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यूएन की चेतावनी, 20 से अधिक देशों में बढ़ सकती है भुखमरी - भुखमरी की गंभीर स्थिति

आने वाले महीनों में 20 से अधिक देशों में भुखमरी की स्थिति गंभीर हो सकती है. इसके लिए तत्काल और अधिक सहायता बढ़ाने की आवश्यकता होगी. संयुक्त राष्ट्र के खाद्य एवं कृषि संगठन (एफएओ) और विश्व खाद्य कार्यक्रम (डब्ल्यूएफपी) की एक नई रिपोर्ट में यह चेतावनी दी गई है.

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Published : Mar 24, 2021, 4:57 PM IST

हैदराबाद : एफएओ-डब्लूएफपी हंगर हॉटस्पॉट्स रिपोर्ट में खाद्य असुरक्षा की गंभीर स्थिति का सामना कर रहे देशों पर आधारित है, जहां आने वाले महीनों में भुखमरी की स्थिति गंभीर हो सकती है. ऐसे देशों को हॉटस्पॉट कहा जाता है.

इन हॉटस्पॉट्स की पहचान खाद्य असुरक्षा के प्रमुख कारकों के विश्लेषण और उन देशों व क्षेत्रों में उनके संभावित संयोजन और विकास के माध्यम से की जाती है. मार्च-जुलाई 2021 के विश्लेषण के अनुसार, ऐसे 20 देश और क्षेत्र हैं जहां कई प्रबल पारस्परिक कारकों के कारण खाद्य असुरक्षा में और गिरावट की संभावना है.

इन कारकों में मुख्य रूप से संघर्ष, आर्थिक मंदी, कोरोना महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव आदि शामिल हैं.

भुखमरी हॉटस्पॉट्स के रूप में अफगानिस्तान, बुर्किना फासो, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो गणराज्य, इथियोपिया, हैती, होंडुरास, नाइजीरिया, सूडान, साउथ सूडान, सीरिया, यमन और जिम्बाब्वे की पहचान की गई है, जहां खाद्य संकट गहराता जा रहा है.

इन देशों के कुछ क्षेत्रों में, आबादी का एक हिस्सा गंभीर भुखमरी से जूझ रहा है. यहां लोगों को आजीविका की अत्यधिक कमी, अपर्याप्त खाद्य सप्लाई और उच्च कुपोषण की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. इस तरह के नाजुक हालात में, अगर कोई और झटका लगता है तो लाखों और लोग भुखमरी का शिकार हो सकते हैं.

यह भी पढ़ें- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 35 करोड़ से अधिक लोग हो सकते हैं भुखमरी के शिकार : संयुक्त राष्ट्र

यमन, साउथ सूडान और उत्तरी नाइजीरिया में खाद्य असुरक्षा सबसे ज्यादा है, अकाल का खतरा मंडरा रहा है. साउथ सूडान के जोंगली राज्य और यमन में कुछ भागों में - लोग पहले से ही अकाल जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन हॉटस्पॉट्स में भुखमरी या मौतों को रोकने और सबसे कमजोर समुदायों की सुरक्षा के लिए तत्काल और बड़े पैमाने पर लक्षित मानवीय कार्रवाई की आवश्यकता है.

खाद्य असुरक्षा के आगामी रुझान

संघर्ष के जोखिम - अफगानिस्तान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, सेंट्रल साहेल, इथियोपिया, उत्तरी नाइजीरिया, उत्तरी मोजाम्बिक, सोमालिया, साउथ सूडान और सूडान में सशस्त्र हिंसा के संघर्ष या अन्य रूपों में वृद्धि होने की संभावना है.

आर्थिक जोखिम - कोरोना महामारी के आर्थिक प्रभाव के परिणामस्वरूप, 2021 में कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं अत्यधिक कमजोर बनी रहेंगी. विप्रेषित, कमोडिटी एक्सपोर्ट्स, टूरिज्म और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन से राजस्व में कमी तथा पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों में प्रतिबंधों के साथ-साथ कोरोना लॉकडाउन के दौरान जनसमुदायों को समर्थन देने के उद्देश्य से व्यय ने अर्थव्यवस्थाओं को बाधित किया है.

प्राकृतिक जोखिम - ला-नीना प्रभाव के अप्रैल या मई तक जारी रहने की उम्मीद है, जिससे मौसम और जलवायु की परिस्थितियां प्रेरित होंगी और दुनिया के कई हिस्सों को प्रभावित करने की संभावना है.

बाह्य सीमा खतरा (ट्रांस बाउंड्री थ्रेट्स) - पूर्वी अफ्रीका और लाल सागर तट पर रेगिस्तान की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, और आने वाले महीनों में इसकी कड़ी निगरानी की जानी चाहिए. दक्षिणी अफ्रीका में, विशेष रूप से अंगोला, बोत्सवाना, नामीबिया, जाम्बिया और जिम्बाब्वे के कुछ हिस्सों में, अफ्रीकी प्रवासी टिड्डी का गंभीर प्रकोप गर्मियों में फसल के लिए एक गंभीर खतरा है.

गंभीर चिंता वाले देश

  • अफगानिस्तान में, एक साल में 2.2 मिलियन अतिरिक्त लोग खाद्य असुरक्षा के गंभीर स्तर पर चले गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 5.5 मिलियन लोगों के मार्च 2021 तक आपातकाल (आईपीसी फेज-4) में जाने की उम्मीद थी.
  • इथियोपिया के टिग्रे में संघर्ष गंभीर खाद्य सुरक्षा संकट को और बढ़ा रहा है. अनुमान है कि जनवरी और जून 2021 के बीच लगभग 2.6 मिलियन लोग आपातकाल (आईपीसी फेज-4) के स्तर पर चले जाएंगे.
  • सूडान में, कोरोना के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों के कारण बिगड़ते आर्थिक संकट के चलते खाद्य कीमतें आसमान छू रही हैं. यहां सांप्रदायिक झड़पों में संभावित वृद्धि के कारण देश में खाद्य असुरक्षा और बढ़ने की उम्मीद है. सूडान में अक्टूबर से दिसंबर 2020 तक 1.3 मिलियन लोगों के पहले से ही आपातकाल (आईपीसी फेज-4) में पहुंचने का अनुमान था.
  • सीरिया में, 2020 में बड़े पैमाने पर विस्थापन, बुनियादी ढांचा सेवाओं को नुकसान और विदेशी मुद्रा भंडार की कमी सहित कई कारकों के कारण अर्थव्यवस्था तेजी से बिगड़ रही है.

हैदराबाद : एफएओ-डब्लूएफपी हंगर हॉटस्पॉट्स रिपोर्ट में खाद्य असुरक्षा की गंभीर स्थिति का सामना कर रहे देशों पर आधारित है, जहां आने वाले महीनों में भुखमरी की स्थिति गंभीर हो सकती है. ऐसे देशों को हॉटस्पॉट कहा जाता है.

इन हॉटस्पॉट्स की पहचान खाद्य असुरक्षा के प्रमुख कारकों के विश्लेषण और उन देशों व क्षेत्रों में उनके संभावित संयोजन और विकास के माध्यम से की जाती है. मार्च-जुलाई 2021 के विश्लेषण के अनुसार, ऐसे 20 देश और क्षेत्र हैं जहां कई प्रबल पारस्परिक कारकों के कारण खाद्य असुरक्षा में और गिरावट की संभावना है.

इन कारकों में मुख्य रूप से संघर्ष, आर्थिक मंदी, कोरोना महामारी के सामाजिक-आर्थिक प्रभाव, जलवायु परिवर्तन का दुष्प्रभाव आदि शामिल हैं.

भुखमरी हॉटस्पॉट्स के रूप में अफगानिस्तान, बुर्किना फासो, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कांगो गणराज्य, इथियोपिया, हैती, होंडुरास, नाइजीरिया, सूडान, साउथ सूडान, सीरिया, यमन और जिम्बाब्वे की पहचान की गई है, जहां खाद्य संकट गहराता जा रहा है.

इन देशों के कुछ क्षेत्रों में, आबादी का एक हिस्सा गंभीर भुखमरी से जूझ रहा है. यहां लोगों को आजीविका की अत्यधिक कमी, अपर्याप्त खाद्य सप्लाई और उच्च कुपोषण की स्थिति का सामना करना पड़ रहा है. इस तरह के नाजुक हालात में, अगर कोई और झटका लगता है तो लाखों और लोग भुखमरी का शिकार हो सकते हैं.

यह भी पढ़ें- एशिया-प्रशांत क्षेत्र में 35 करोड़ से अधिक लोग हो सकते हैं भुखमरी के शिकार : संयुक्त राष्ट्र

यमन, साउथ सूडान और उत्तरी नाइजीरिया में खाद्य असुरक्षा सबसे ज्यादा है, अकाल का खतरा मंडरा रहा है. साउथ सूडान के जोंगली राज्य और यमन में कुछ भागों में - लोग पहले से ही अकाल जैसी स्थिति का सामना कर रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन हॉटस्पॉट्स में भुखमरी या मौतों को रोकने और सबसे कमजोर समुदायों की सुरक्षा के लिए तत्काल और बड़े पैमाने पर लक्षित मानवीय कार्रवाई की आवश्यकता है.

खाद्य असुरक्षा के आगामी रुझान

संघर्ष के जोखिम - अफगानिस्तान, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, सेंट्रल साहेल, इथियोपिया, उत्तरी नाइजीरिया, उत्तरी मोजाम्बिक, सोमालिया, साउथ सूडान और सूडान में सशस्त्र हिंसा के संघर्ष या अन्य रूपों में वृद्धि होने की संभावना है.

आर्थिक जोखिम - कोरोना महामारी के आर्थिक प्रभाव के परिणामस्वरूप, 2021 में कई देशों की अर्थव्यवस्थाएं अत्यधिक कमजोर बनी रहेंगी. विप्रेषित, कमोडिटी एक्सपोर्ट्स, टूरिज्म और इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन से राजस्व में कमी तथा पर्यटन जैसे महत्वपूर्ण आर्थिक क्षेत्रों में प्रतिबंधों के साथ-साथ कोरोना लॉकडाउन के दौरान जनसमुदायों को समर्थन देने के उद्देश्य से व्यय ने अर्थव्यवस्थाओं को बाधित किया है.

प्राकृतिक जोखिम - ला-नीना प्रभाव के अप्रैल या मई तक जारी रहने की उम्मीद है, जिससे मौसम और जलवायु की परिस्थितियां प्रेरित होंगी और दुनिया के कई हिस्सों को प्रभावित करने की संभावना है.

बाह्य सीमा खतरा (ट्रांस बाउंड्री थ्रेट्स) - पूर्वी अफ्रीका और लाल सागर तट पर रेगिस्तान की स्थिति चिंताजनक बनी हुई है, और आने वाले महीनों में इसकी कड़ी निगरानी की जानी चाहिए. दक्षिणी अफ्रीका में, विशेष रूप से अंगोला, बोत्सवाना, नामीबिया, जाम्बिया और जिम्बाब्वे के कुछ हिस्सों में, अफ्रीकी प्रवासी टिड्डी का गंभीर प्रकोप गर्मियों में फसल के लिए एक गंभीर खतरा है.

गंभीर चिंता वाले देश

  • अफगानिस्तान में, एक साल में 2.2 मिलियन अतिरिक्त लोग खाद्य असुरक्षा के गंभीर स्तर पर चले गए हैं, जिसके परिणामस्वरूप 5.5 मिलियन लोगों के मार्च 2021 तक आपातकाल (आईपीसी फेज-4) में जाने की उम्मीद थी.
  • इथियोपिया के टिग्रे में संघर्ष गंभीर खाद्य सुरक्षा संकट को और बढ़ा रहा है. अनुमान है कि जनवरी और जून 2021 के बीच लगभग 2.6 मिलियन लोग आपातकाल (आईपीसी फेज-4) के स्तर पर चले जाएंगे.
  • सूडान में, कोरोना के सामाजिक-आर्थिक प्रभावों के कारण बिगड़ते आर्थिक संकट के चलते खाद्य कीमतें आसमान छू रही हैं. यहां सांप्रदायिक झड़पों में संभावित वृद्धि के कारण देश में खाद्य असुरक्षा और बढ़ने की उम्मीद है. सूडान में अक्टूबर से दिसंबर 2020 तक 1.3 मिलियन लोगों के पहले से ही आपातकाल (आईपीसी फेज-4) में पहुंचने का अनुमान था.
  • सीरिया में, 2020 में बड़े पैमाने पर विस्थापन, बुनियादी ढांचा सेवाओं को नुकसान और विदेशी मुद्रा भंडार की कमी सहित कई कारकों के कारण अर्थव्यवस्था तेजी से बिगड़ रही है.
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