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जानिए भारत बायोटेक के टीका कोवैक्सिन से जुड़े तथ्य - first indigenous covid 19 vaccine

दुनिया की तमाम फार्मा और बायोटेक कंपनियां कोरोना वायरस का टीका विकसित करने पर कार्य कर रही हैं. इससे वैश्विक कोरोना महामारी से त्रस्त जनता जल्द टीका आने की उम्मीद में है. भारत में भी कुछ वैक्सीन पर ट्रायल चल रहा है, जिसमें भारत बायोटेक द्वारा निर्मित पहला देसी टीका कोवैक्सिन शामिल है. आइए जानते हैं, कोवैक्सिन जुड़े तथ्य और कब तक होगी उपलब्ध...

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Published : Nov 29, 2020, 9:45 PM IST

हैदराबाद : भारत का पहला स्वदेशी कोरोना टीका कोवैक्सिन (COVAXIN) भारत बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के सहयोग से विकसित किया गया है. इस वैक्सीन को भारत बायोटेक के बीएसएल-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) में विकसित और निर्मित किया गया है.

कोवैक्सिन के पहले और दूसरे चरण का नैदानिक ​​परीक्षण सफल रहा है. भारत बायोटेक को वैक्सीन के तीसरे चरण के नैदानिक ​​परीक्षण के लिए डीसीजीआई से मंजूरी मिल गई है. कंपनी अपने कोरोना टीके का देशभर में 25 से अधिक केंद्रों में 26,000 प्रतिभागियों में नैदानिक ​​परीक्षण कर रही है.

क्या है 'कोवैक्सिन' और कैसे विकसित किया गया
कोवैक्सिन टीका भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया है.

कोविड-19 स्ट्रेन (प्रजनन) को पुणे स्थित एनआईवी में अलग किया गया और भारत बायोटेक में स्थानांतरित किया गया.

हैदराबाद के जिनोम घाटी में स्थित भारत बायोटेक के हाई कन्टेंमेंट फैसिलिटी बीएसएल-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) में कोरोना टीका विकसित और निर्मित किया गया.

भारत बायोटेक दुनिया की एकमात्र वैक्सीन निर्माता कंपनी है, जिसके पास बीएसएल-3 प्रोडक्शन फैसिलिटी है.

अमेरिकी कंपनी के साथ सहकार्यता

  • भारत बायोटेक कंपनी वर्तमान में दो अन्य टीकों के निर्माण पर कार्य कर रही है. जिसमें कोरोफ्लू (CoroFlu) शामिल है, जिसका विकास फ्लूजेन इंक (FluGen Inc.) और विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के सहयोग से किया जा रहा है.
  • इसके अलावा भारत बायोटेक ने पेंसिल्वेनिया के जेफरसन वैक्सीन सेंटर (जेवीसी) के निदेशक मैथिस शनेल (Matthis Schnell) के साथ कोरोनो वायरस प्रोटीन के लिए एक निष्क्रिय रेबीज वैक्सीन व्हीकल विकसित किया है.
  • 20 मई को, भारत बायोटेक ने जेवीसी के साथ अपनी सहकार्यता की घोषणा की थी. साथ ही क्लीनिकल परीक्षण करने और अमेरिका, यूरोप और जापान को छोड़कर 80 देशों में टीके का उत्पादन और वितरित करने के लिए लाइसेंस प्राप्त किया था. सात अप्रैल को, जेवीसी ने कोरावैक्स (Coravax) नाम से वैक्सीन बनाने की घोषणा की थी.
  • कोरावैक्स कोरोन वायरस के स्पाइक प्रोटीन को ले जाने के लिए एक निष्क्रिय रेबीज वैक्सीन का उपयोग करता है. स्पाइक प्रोटीन एक होस्ट सेल से जुड़ता है और संक्रमण का कारण बनता है, इसलिए विशेषज्ञों को उम्मीद थी कि यह टीका शरीर के हिस्से पर एक अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करेगा.
  • शनेल ने जानवरों पर प्रारंभिक परीक्षणों के बाद इस प्रतिक्रिया की पुष्टि की. शनेल ने कहा कि जेवीसी को अनुवर्ती अध्ययन पूरा करने के लिए एक और महीने की आवश्यकता होगी.
  • रेबीज वैक्सीन का उपयोग कर कोरोन वायरस के लिए वैक्सीन विकसित करना एक ऐसी तकनीक है, जिसे शोधकर्ताओं ने MERS और SARS वायरस के खिलाफ भी इस्तेमाल किया है. यह संभव है कि भारत बायोटेक अपने टीके कोवैक्सिन के लिए इस तकनीक का उपयोग करे.
  • 2019 की शुरुआत में, भारत बायोटेक ने ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन से चिरॉन बेहरिंग वैक्सीन प्राइवेट लि. का अधिग्रहण किया था और रेबीज वैक्सीन चिरोराब (Chirorab) के उत्पादन को बढ़ाकर 15 मिलियन यूनिट प्रतिवर्ष कर दिया गया. इसलिए कंपनी पहले से ही इस टीके को बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की क्षमता रखती है.

क्लीनिकल परीक्षण की स्थिति
भारत बायोटेक कंपनी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर भारत का पहला घरेलू टीका विकसित कर रही है, जिसका नाम कोवैक्सिन है. यह टीका वर्तमान में एम्स दिल्ली सहित कई स्थानों पर तीसरे चरण के परीक्षणों से गुजर रहा है.

ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी ने कहा कि वैक्सीन के लिए कम से कम 60 प्रतिशत प्रभावकारिता का लक्ष्य है, जिसके बाद इसे साल 2021 के मध्य में उपलब्ध कराए जाने की उम्मीद है.

तीसरे चरण का परीक्षण 2021 की शुरुआत में पूरा हो सकता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत एक सस्ती बायोटेक वैक्सीन पर काम करता है, इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि कोवैक्सिन दुनिया का सबसे सस्ता टीका हो सकता है.

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, भारत बायोटेक नौ अन्य टीकों के साथ कोवैक्सिन का निर्माण ओडिशा में करेगा.

भारत बायोटेक के सफर पर एक नजर
भारत बायोटेक ने 140 से अधिक वैश्विक पेटेंट के साथ नवाचार का एक उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड स्थापित किया है, जिसमें 16 से अधिक टीके, 4 जैव-चिकित्सीय, 116 से अधिक देशों में पंजीकरण और डब्ल्यूएचओ प्री-क्वालिफिकेशन शामिल है.

हैदराबाद की जेनोम वैली में स्थित इस कंपनी ने एक वैश्विक स्तर की वैक्सीन एवं जैव-चिकित्सा, अनुसंधान एवं उत्पाद विकास, बायो-सेफ्टी लेवल 3 विनिर्माण, और वैक्सीन की आपूर्ति और वितरण का निर्माण किया है.

दुनियाभर में टीकों की चार बिलियन से अधिक खुराक की आपूर्ति करने के बाद, भारत बायोटेक ने नवाचार का नेतृत्व करना जारी रखा है. कंपनी ने एच1एन1, रोटावायरस, जापानी एन्सेफलाइटिस, रेबीज, चिकनगुनिया, जीका वायरस के लिए टीका विकसित करने के साथ टाइफाइड के लिए दुनिया का पहला संयुग्मित वैक्सीन विकसित किया है.

कंपनी बड़े स्तर पर कई केंद्रों पर नैदानिक ​​परीक्षणों का संचालन करने में कुशल है और वैश्विक स्तर पर तीन लाख से अधिक विषयों में 75 से अधिक परीक्षण पूरा कर चुकी है.

हैदराबाद : भारत का पहला स्वदेशी कोरोना टीका कोवैक्सिन (COVAXIN) भारत बायोटेक द्वारा भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) और नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (NIV) के सहयोग से विकसित किया गया है. इस वैक्सीन को भारत बायोटेक के बीएसएल-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) में विकसित और निर्मित किया गया है.

कोवैक्सिन के पहले और दूसरे चरण का नैदानिक ​​परीक्षण सफल रहा है. भारत बायोटेक को वैक्सीन के तीसरे चरण के नैदानिक ​​परीक्षण के लिए डीसीजीआई से मंजूरी मिल गई है. कंपनी अपने कोरोना टीके का देशभर में 25 से अधिक केंद्रों में 26,000 प्रतिभागियों में नैदानिक ​​परीक्षण कर रही है.

क्या है 'कोवैक्सिन' और कैसे विकसित किया गया
कोवैक्सिन टीका भारत बायोटेक इंटरनेशनल लिमिटेड (बीबीआईएल) ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी (एनआईवी) के सहयोग से विकसित किया है.

कोविड-19 स्ट्रेन (प्रजनन) को पुणे स्थित एनआईवी में अलग किया गया और भारत बायोटेक में स्थानांतरित किया गया.

हैदराबाद के जिनोम घाटी में स्थित भारत बायोटेक के हाई कन्टेंमेंट फैसिलिटी बीएसएल-3 (बायो-सेफ्टी लेवल 3) में कोरोना टीका विकसित और निर्मित किया गया.

भारत बायोटेक दुनिया की एकमात्र वैक्सीन निर्माता कंपनी है, जिसके पास बीएसएल-3 प्रोडक्शन फैसिलिटी है.

अमेरिकी कंपनी के साथ सहकार्यता

  • भारत बायोटेक कंपनी वर्तमान में दो अन्य टीकों के निर्माण पर कार्य कर रही है. जिसमें कोरोफ्लू (CoroFlu) शामिल है, जिसका विकास फ्लूजेन इंक (FluGen Inc.) और विस्कॉन्सिन-मैडिसन विश्वविद्यालय के सहयोग से किया जा रहा है.
  • इसके अलावा भारत बायोटेक ने पेंसिल्वेनिया के जेफरसन वैक्सीन सेंटर (जेवीसी) के निदेशक मैथिस शनेल (Matthis Schnell) के साथ कोरोनो वायरस प्रोटीन के लिए एक निष्क्रिय रेबीज वैक्सीन व्हीकल विकसित किया है.
  • 20 मई को, भारत बायोटेक ने जेवीसी के साथ अपनी सहकार्यता की घोषणा की थी. साथ ही क्लीनिकल परीक्षण करने और अमेरिका, यूरोप और जापान को छोड़कर 80 देशों में टीके का उत्पादन और वितरित करने के लिए लाइसेंस प्राप्त किया था. सात अप्रैल को, जेवीसी ने कोरावैक्स (Coravax) नाम से वैक्सीन बनाने की घोषणा की थी.
  • कोरावैक्स कोरोन वायरस के स्पाइक प्रोटीन को ले जाने के लिए एक निष्क्रिय रेबीज वैक्सीन का उपयोग करता है. स्पाइक प्रोटीन एक होस्ट सेल से जुड़ता है और संक्रमण का कारण बनता है, इसलिए विशेषज्ञों को उम्मीद थी कि यह टीका शरीर के हिस्से पर एक अच्छी प्रतिरक्षा प्रतिक्रिया को सक्रिय करेगा.
  • शनेल ने जानवरों पर प्रारंभिक परीक्षणों के बाद इस प्रतिक्रिया की पुष्टि की. शनेल ने कहा कि जेवीसी को अनुवर्ती अध्ययन पूरा करने के लिए एक और महीने की आवश्यकता होगी.
  • रेबीज वैक्सीन का उपयोग कर कोरोन वायरस के लिए वैक्सीन विकसित करना एक ऐसी तकनीक है, जिसे शोधकर्ताओं ने MERS और SARS वायरस के खिलाफ भी इस्तेमाल किया है. यह संभव है कि भारत बायोटेक अपने टीके कोवैक्सिन के लिए इस तकनीक का उपयोग करे.
  • 2019 की शुरुआत में, भारत बायोटेक ने ग्लैक्सोस्मिथक्लाइन से चिरॉन बेहरिंग वैक्सीन प्राइवेट लि. का अधिग्रहण किया था और रेबीज वैक्सीन चिरोराब (Chirorab) के उत्पादन को बढ़ाकर 15 मिलियन यूनिट प्रतिवर्ष कर दिया गया. इसलिए कंपनी पहले से ही इस टीके को बड़े पैमाने पर उत्पादन करने की क्षमता रखती है.

क्लीनिकल परीक्षण की स्थिति
भारत बायोटेक कंपनी इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च के साथ मिलकर भारत का पहला घरेलू टीका विकसित कर रही है, जिसका नाम कोवैक्सिन है. यह टीका वर्तमान में एम्स दिल्ली सहित कई स्थानों पर तीसरे चरण के परीक्षणों से गुजर रहा है.

ताजा रिपोर्ट्स के अनुसार, कंपनी ने कहा कि वैक्सीन के लिए कम से कम 60 प्रतिशत प्रभावकारिता का लक्ष्य है, जिसके बाद इसे साल 2021 के मध्य में उपलब्ध कराए जाने की उम्मीद है.

तीसरे चरण का परीक्षण 2021 की शुरुआत में पूरा हो सकता है. सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत एक सस्ती बायोटेक वैक्सीन पर काम करता है, इसलिए यह उम्मीद की जाती है कि कोवैक्सिन दुनिया का सबसे सस्ता टीका हो सकता है.

एक अन्य रिपोर्ट के अनुसार, भारत बायोटेक नौ अन्य टीकों के साथ कोवैक्सिन का निर्माण ओडिशा में करेगा.

भारत बायोटेक के सफर पर एक नजर
भारत बायोटेक ने 140 से अधिक वैश्विक पेटेंट के साथ नवाचार का एक उत्कृष्ट ट्रैक रिकॉर्ड स्थापित किया है, जिसमें 16 से अधिक टीके, 4 जैव-चिकित्सीय, 116 से अधिक देशों में पंजीकरण और डब्ल्यूएचओ प्री-क्वालिफिकेशन शामिल है.

हैदराबाद की जेनोम वैली में स्थित इस कंपनी ने एक वैश्विक स्तर की वैक्सीन एवं जैव-चिकित्सा, अनुसंधान एवं उत्पाद विकास, बायो-सेफ्टी लेवल 3 विनिर्माण, और वैक्सीन की आपूर्ति और वितरण का निर्माण किया है.

दुनियाभर में टीकों की चार बिलियन से अधिक खुराक की आपूर्ति करने के बाद, भारत बायोटेक ने नवाचार का नेतृत्व करना जारी रखा है. कंपनी ने एच1एन1, रोटावायरस, जापानी एन्सेफलाइटिस, रेबीज, चिकनगुनिया, जीका वायरस के लिए टीका विकसित करने के साथ टाइफाइड के लिए दुनिया का पहला संयुग्मित वैक्सीन विकसित किया है.

कंपनी बड़े स्तर पर कई केंद्रों पर नैदानिक ​​परीक्षणों का संचालन करने में कुशल है और वैश्विक स्तर पर तीन लाख से अधिक विषयों में 75 से अधिक परीक्षण पूरा कर चुकी है.

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