नहीं कि भाजपा नीत केंद्र सरकार को कानूनों को निरस्त करने में एक साल लग गया. उन्होंने कहा कि भाजपा के खिलाफ जो गुस्सा है, वह इतनी जल्द शांत नहीं होगा. उन्होंने कहा, 'किसान यह भी नहीं भूलेंगे कि उन्हें आतंकवादी, खालिस्तानी कहा गया.'

अमृतसर में पंचायत सदस्य सरबजीत सिंह ने कहा, 'किसान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा से बहुत खुश हैं.

(पीटीआई भाषा)

मोहाली/होशियारपुर : केंद्र के तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पिछले वर्ष से हो रहे प्रदर्शनों का हिस्सा रहीं 62 वर्षीय भूपिंदर कौर का कहना है कि भले ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कानूनों को निरस्त करने की घोषणा कर दी है, लेकिन लड़ाई अभी भी खत्म नहीं हुई है.

पंजाब के मोहाली जिले के चिल्ला गांव में एक गुरुद्वारे में अन्य महिलाओं के साथ 'लंगर' तैयार कर रहीं कौर ने कहा कि यह लड़ाई तब तक खत्म नहीं होगी जब तक कि कानूनों को संसद में औपचारिक रूप से निरस्त नहीं कर दिया जाता और फसल के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) की कानूनी गारंटी की किसानों की मांग मान नहीं ली जाती.

किसान आंदोलन.
किसान आंदोलन.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को राष्ट्र के नाम संबोधन में कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा की थी. उन्होंने कहा था कि इन कानूनों को निरस्त करने के लिए संवैधानिक औपचारिकताएं संसद के 29 नवंबर से शुरू हो रहे शीतकालीन सत्र में की जाएंगी.

कौर के साथ मौजूद अन्य महिलाओं ने भी उनकी बात से सहमति जताते हुए कहा कि संसद में इन कानूनों को औपचारिक रूप से निरस्त करने और फसलों पर एमएसपी की कानूनी गारंटी की मांग मानने के साथ ही प्रदर्शनों के दौरान जान गंवाने वाले किसानों के परिवारों को आर्थिक मुआवजा भी दिया जाना चाहिए.

करीब दो हजार की आबादी वाले चिल्ला गांव के लोग किसी किसान संगठन से नहीं जुड़े हैं लेकिन दिल्ली के पास सिंघू बॉर्डर पर कृषि कानूनों के विरोध में हुए प्रदर्शनों में उनकी सक्रिय भागीदारी रही.

नजदीक के मनौली, भागो माजरा, सांते माजरा, छोटा रायपुर और बड़ा रायपुर जैसे गांवों के लोग भी दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन में शामिल होते रहे हैं.

भूपिंदर कौर ने पीटीआई-भाषा से कहा, 'जब तक तीनों कृषि कानून संसद में निरस्त नहीं कर दिए जाते जब तक संघर्ष जारी रहेगा.'

चिल्ला गांव में गुरुद्वारा प्रमुख बाबा सुखचैन सिंह ने कहा, 'किसी ने मुझे फोन किया और बधाई दी. मुझे लगा कि बधाई गुरु पर्व के कारण दी गई लेकिन फिर उन्होंने बताया कि कृषि कानून निरस्त कर दिए गए. मैं तब खाना खा रहा था, उसे बीच में ही छोड़कर मैं सीधे गुरुद्वारे पहुंचा और गांववालों को बताया कि हम जीत गए.'

उन्होंने दावा किया कि किसानों के पास इतना राशन था कि वे 2024 तक दिल्ली की सीमाओं पर बने रह सकते थे.

यह भी पढ़ें- केंद्रीय मंत्रिमंडल बुधवार को कृषि कानूनों को वापस लेने के विधेयकों को दे सकता है मंजूरी

जगतार सिंह गिल ने कहा कि लोग यह भूलेंगे नहीं कि भाजपा नीत केंद्र सरकार को कानूनों को निरस्त करने में एक साल लग गया. उन्होंने कहा कि भाजपा के खिलाफ जो गुस्सा है, वह इतनी जल्द शांत नहीं होगा. उन्होंने कहा, 'किसान यह भी नहीं भूलेंगे कि उन्हें आतंकवादी, खालिस्तानी कहा गया.'

अमृतसर में पंचायत सदस्य सरबजीत सिंह ने कहा, 'किसान तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने की घोषणा से बहुत खुश हैं.

(पीटीआई भाषा)

ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.