लखीमपुर खीरी : भाजपा के वरिष्ठ नेता और यूपी के कोऑपरेटिव मिनिस्टर मुकुट बिहारी वर्मा (Mukut Bihari Verma) ने कहा कि देश के किसानों को जगाना है, आगे बढ़ाना है और देश को स्वर्णिम बनाना है. उन्होंने दिल्ली में चल रहे किसान आंदोलन के बारे में कहा कि दिल्ली में आंदोलन कर रहे लोग किसान कम और आंदोलन करके जीने वाले लोग ज्यादा हैं.
मुकुट बिहारी वर्मा मंगलवार को लखीमपुर खीरी जिले में आयोजित भाजपा की किसान ट्रैक्टर रैली (bjp kisan tractor rally) में में शिरकत करने बतौर मुख्य अतिथि आए थे. जीआईसी ग्राउंड पर ट्रैक्टरों की भारी भीड़ इकट्ठा थी. प्रदेश से भी किसान मोर्चा के तमाम पदाधिकारी ट्रैक्टर रैली ( tractor rally) में हिस्सा लेने के लिए आए थे.
मंत्री मुकुट बिहारी वर्मा ने बतौर मुख्य अतिथि हरी झंडी दिखाकर किसानों को रवाना किया. ईटीवी भारत से खास बातचीत में मुकुट बिहारी वर्मा ने कहा कि हमारी सरकार किसानों को खुश देखना चाहती है. उसी के लिए हमारे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (prime minister narendra modi) और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi adityanath) बराबर किसान हित की योजनाएं बना रहे हैं.
उन्होंने कहा, 'हमारा मानना है कि जब देश का किसान जगेगा तभी वह आगे बढ़ेगा. हम देश के किसान को जगाने का काम कर रहे हैं और इसीलिए यह ट्रैक्टर रैली आयोजित की गई है'.
दिल्ली में चल रहे आंदोलन के सवाल पर मुकुट बिहारी वर्मा ने कहा कि ये लोग किसान नहीं हैं, बल्कि आंदोलन के नाम पर ही जीने वाले लोग हैं. किसान कानून वापस लेने और अब किसानों के एमएसपी की मांग के सवाल पर मुकुट बिहारी वर्मा ने कहा कि ये केंद्र का विषय है.
उन्होंने कहा कि भाजपा और हमारी सोच बिल्कुल साफ है. पूरे देश के किसान को हमें जगाना है. पूरे देश के किसानों को आगे बढ़ाना है. जब तक हम पूरे देश के किसानों को जगा नहीं लेंगे, तब तक हम यही मानेंगे कि हमारा काम अधूरा है और भारत का विकास भी अधूरा ही है. पीएम किसान निधि हो या डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर, सब बीजेपी सरकार किसानों की आय बढ़ाने को कर रही.
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खीरी के भाजपा जिलाध्यक्ष सुनील सिंह ट्रैक्टर रैली में हिस्सा लेने के लिए मुख्य अतिथि के साथ आए थे. सुनील सिंह ने कहा कि दिल्ली में प्रदर्शन कर रहे लोग किसान नहीं हैं. असली किसान तो हमारे साथ हैं.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) ने किसानों से तीन कानूनों को लागू करने को लेकर माफी नहीं मांगी, बल्कि इन कानूनों से होने वाले लाभ के प्रति वे कुछ किसानों को समझा नहीं पाए, इसलिए माफी मांगी है. यही वजह थी कि तीनों कृषि कानूनों को उन्हें वापस लेना पड़ा.