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विवाहेत्तर संबंध के आधार पर पुलिसकर्मी को सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता: हाईकोर्ट

गुजरात उच्च न्यायालय (Gujarat High Court) ने कहा कि विवाहेत्तर संबंध को समाज के नजरिए से अनैतिक माना जा सकता है लेकिन इसे कदाचार और पुलिस सेवा नियमों के तहत किसी पुलिसकर्मी को बर्खास्त करने की वजह नहीं माना जा सकता.

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Published : Feb 16, 2022, 7:55 PM IST

file photo
फाइल फोटो

अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) की न्यायमूर्ति संगीता विशेन ने एक पुलिस कांस्टेबल को बर्खास्त करने के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि विवाहेत्तर संबंध के आधार पर पुलिसकर्मी को सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता. साथ ही अहमदाबाद पुलिस को एक महीने के भीतर उसे पुन: नियुक्त करने और नवंबर 2013 से पिछले वेतन का 25 फीसदी भुगतान करने का निर्देश दिया. पुलिस कांस्टेबल को नवंबर 2013 में बर्खास्त किया गया था.

यह आदेश आठ फरवरी को आया और हाल में उपलब्ध हुआ. कांस्टेबल ने एक विधवा महिला से विवाहेत्तर संबंध रखने के लिए सेवा से बर्खास्त करने को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह सच है कि याचिकाकर्ता अनुशासित बल का हिस्सा है. हालांकि उसका कृत्य समाज के नजरिए से अनैतिक हो सकता है लेकिन इस अदालत के लिए इसे कदाचार के दायरे में लाना मुश्किल होगा क्योंकि यह एक निजी प्रेम प्रसंग का मामला है. किसी दबाव या शोषण का नतीजा नहीं है.

यह भी पढ़ें- Vacancies in Tribunals: सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, मामले को हल्के में ले रही नौकरशाही

कांस्टेबल ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि यह रिश्ता आम सहमति से था और उसने तथा महिला दोनों ने एक बयान में माना था कि उनके बीच प्रेम संबंध हैं और सब कुछ उनकी मर्जी से हुआ है. उसने दावा किया कि पुलिस विभाग ने जांच की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया. गौरतलब है कि विधवा महिला के परिवार ने 2012 में शहर की पुलिस के शीर्ष अधिकारियों को शिकायत दी थी कि कांस्टेबल के महिला के साथ अवैध संबंध हैं. इसके बाद पुलिस ने कांस्टेबल को कारण बताओ नोटिस जारी किया और 2013 में उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया.

(पीटीआई)

अहमदाबाद: गुजरात हाईकोर्ट (Gujarat High Court) की न्यायमूर्ति संगीता विशेन ने एक पुलिस कांस्टेबल को बर्खास्त करने के आदेश को रद्द करते हुए कहा कि विवाहेत्तर संबंध के आधार पर पुलिसकर्मी को सेवा से बर्खास्त नहीं किया जा सकता. साथ ही अहमदाबाद पुलिस को एक महीने के भीतर उसे पुन: नियुक्त करने और नवंबर 2013 से पिछले वेतन का 25 फीसदी भुगतान करने का निर्देश दिया. पुलिस कांस्टेबल को नवंबर 2013 में बर्खास्त किया गया था.

यह आदेश आठ फरवरी को आया और हाल में उपलब्ध हुआ. कांस्टेबल ने एक विधवा महिला से विवाहेत्तर संबंध रखने के लिए सेवा से बर्खास्त करने को चुनौती देते हुए एक याचिका दायर की थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा कि यह सच है कि याचिकाकर्ता अनुशासित बल का हिस्सा है. हालांकि उसका कृत्य समाज के नजरिए से अनैतिक हो सकता है लेकिन इस अदालत के लिए इसे कदाचार के दायरे में लाना मुश्किल होगा क्योंकि यह एक निजी प्रेम प्रसंग का मामला है. किसी दबाव या शोषण का नतीजा नहीं है.

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कांस्टेबल ने अपनी याचिका में दलील दी थी कि यह रिश्ता आम सहमति से था और उसने तथा महिला दोनों ने एक बयान में माना था कि उनके बीच प्रेम संबंध हैं और सब कुछ उनकी मर्जी से हुआ है. उसने दावा किया कि पुलिस विभाग ने जांच की उचित प्रक्रिया का पालन नहीं किया. गौरतलब है कि विधवा महिला के परिवार ने 2012 में शहर की पुलिस के शीर्ष अधिकारियों को शिकायत दी थी कि कांस्टेबल के महिला के साथ अवैध संबंध हैं. इसके बाद पुलिस ने कांस्टेबल को कारण बताओ नोटिस जारी किया और 2013 में उसे सेवा से बर्खास्त कर दिया.

(पीटीआई)

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