नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने अपने रजिस्ट्रार को एक आंतरिक जांच रिपोर्ट पर विचार करने के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज करने का निर्देश दिया है. इसमें कहा गया है कि अदालत का एक आदेश मनगढ़ंत था. न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति पंकज मिथल की पीठ ने कहा कि मनगढ़ंत आदेश एक लंबित याचिका के साथ संलग्न किया गया था.
26 सितंबर को पारित एक आदेश में पीठ ने कहा कि रजिस्ट्रार द्वारा पेश रिपोर्ट का अध्ययन किया गया और रिपोर्ट से यह स्पष्ट है कि दस्तावेज इस अदालत के आदेश की एक प्रति है जिसे चिह्नित किया गया है. रिपोर्ट में संलग्नक-III एक मनगढ़ंत दस्तावेज है. पीठ ने कहा, 'रजिस्ट्रार को क्षेत्राधिकार वाले पुलिस स्टेशन में शिकायत दर्ज करके आपराधिक कानून को लागू करना चाहिए.'
पीठ ने कहा, 'हालांकि वकील प्रीति मिश्रा को उनकी भूमिका की जांच करने के लिए नोटिस जारी किया गया था, लेकिन उन्होंने आज इस अदालत के सामने पेश नहीं होने का विकल्प चुना है. कथित तौर पर उनके द्वारा निभाई गई भूमिका की जांच करना जांच एजेंसी का काम है. पीठ ने कहा कि शिकायत दर्ज करते समय रजिस्ट्रार (न्यायिक सूची) को अपनी रिपोर्ट में उल्लिखित अनुलग्नकों के साथ इस आदेश की एक प्रति भी जमा करनी होगी.
पीठ ने कहा कि शिकायत दर्ज करते समय रजिस्ट्रार को अपनी रिपोर्ट में उल्लिखित शामिल किए गए दस्तावेजों ( annexures) के साथ इस आदेश की एक प्रति भी जमा करनी होगी. शीर्ष अदालत ने संबंधित पुलिस स्टेशन के प्रभारी अधिकारी को दो महीने के भीतर जांच पर एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश दिया. शीर्ष अदालत ने मामले की अगली सुनवाई एक दिसंबर को तय की है.
अदालत ने यह देखने के बाद आंतरिक जांच के आदेश दिए कि एक मामले में एक ही पीठ द्वारा दो अलग-अलग आदेश पारित किए गए थे और ये आदेश एक याचिका के साथ दायर किए गए थे. इसी मामले में शीर्ष अदालत ने 22 अगस्त को पारित एक आदेश में कहा था कि उसने अनुलग्नक ए और बी (पेज 8-10) का अवलोकन किया है और 25 जुलाई, 2022 को उसी पीठ द्वारा पारित दो आदेश हैं.
पहला आदेश बर्खास्तगी का है और दूसरा आदेश एसएलपी की अनुमति देने का है. शीर्ष अदालत ने आदेश में कहा, 'हम रजिस्ट्रार (न्यायिक) को इस पहलू की जांच करने और इस इस संबंध में न्यायालय को एक रिपोर्ट सौंपने का निर्देश देते हैं. यदि रजिस्ट्रार (न्यायिक) को लगता है कि यह इस न्यायालय के आदेशों की जालसाजी का मामला है, तो इसका मतलब है कि आपराधिक कानून को लागू करना होगा.'