हैदराबाद : फेक डिग्री सर्टिफिकेट का धंधा करने वाले रैकेट का पर्दाफाश (fake degree racket busted) हुआ है. हैदराबाद पुलिस ने बताया है कि पकड़ा गया आरोपी अनाकापल्ली निवासी ई विजय कुमार है. विजय कुमार फर्जी डिग्री के रैकेट का मास्टरमाइंड है. विजय एसआरके यूनिवर्सिटी के असिस्टेंट प्रोफेसर केतन सिंह गुंडेला की मदद से लोगों को फर्जी डिग्री दिलाने का आश्वासन देता था. इसकी एवज में पैसों के लेन-देन की बातें भी सामने आई है. दरअसल, हैदराबाद पुलिस ने सोमवार को सात और लोगों को गिरफ्तार किया है. पुलिस इस मामले में 10 लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. अब तक कुल 17 लोग गिरफ्तार किए जा चुके हैं.
जिन सात लोगों को गिरफ्तार किया गया है इनमें साईगौतम, रितेश रेड्डी, वेंकटसाई रोहित, मन्ना विल्फ्रेड, सूर्यतेजा, और तुम्माला सैतेजा, शामिल हैं. सभी विश्वविद्यालय के छात्र हैं. इसके अलावा प्रमाण पत्र की आपूर्ति करने वाली एजेंसी के मालिक वीरन्नास्वामी को भी गिरफ्तार किया गया है. वीरन्नास्वामी वीएस ग्लोबल एजुकेशनल सर्विसेज नाम की एजुकेशन कंसल्टेंसी कंपनी के मालिक हैं. इसी कंपनी से फर्जी प्रमाण पत्र की आपूर्ति की जाती थी.
हैदराबाद पुलिस ने कहा है कि विजय कुमार और केतन सिंह गुंडेला नकली प्रमाण पत्रों के रैकेट चलाकर लोगों को एसआरके यूनिवर्सिटी (SRK University Fake Degree racket) के डिग्री पाठ्यक्रमों में प्रवेश दिलाए जाते थे. इस मामले में विश्वविद्यालय के प्रमुख पदों पर काम कर रहे डॉ सुनील कपूर, प्रोफेसर जीजी लड्डा, गोपाल पांडा और एसोसिएट प्रोफेसर रवींद्र गुप्ता के खिलाफ भी मामला दर्ज किया गया है. पुलिस विजय कुमार के अलावा अन्य आरोपियों को पकड़ने का प्रयास कर रही है.
पहले ही दबोचे जा चुके हैं 15 लोग
जानकारी के मुताबिक गत दो साल से फर्जी सर्टिफिकेट जारी करने का धंधा फल-फूल रहा है. हैदराबाद पुलिस की टास्क फोर्स इस मामले में 15 लोगों को पहले ही गिरफ्तार कर चुकी है. फर्जी रैकेट मामले में पुलिस गिरफ्तार किए गए वीरन्नास्वामी, साई गौतम, रितेश रेड्डी, वेंकटसाई रोहित, मन्ना विल्फ्रेड, सूर्यतेजा और तुम्माला सैतेजा से पूछताछ कर रही है.
जानकारी के मुताबिक आंध्र प्रदेश के अनाकापल्ली में रहने वाले ई विजयकुमार एसआरके विश्वविद्यालय में सहायक प्रोफेसर थे. इस फर्जी रैकेट मामले के पीछे विजयकुमार की पहचान मास्टरमाइंड के रूप में की गई है. उनका उद्देश्य इंजीनियरिंग और डिग्री पाठ्यक्रमों में नामांकन लेने वाले छात्रों की संख्या बढ़ाना था.
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जानकारी के मुताबिक फर्जी डिग्री हासिल करने के लिए अलग-अलग रेट तय किए गए थे. इंजीनियरिंग डिग्री की कीमत 3 लाख रुपये थी, जबकि MCA और M.Sc डिग्री के लिए 1.5 - 2.5 लाख रुपये के बीच सौदा किया जाता था. अन्य डिग्रियों के लिए 50,000 रुपये से 1 लाख रुपये लिए जाते थे. जानकारी के अनुसार, विजयकुमार ने खराब शैक्षिक प्रदर्शन, ड्रॉपआउट और बैकलॉग वाले छात्रों के बारे में जानकारी जमा करने के बाद उन्हें पैसे के बदले प्रमाण पत्र जारी करने का ऑफर दिया.