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दूसरी लहर ने गैर-कोविड बीमारियों से पीड़िताें का किया 'बुरा हाल' : विशेषज्ञ - गैर कोविड बीमारियों

स्वास्थ्य विशेषज्ञों ने बताया कि महामारी की दूसरी लहर ने पिछले दो महीनों में पहले से ही बोझिल स्वास्थ्य सेवा प्रणाली को पंगु बना दिया है. इसने कैंसर, हृदय और गुर्दे की बीमारियों जैसी गैर-कोविड पुरानी बीमारियों से पीड़ित भारतीयों को बुरी तरह प्रभावित किया है.

दूसरी लहर
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Published : Jun 9, 2021, 7:49 AM IST

नई दिल्ली : स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें ताे पिछले दो महीनों के दौरान आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हुईं, क्योंकि कोविड मामलों में तेजी से वृद्धि हुई, जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं को कोविड देखभाल की ओर मोड़ दिया गया. विशेषज्ञों के अनुसार, अन्य प्रमुख कारणों में कोविड के संक्रमण का डर, गलत सूचना और लॉकडाउन के कारण आवाजाही पर प्रतिबंध शामिल हैं.

एम्स, नई दिल्ली के सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर. साल्वे ने बताया कि कोविड-19 महामारी ने गैर-कोविड देखभाल को प्रभावित किया. कैंसर देखभाल, उच्च रक्तचाप और मधुमेह प्रबंधन जैसी पुरानी बीमारियों की देखभाल की सेवाएं स्वास्थ्य सेवाओं को कोविड देखभाल में बदलने के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुईं. लोग महामारी के कारण लगे प्रतिबंधों और भय के कारण स्वास्थ्य सेवा लेने में सक्षम नहीं थे.

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि दूसरी लहर में अधिकांश राज्य सरकारों ने प्रतिबंध और प्रोटोकॉल लगाए हैं, जिस कारण हृदय, गुर्दे, यकृत और फेफड़ों के रोगियों के नियमित उपचार और जांच से इनकार कर दिया गया है.

याचिकाकर्ता ने कहा, 'गैर-कोविड-19 रोगियों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. सभी अस्पतालों में प्रमुख सर्जरी स्थगित कर दी गई है, क्योंकि डॉक्टर कोविड-19 रोगियों के इलाज में व्यस्त हैं. हृदय रोगियों या गर्भवती महिलाओं के लिए अस्पताल में प्रवेश बहुत मुश्किल है.'

जेपी अस्पताल, नोएडा के प्लास्टिक, सौंदर्य और पुनर्निर्माण सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. आशीष राय ने को बताया कि कैंसर के मरीज खासकर बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा, 'कैंसर के बुजुर्ग मरीज अक्सर अस्पताल जाने में देरी करते हैं, यह सोचकर कि इससे उनके बच्चों को कोविड संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.'

फोर्टिस अस्पताल, गुरुग्राम में कैंसर विशेषज्ञ डॉ. राहुल भार्गव ने कहा, 'कोरोना वायरस महामारी का खामियाजा कैंसर रोगियों को भुगतना पड़ा है. कुल मिलाकर, कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए प्रारंभिक निदान, जांच और उपचार में देरी हुई और कोविड से संक्रमित लोगों में मृत्युदर का अधिक खतरा था.'

इसे भी पढ़ें : '45 साल से अधिक आयुवर्ग के लिए खत्म हुई कोवैक्सीन की खुराक'


प्रारंभिक दिनों में कैंसर का उपचार सफल हो सकता है, लेकिन रोग की उन्नत अवस्था में इसका उपचार नहीं किया जा सकता. विशेषज्ञों ने कहा कि कोविड ने सक्रिय कैंसर रोगियों या पिछले पांच वर्षों से पीड़ित कैंसर रोगियों की मृत्युदर भी बढ़ी है.

नई दिल्ली : स्वास्थ्य विशेषज्ञों की मानें ताे पिछले दो महीनों के दौरान आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएं बाधित हुईं, क्योंकि कोविड मामलों में तेजी से वृद्धि हुई, जिसके कारण स्वास्थ्य सेवाओं को कोविड देखभाल की ओर मोड़ दिया गया. विशेषज्ञों के अनुसार, अन्य प्रमुख कारणों में कोविड के संक्रमण का डर, गलत सूचना और लॉकडाउन के कारण आवाजाही पर प्रतिबंध शामिल हैं.

एम्स, नई दिल्ली के सेंटर फॉर कम्युनिटी मेडिसिन के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. हर्षल आर. साल्वे ने बताया कि कोविड-19 महामारी ने गैर-कोविड देखभाल को प्रभावित किया. कैंसर देखभाल, उच्च रक्तचाप और मधुमेह प्रबंधन जैसी पुरानी बीमारियों की देखभाल की सेवाएं स्वास्थ्य सेवाओं को कोविड देखभाल में बदलने के कारण सबसे अधिक प्रभावित हुईं. लोग महामारी के कारण लगे प्रतिबंधों और भय के कारण स्वास्थ्य सेवा लेने में सक्षम नहीं थे.

पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की गई थी, जिसमें दावा किया गया था कि दूसरी लहर में अधिकांश राज्य सरकारों ने प्रतिबंध और प्रोटोकॉल लगाए हैं, जिस कारण हृदय, गुर्दे, यकृत और फेफड़ों के रोगियों के नियमित उपचार और जांच से इनकार कर दिया गया है.

याचिकाकर्ता ने कहा, 'गैर-कोविड-19 रोगियों को बहुत कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है. सभी अस्पतालों में प्रमुख सर्जरी स्थगित कर दी गई है, क्योंकि डॉक्टर कोविड-19 रोगियों के इलाज में व्यस्त हैं. हृदय रोगियों या गर्भवती महिलाओं के लिए अस्पताल में प्रवेश बहुत मुश्किल है.'

जेपी अस्पताल, नोएडा के प्लास्टिक, सौंदर्य और पुनर्निर्माण सर्जरी विभाग के निदेशक डॉ. आशीष राय ने को बताया कि कैंसर के मरीज खासकर बुजुर्ग सबसे ज्यादा प्रभावित हुए हैं. उन्होंने कहा, 'कैंसर के बुजुर्ग मरीज अक्सर अस्पताल जाने में देरी करते हैं, यह सोचकर कि इससे उनके बच्चों को कोविड संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है.'

फोर्टिस अस्पताल, गुरुग्राम में कैंसर विशेषज्ञ डॉ. राहुल भार्गव ने कहा, 'कोरोना वायरस महामारी का खामियाजा कैंसर रोगियों को भुगतना पड़ा है. कुल मिलाकर, कैंसर से पीड़ित लोगों के लिए प्रारंभिक निदान, जांच और उपचार में देरी हुई और कोविड से संक्रमित लोगों में मृत्युदर का अधिक खतरा था.'

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प्रारंभिक दिनों में कैंसर का उपचार सफल हो सकता है, लेकिन रोग की उन्नत अवस्था में इसका उपचार नहीं किया जा सकता. विशेषज्ञों ने कहा कि कोविड ने सक्रिय कैंसर रोगियों या पिछले पांच वर्षों से पीड़ित कैंसर रोगियों की मृत्युदर भी बढ़ी है.

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