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Manipur violence : 'सर्वदलीय बैठक में मसले का तुरंत समाधान होगा, इस पर संदेह'

मणिपुर हिंसा (Manipur violence) के समाधान के लिए केंद्र ने 24 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई है. हालांकि एक्सपर्ट का मानना है कि बैठक का तुरंत कोई नतीजा निकले इस पर संदेह है. ईटीवी भारत के वरिष्ठ संवाददाता गौतम देबरॉय की रिपोर्ट.

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Published : Jun 22, 2023, 9:15 PM IST

Manipur violence
मणिपुर हिंसा

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की स्थिति पर 24 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई है, लेकि एक्सपर्ट मौजूदा जातीय संघर्ष संकट को समाप्त करने के लिए किसी भी तत्काल परिणाम पर संदेह कर रहे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए लेखक और शिक्षाविद् प्रदीप फांजौबम (Pradip Phanjoubam) ने कहा कि नतीजा बैठक में आए प्रस्तावों पर निर्भर करता है. प्रदीप ने कहा कि 'लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसका कोई तत्काल समाधान हो सकता है. हालांकि, बैठक में भाग लेने वालों को अच्छी योजनाओं के साथ आना चाहिए.'

उन्होंने कहा कि वर्तमान संकट राज्य के कई समुदायों, विशेष रूप से इसके तीन प्रमुख जातीय समूहों - नागा, कुकी और मैतेई के बीच संबंधों के जटिल मैट्रिक्स को उजागर करता है. प्रदीप ने कहा कि 'यह स्पष्ट है कि फाल्ट लाइन केवल जातीय सीमाओं तक ही सीमित नहीं हैं. यहां एक पहाड़ी घाटी विभाजन भी है जो मोटे तौर पर आदिवासी-गैर आदिवासी विभाजन से मेल खाता है, जिसमें एक तरफ नागा और कुकी हैं और दूसरी तरफ मैतेई हैं.

उन्होंने कहा कि पहाड़ियां राज्य की 90 प्रतिशत भूमि का निर्माण करती हैं और इन्हें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में मान्यता प्राप्त लोगों के लिए विशेष माना जाता है.

प्रदीप ने कहा कि '10 प्रतिशत घाटी वह जगह है जहां गैर आदिवासी मेइती सीमित हैं. यह क्षेत्र पहाड़ी जनजातियों सहित किसी भी भारतीय के बसने के लिए खुला है. और अब मेइती का एक वर्ग यह कहते हुए एसटी की मांग कर रहा है कि इससे कथित विसंगतियां दूर हो जाएंगी.'

मशहूर लेखक और बीबीसी के पूर्व पत्रकार सुबीर भौमिक ने कहा कि मौजूदा गलती दिल्ली और मणिपुर की सरकार ने की है. भौमिक ने कहा कि 'एक बार संकट उभरने के बाद दोनों सरकारें उसका अनुमान लगाने और उसका समाधान करने में विफल रहीं. और इसीलिए अब हमारे सामने ऐसा संकट है.'

भौमिक ने 24 जून की बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि नतीजा इस बात पर निर्भर करता है कि बैठक क्या हासिल करने की कोशिश करती है. भौमिक ने कहा, 'मैं एक बहुदलीय मंच बनाकर एक बहुजातीय संवाद शुरू करने की कल्पना करता हूं, जो समय की मांग है.' उन्होंने कहा, '24 जून की बैठक में रणनीति बनाई जानी चाहिए कि इसे कैसे किया जाए.'

उन्होंने कहा कि लंबे समय से अस्थिर अंतर-सामुदायिक संघर्ष, राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर मतभेदों को दूर करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण वर्तमान संघर्ष का कारण बना. दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने इस बैठक को केंद्र सरकार का महज दिखावा करार दिया.

पूर्व सांसद और सीपीएम की केंद्रीय समिति के सदस्य हन्नान मोल्लाह ने कहा, 'मणिपुर में बीजेपी की सरकार है. आखिर केंद्र भी स्थिति पर नियंत्रण कैसे नहीं कर पाया.' उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक तब बुलाई गई है जब प्रधानमंत्री मौजूद नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि 'सभी राजनीतिक दल यहां तक ​​कि बीजेपी के मौजूदा विधायक भी पीएम से मिलने की कोशिश कर रहे हैं. और, आप पीएम की अनुपस्थिति में ऐसी बैठक से नतीजे की उम्मीद कैसे कर सकते हैं.'

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नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने मणिपुर की स्थिति पर 24 जून को सर्वदलीय बैठक बुलाई है, लेकि एक्सपर्ट मौजूदा जातीय संघर्ष संकट को समाप्त करने के लिए किसी भी तत्काल परिणाम पर संदेह कर रहे हैं.

ईटीवी भारत से बात करते हुए लेखक और शिक्षाविद् प्रदीप फांजौबम (Pradip Phanjoubam) ने कहा कि नतीजा बैठक में आए प्रस्तावों पर निर्भर करता है. प्रदीप ने कहा कि 'लेकिन मुझे नहीं लगता कि इसका कोई तत्काल समाधान हो सकता है. हालांकि, बैठक में भाग लेने वालों को अच्छी योजनाओं के साथ आना चाहिए.'

उन्होंने कहा कि वर्तमान संकट राज्य के कई समुदायों, विशेष रूप से इसके तीन प्रमुख जातीय समूहों - नागा, कुकी और मैतेई के बीच संबंधों के जटिल मैट्रिक्स को उजागर करता है. प्रदीप ने कहा कि 'यह स्पष्ट है कि फाल्ट लाइन केवल जातीय सीमाओं तक ही सीमित नहीं हैं. यहां एक पहाड़ी घाटी विभाजन भी है जो मोटे तौर पर आदिवासी-गैर आदिवासी विभाजन से मेल खाता है, जिसमें एक तरफ नागा और कुकी हैं और दूसरी तरफ मैतेई हैं.

उन्होंने कहा कि पहाड़ियां राज्य की 90 प्रतिशत भूमि का निर्माण करती हैं और इन्हें अनुसूचित जनजाति (एसटी) के रूप में मान्यता प्राप्त लोगों के लिए विशेष माना जाता है.

प्रदीप ने कहा कि '10 प्रतिशत घाटी वह जगह है जहां गैर आदिवासी मेइती सीमित हैं. यह क्षेत्र पहाड़ी जनजातियों सहित किसी भी भारतीय के बसने के लिए खुला है. और अब मेइती का एक वर्ग यह कहते हुए एसटी की मांग कर रहा है कि इससे कथित विसंगतियां दूर हो जाएंगी.'

मशहूर लेखक और बीबीसी के पूर्व पत्रकार सुबीर भौमिक ने कहा कि मौजूदा गलती दिल्ली और मणिपुर की सरकार ने की है. भौमिक ने कहा कि 'एक बार संकट उभरने के बाद दोनों सरकारें उसका अनुमान लगाने और उसका समाधान करने में विफल रहीं. और इसीलिए अब हमारे सामने ऐसा संकट है.'

भौमिक ने 24 जून की बैठक का जिक्र करते हुए कहा कि नतीजा इस बात पर निर्भर करता है कि बैठक क्या हासिल करने की कोशिश करती है. भौमिक ने कहा, 'मैं एक बहुदलीय मंच बनाकर एक बहुजातीय संवाद शुरू करने की कल्पना करता हूं, जो समय की मांग है.' उन्होंने कहा, '24 जून की बैठक में रणनीति बनाई जानी चाहिए कि इसे कैसे किया जाए.'

उन्होंने कहा कि लंबे समय से अस्थिर अंतर-सामुदायिक संघर्ष, राज्य और केंद्र दोनों स्तरों पर मतभेदों को दूर करने के लिए राजनीतिक इच्छाशक्ति की कमी के कारण वर्तमान संघर्ष का कारण बना. दूसरी ओर, विपक्षी दलों ने इस बैठक को केंद्र सरकार का महज दिखावा करार दिया.

पूर्व सांसद और सीपीएम की केंद्रीय समिति के सदस्य हन्नान मोल्लाह ने कहा, 'मणिपुर में बीजेपी की सरकार है. आखिर केंद्र भी स्थिति पर नियंत्रण कैसे नहीं कर पाया.' उन्होंने कहा कि सर्वदलीय बैठक तब बुलाई गई है जब प्रधानमंत्री मौजूद नहीं हैं.

उन्होंने कहा कि 'सभी राजनीतिक दल यहां तक ​​कि बीजेपी के मौजूदा विधायक भी पीएम से मिलने की कोशिश कर रहे हैं. और, आप पीएम की अनुपस्थिति में ऐसी बैठक से नतीजे की उम्मीद कैसे कर सकते हैं.'

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