भीलवाड़ा : भीलवाड़ा की मेवाड़ मिल के सामने वर्षों तक खड़े रहकर तपस्या करने वाले और दाता पायरा आश्रम के संत खड़ेश्वर महाराज शनिवार को पंचतत्व में विलीन हो गए. भक्तों ने अश्रुपूरित अंतिम विदाई दी. महाराज का शुक्रवार को देवलोक गमन हो गया था.
शनिवार सुबह दाता पायरा आश्रम में ही भक्तों ने विधिविधान के साथ खड़ेश्वर जी महाराज का अंतिम संस्कार किया. इससे पहले उनकी बैकुंठी (बेवाण) निकाली गई. अंतिम संस्कार के मौके पर कई भक्त वहां पहुंचे लेकिन उन्हें कोरोना संक्रमण के चलते आश्रम में प्रवेश नहीं दिया गया. अंतिम संस्कार से पहले आश्रम में भजन कीर्तन भी हुए और भक्तों ने अंतिम श्रद्धा सुमन भी अर्पित किए.
खंड़ेश्वर महाराज 20 दिन पहले भीलवाड़ा में एक निजी अस्पताल में भर्ती रहे. गुरुवार को उनकी कोरोना रिपोर्ट निगेटिव आ गई थी. तबीयत ज्यादा खराब होने पर भीलवाड़ा ले जाते समय शुक्रवार को उन्होंने अंतिम सांस ली.
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10 अक्टुबर 1970 से साल 2002 तक लगातार भीलवाड़ा की तत्कालीन मेवाड़ टेक्टसटाइल मिल के सामने खडे़ रहकर तपस्या करने वाले खडेश्वर महाराज के नाम से प्रसिद्ध संत आज दाता पायरा आश्रम में पंचतत्व में विलिन हो गए. खडे़श्वर महाराज ने जीवन पर्यंत मौन व्रत रखा और केवल फलहार ही लिया था. अंतिम संस्कार से पूर्व उनके अनुयायियों ने अंतिम दर्शन किए. भीलवाड़ा जिले के धार्मिक कार्यक्रमों में खडे़श्वर महाराज की उपस्थिति प्रभावी होती थी.
17 साल एक पैर पर रहकर की तपस्या
खडे़श्वर महाराज के अनुयायी तेज सिंह ने कहा कि सन् 1970 में वह यहां आये थे और एक रात के लिए उन्होंने मेवाड़ मिल के बाहर झुला लगाया लेकिन वह यहां पर 17 साल तक एक पैर पर खडे़ रहे. उसके बाद वह 32 वर्षों तक खडे़ रहकर अपनी तपस्या करते रहे. इस दौरान उनके अनुयायी कई जगहों पर उनके आश्रम बनाकर आमजन की सेवा भी कर रहे हैं. आगे भी महाराज के दिखाये रास्ते पर चलकर जन सेवा करेंगे. पंचमुखी धाम के महंत लक्ष्मण दास त्यागी ने कहा कि ऐसे संत का जाना हमारे लिए बड़ी क्षति है. उनके त्याग और जन सेवा को हमेशा याद किया जायेगा.
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खडे़श्वर महाराज उज्जैन से कुम्भ से लौटते समय 10 अक्टूबर 1970 को भीलवाड़ा में आये थे. मेवाड़ मिल के सामने श्रमिकों के आग्रह पर पीपल के पेड़ के नीचे रुके व तीन संकल्प लिए. खड़ा रहूंगा, मौन धारण व अन्न त्याग करूंगा. महाराज ने 1979 में भीलवाड़ा में 108 कुण्डात्मक विष्णु महायज्ञ, 1990 में धौलपुर जिले में सेपव ग्राम में 1000 कुंड का श्रीराम यज्ञ, 2002 में आसींद सवाईभोज 1109 कुण्डात्मक अश्वमेघ राजसूरा यज्ञ, 2009 में भीलवाड़ा के हरनी महादेव पर 1000 कुण्डात्मक श्रीराम महायज्ञ, 2009 में दाता पायरा में 108 कुण्डात्मक सतचण्डी महायज्ञ, 2017 में चित्तौड़ जिले के श्री सावरिया सेठ पर सप्त मन्डापात्मक महायज्ञ का आयोजित किए.
खडे़श्वर महाराज ने बैकुंठ लोक मन्दिर, मेवाड़ मिल के सामने, भीलवाड़ा, खडे़श्वर आश्रम रमणरति परिक्रमा मार्ग बन्दावन व हनुमान गढ़ी दाता पायरा चौराया पर तीन आश्रम बनवाए हैं. वे हमेशा मौन साधना में रहते थे. ललाट पर दिव्य तिलक और रुद्राक्ष की मालाएं उनकी आध्यात्मिक पहचान थीं. धार्मिक आयोजनों में उनकी उपस्थिति श्रद्धा का केंद्र होती थी.