मास्को : भारत व रूस के दोनों नेताओं ने अफगानिस्तान, ईरान और सीरिया जैसे वैश्विक व क्षेत्रीय मुद्दों पर भी चर्चा की. तीन दिवसीय दौरे पर यहां पहुंचे जयशंकर ने कहा कि इस तथ्य के बावजूद की कोविड-19 महामारी के पहले और परिणामस्वरूप दुनिया में बहुत सी चीजें बदल रही हैं. लेकिन रूस के साथ भारत का रिश्ता स्थिर बना हुआ है और वैश्विक शांति, सुरक्षा और स्थायित्व में उसने योगदान दिया है.
उन्होंने लावरोव के साथ एक संयुक्त संवाददाता सम्मेलन में कहा कि मेरा मानना है कि बहुध्रुवीय वैश्विक व्यवस्था में हमारा विश्वास एक साथ हमारे काम करने को इतना स्वाभाविक व सुगम बनाता है. हम 21वीं सदी में इसे अंतर-राष्ट्रीय संबंधों के विकास की एक बेहद स्वाभाविक व अपरिहार्य प्रक्रिया का प्रतिबिंब मानते हैं. जयशंकर ने कहा कि हमारा समय की कसौटी पर खरा और विश्वास आधारित रिश्ता न सिर्फ अपनी जगह कायम है बल्कि बहुत मजबूत है और लगातार बढ़ रहा है. उन्होंने महामारी की दूसरी लहर के दौरान रूस द्वारा भारत को दिए गए समर्थन की भी सराहना की.
विदेश मंत्री ने कहा कि भारत अब स्पूतनिक वी टीके के निर्माण और उपयोग में रूस का भागीदार बन गया है. हम मानते हैं कि यह न सिर्फ हम दोनों देशों के लिये अच्छा है बल्कि शेष दुनिया के लिए भी इसके सकारात्मक प्रभाव होंगे. जयशंकर ने कहा कि हमारी अधिकांश बातचीत हमारे व्यापक सहयोग के विभिन्न आयामों में प्रगति की समीक्षा को लेकर थी. हमनें काफी अच्छी प्रगति की. जयशंकर ने कहा कि हमारे रिश्तों में एक नया आयाम जुड़ा है और वह विदेश और रक्षा मंत्रियों के 2+2 डायलॉग आयोजित करने को लेकर हुआ समझौता है. हमें लगता है कि हमें इस साल बाद में इसे करना चाहिए। हम अपने रिश्तों के समग्र विकास से संतुष्ट हैं.
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उन्होंने कहा कि हमारे सहयोग का काफी कुछ अंतरिक्ष, परमाणु, ऊर्जा और रक्षा क्षेत्र में केंद्रित है. कुडनकुलम परमाणु ऊर्जा संयंत्र परियोजना पटरी पर है. उन्होंने कहा कि रूस अंतरिक्ष के क्षेत्र में भारत का मूल और सबसे मजबूत साझेदार है. उन्होंने कहा कि बीते कुछ वर्षों में ऊर्जा सहयोग महत्वपूर्ण रूप से बढ़ा है और तेल व गैस के क्षेत्र में संभावित निवेशों और दीर्घकालिक निवेश की प्रतिबद्धताओं से यह परिलक्षित होता है. उन्होंने कहा कि रक्षा सैन्य-तकनीकी सहयोग पर मैं कहूंगा कि मेक इन इंडिया कार्यक्रम में रूसी रूचि से औद्योगिक सहयोग मजबूत हुआ है.
(पीटीआई-भाषा)