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आर्मी का हिस्सा होगी फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी, एआई आधारित 75 उत्पादों का होगा प्रदर्शन - आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस

भारत का रक्षा मंत्रालय सोमवार को आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) पर आधारित 75 नए विकसित उत्पादों की एक श्रृंखला का प्रदर्शन करेगा. वरिष्ठ संवाददाता संजीब कुमार बरुआ की रिपोर्ट.

Facial Recognition
फेशियल रिकॉग्निशन टेक्नोलॉजी
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Published : Jul 8, 2022, 7:33 PM IST

नई दिल्ली : भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) पर आधारित 75 अत्याधुनिक सैन्य उत्पादों को विकसित और डिजाइन किया है. आजादी के 75 साल पूरे होने पर 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत आयोजित कार्यक्रम में सोमवार को इन्हें प्रदर्शित किया जाएगा. इस कार्यक्रम का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में करेंगे. इन अत्याधुनिक सैन्य उत्पादों को 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत बनाया गया है.

रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कुछ उत्पादों में 'चेहरे की पहचान' (Facial Recognition) तकनीक का अनुप्रयोग भी शामिल है. अधिकारी ने एक प्रेस मीट के मौके पर कहा कि इन 75 उत्पादों में से कई पहले ही सेना के पास हैं या तैनात किए जाने की प्रक्रिया में हैं. अन्य 100 उत्पाद पाइपलाइन में हैं. उत्पादों को सेवाओं, अनुसंधान संगठनों, उद्योग और स्टार्ट-अप और इनोवेटर्स द्वारा विकसित किया गया है.

जो उत्पाद डोमेन में हैं वह ऑटोमेशन/मानवरहित/रोबोटिक्स सिस्टम, साइबर सुरक्षा, मानव व्यवहार विश्लेषण, इंटेलीजेंट मॉनिटरिंग सिस्टम, रसद और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, भाषण/आवाज विश्लेषण और कमांड, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर और खुफिया, निगरानी और टोही ( C4ISR) सिस्टम और ऑपरेशनल डेटा एनालिटिक्स आदि हैं. आने वाले समय में ऐसे एआई-आधारित उत्पाद विदेशों को निर्यात किए जा सकते हैं. भारत की इस लिस्ट में पहले से ही 'ब्रह्मोस' मिसाइल और 'तेजस' हल्के लड़ाकू विमान हैं.

वित्तीय वर्ष 2021-22 में रक्षा निर्यात 13,000 करोड़ रुपये के उच्चतम आंकड़े को पार कर गया है. इसमें 70% योगदान निजी क्षेत्र से और शेष 30% सार्वजनिक क्षेत्र से आया है. फिलहाल, भारत के सैन्य उत्पादों के मुख्य बाजार में अमेरिका, फिलीपींस, दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका शामिल हैं. भारत अपनी इस क्षमता को भुनाने के लिए बराबर प्रयास कर रहा है. उसने विदेशी मिशनों में लगभग 40 डीए को तैनात कर रखा है जो लगभग 85 देशों को कवर करते हैं. इन सभी को उत्पादों के विपणन के लिए संवेदनशील बनाया गया है.

एआई पर ध्यान केंद्रित करने और भारतीय सेना में आवश्यक परिवर्तन लाने के लिए सरकार ने पहले ही दो निकायों उच्च शक्ति वाली रक्षा एआई परिषद (डीएआईसी) और रक्षा एआई परियोजना एजेंसी (डीएआईपीए) की स्थापना की है. रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में DAIC में थल सेना, नौसेना और IAF के तीन प्रमुख, रक्षा सचिव और उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिष्ठित सदस्य शामिल हैं. DAIC को ऑपरेटिंग फ्रेमवर्क स्थापित करने, नीति स्तर में बदलाव और संरचनात्मक सहायता प्रदान करने का अधिकार है.

डीएआईपीए की अध्यक्षता रक्षा सचिव (defence secretary) करते हैं. वह परियोजनाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास और वितरण प्रक्रिया के मानकों को निर्धारित करने, इन परियोजनाओं के लिए मानक संचालन प्रक्रिया स्थापित करने, आईपीआर के लिए नीति तैयार करने, रणनीतिक भागीदारों का चयन करते हैं.

पढ़ें- भारत-ऑस्ट्रेलिया रक्षा सहयोग बढ़ाने का रोड मैप तैयार, IMA देहरादून में हुई सैन्य वार्ता

पढ़ें- चीनी फाइटर जेट ने पूर्वी लद्दाख में LAC के बहुत करीब भरी उड़ान

नई दिल्ली : भारत ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (Artificial Intelligence) पर आधारित 75 अत्याधुनिक सैन्य उत्पादों को विकसित और डिजाइन किया है. आजादी के 75 साल पूरे होने पर 'आजादी का अमृत महोत्सव' के तहत आयोजित कार्यक्रम में सोमवार को इन्हें प्रदर्शित किया जाएगा. इस कार्यक्रम का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह राष्ट्रीय राजधानी के विज्ञान भवन में करेंगे. इन अत्याधुनिक सैन्य उत्पादों को 'आत्मनिर्भर भारत' के तहत बनाया गया है.

रक्षा मंत्रालय के एक शीर्ष अधिकारी ने कहा कि कुछ उत्पादों में 'चेहरे की पहचान' (Facial Recognition) तकनीक का अनुप्रयोग भी शामिल है. अधिकारी ने एक प्रेस मीट के मौके पर कहा कि इन 75 उत्पादों में से कई पहले ही सेना के पास हैं या तैनात किए जाने की प्रक्रिया में हैं. अन्य 100 उत्पाद पाइपलाइन में हैं. उत्पादों को सेवाओं, अनुसंधान संगठनों, उद्योग और स्टार्ट-अप और इनोवेटर्स द्वारा विकसित किया गया है.

जो उत्पाद डोमेन में हैं वह ऑटोमेशन/मानवरहित/रोबोटिक्स सिस्टम, साइबर सुरक्षा, मानव व्यवहार विश्लेषण, इंटेलीजेंट मॉनिटरिंग सिस्टम, रसद और आपूर्ति श्रृंखला प्रबंधन, भाषण/आवाज विश्लेषण और कमांड, नियंत्रण, संचार, कंप्यूटर और खुफिया, निगरानी और टोही ( C4ISR) सिस्टम और ऑपरेशनल डेटा एनालिटिक्स आदि हैं. आने वाले समय में ऐसे एआई-आधारित उत्पाद विदेशों को निर्यात किए जा सकते हैं. भारत की इस लिस्ट में पहले से ही 'ब्रह्मोस' मिसाइल और 'तेजस' हल्के लड़ाकू विमान हैं.

वित्तीय वर्ष 2021-22 में रक्षा निर्यात 13,000 करोड़ रुपये के उच्चतम आंकड़े को पार कर गया है. इसमें 70% योगदान निजी क्षेत्र से और शेष 30% सार्वजनिक क्षेत्र से आया है. फिलहाल, भारत के सैन्य उत्पादों के मुख्य बाजार में अमेरिका, फिलीपींस, दक्षिण-पूर्व एशिया, पश्चिम एशिया और अफ्रीका शामिल हैं. भारत अपनी इस क्षमता को भुनाने के लिए बराबर प्रयास कर रहा है. उसने विदेशी मिशनों में लगभग 40 डीए को तैनात कर रखा है जो लगभग 85 देशों को कवर करते हैं. इन सभी को उत्पादों के विपणन के लिए संवेदनशील बनाया गया है.

एआई पर ध्यान केंद्रित करने और भारतीय सेना में आवश्यक परिवर्तन लाने के लिए सरकार ने पहले ही दो निकायों उच्च शक्ति वाली रक्षा एआई परिषद (डीएआईसी) और रक्षा एआई परियोजना एजेंसी (डीएआईपीए) की स्थापना की है. रक्षा मंत्री की अध्यक्षता में DAIC में थल सेना, नौसेना और IAF के तीन प्रमुख, रक्षा सचिव और उद्योग और शिक्षा जगत के प्रतिष्ठित सदस्य शामिल हैं. DAIC को ऑपरेटिंग फ्रेमवर्क स्थापित करने, नीति स्तर में बदलाव और संरचनात्मक सहायता प्रदान करने का अधिकार है.

डीएआईपीए की अध्यक्षता रक्षा सचिव (defence secretary) करते हैं. वह परियोजनाओं के लिए प्रौद्योगिकी विकास और वितरण प्रक्रिया के मानकों को निर्धारित करने, इन परियोजनाओं के लिए मानक संचालन प्रक्रिया स्थापित करने, आईपीआर के लिए नीति तैयार करने, रणनीतिक भागीदारों का चयन करते हैं.

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