लखनऊ : समाजवादी पार्टी के मुखिया व पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने इससे पहले पिछले अक्टूबर-नवंबर में अपनी विजय रथ यात्रा के दौरान पूरे यूपी की यात्रा की थी. यात्रा के दौरान उन्होंने बढ़ती बेरोजगारी, मूल्य वृद्धि और महामारी से निपटने जैसे प्रासंगिक मुद्दों को उठाया. लोगों की गर्मजोशी भरी प्रतिक्रिया भी मिली. भाजपा द्वारा सपा पर अपराधियों और माफिया से गहरे संबंधों के आरोप को खारिज करते हुए उन्होंने कहा कि भाजपा ऐसा केवल योगी सरकार की विफलताओं से जनता का ध्यान हटाने के लिए कर रही है.
प्रश्न: राज्य की 20% मुस्लिम आबादी का हवाला देते हुए, सीएम योगी ने इस चुनाव को 80% बनाम 20% के बीच की लड़ाई बनाने की कोशिश की है. एसपी मौर्य, जो कि भाजपा छोड़ने के बाद सपा में शामिल हो गए. इस चुनाव को 85 बनाम 15 बता रहे हैं. उनका इशारा 15 फीसदी उंची जाति व 85 फीसदी ओबीसी-दलित की ओर है. आप इस चुनाव को कैसे देखते हैं?
उत्तर: समाजवादी पार्टी समाज के हर वर्ग को साथ लेकर चलने में विश्वास रखती है. जबकि भाजपा की राजनीति ओबीसी, दलितों और अल्पसंख्यकों के साथ भेदभाव में निहित है. इस चुनाव को 80% बनाम 20% बताते हुए योगी आदित्यनाथ ने वास्तव में स्वीकार किया है कि बीजेपी को यूपी में 20% सीटें मिलेंगी जबकि बाकी 80% सपा को मिलेंगी.
प्रश्न: निवर्तमान योगी सरकार में कई ओबीसी और एससी/एसटी मंत्रियों के अलावा यूपी के 7 नेताओं को जुलाई 2021 में केंद्रीय मंत्रालय में शामिल किया गया था. उनमें से 6 ओबीसी और दलित जातियों से आते हैं?
उत्तर: वो सिर्फ कागज पर पीछे की तरफ होते हैं. अगर वे अपनी जातियों के सच्चे प्रतिनिधि हैं तो वे जाति जनगणना के लिए सरकार पर दबाव क्यों नहीं बना रहे हैं? हकीकत यह है कि भाजपा किसी की नहीं, भगवान राम की भी नहीं. बीजेपी ने अयोध्या में जमीन खरीद में भारी भ्रष्टाचार किया है. अयोध्या में कार्यरत स्थानीय भाजपा विधायकों और नौकरशाहों के करीबी रिश्तेदारों ने विकास क्षेत्र में गलत तरीके से जमीन खरीदी है.
प्रश्न: कुछ ओबीसी नेता जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं?
उत्तर: सत्ता में आने के बाद सपा सरकार गठित होने के 3 महीने के भीतर जाति की जनगणना करेगी. ओबीसी जातियों को उनकी जनसंख्या के अनुसार कल्याणकारी योजनाओं का लाभ मिलेगा. वहीं दलित और अल्पसंख्यकों को भी लाभ होंगे.
प्रश्न: आप कैसे देखते हैं कि भाजपा आप पर 'यादववाद' को बढ़ावा देने का आरोप लगा रही है?
उत्तर: इसके बजाय मैं कहूंगा कि निवर्तमान सीएम ने 'ठाकुरवाद' को बढ़ावा दिया है. उनकी जाति के लोगों ने सभी प्रमुख पदों पर कब्जा कर लिया. पिछले 5 वर्षों में ओबीसी, दलितों और अल्पसंख्यकों के खिलाफ हर स्तर पर जातिगत भेदभाव किया गया.
प्रश्न: पीएम मोदी ने हाल ही में समाजवादी पार्टी पर नकली समाजवादी के नाम पर परिवारवाद (भाई-भतीजावाद) करने का आरोप लगाया है?
उत्तर: यूपी में बीजेपी की सरकार उन लोगों द्वारा चलाई गई जिनका कोई परिवार नहीं है. जिनके पास परिवार होता है, वहीं एक परिवार का दर्द समझ सकते हैं. हमें परिवार होने पर गर्व है. लॉकडाउन के दौरान निवर्तमान सीएम का परिवार होता तो वे यूपी में अपने घर पहुंचने के लिए मीलों पैदल चल रहे मजदूरों का दर्द समझते. भाजपा इन अप्रासंगिक मुद्दों को सिर्फ 5 साल की विफलताओं से लोगों का ध्यान हटाने के लिए उठा रही है.
प्रश्न: यूपी में आम आदमी, गुंडा तत्वों और माफियाओं के खिलाफ कठोर कार्रवाई से खुश है. हालांकि कानून-व्यवस्था में सुधार के योगी मॉडल की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं द्वारा आलोचना की गई है?
उत्तर: आम आदमी भी खुश नहीं है. ऐसा इसलिए क्योंकि पिछले 5 वर्षों में कानून-व्यवस्था की स्थिति खराब हो गई है. व्यवसायी मनीष गुप्ता की पिछले सितंबर में गोरखपुर के एक होटल में हत्या कर दी गई. लोग जनवरी 2022 में लखीमपुर खीरी में राहुल (17) की हिरासत में हुई मौत के लिए पुलिस को जिम्मेदार ठहराते हैं. हकीकत यह है कि पिछले 5 सालों में यूपी की कानून-व्यवस्था तेजी से बिगड़ी है. इसके अलावा योगी सरकार आपराधिक तत्वों के खिलाफ कार्रवाई करने में चयनात्मक रही है. एक निश्चित जाति और एक समुदाय के लोगों को निशाना बनाया गया है. लेकिन कई जिलों में अपराधियों की अवैध रूप से अर्जित संपत्ति के खिलाफ पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की क्योंकि वे सीएम की जाति के हैं.
प्रश्न: भाजपा, सपा पर दंगाइयों और अपराधियों को टिकट देने का आरोप लगा रही है?
उत्तर: भाजपा महंगाई, बेरोजगारी, किसानों की समस्याओं और महामारी से निपटने जैसे वास्तविक मुद्दों से जनता का ध्यान हटाना चाहती है. जब हम इन मुद्दों को जनसभाओं में उठाते हैं तो लोगों की ओर से जोरदार प्रतिक्रिया मिलती है. इससे भाजपा चिंतित है, इसलिए वे हम पर आरोप लगाते हैं.
प्रश्न: बेरोजगारी और महंगाई को लेकर लोगों में गुस्सा है. फिर भी वे मुख्य चुनावी मुद्दे नहीं लगते हैं. क्या सपा असली मुद्दों को चुनाव प्रचार के केंद्र में लाने में नाकाम रही है?
उत्तर: हिटलर के पास केवल 1 प्रचार मंत्री जोसेफ गोएबल्स थे लेकिन भाजपा उपर से नीचे तक पूरी पार्टी ही झूठे प्रचार पर चलती है. जब भी हम वास्तविक मुद्दों को उठाते हैं तो वे अपनी विफलताओं को छिपाने के लिए कुछ विवादास्पद मुद्दों को सामने लाते हैं. लेकिन यूपी के लोग समझदार हैं.
प्रश्नः इस बार एसपी ने पहली बार एक समर्पित महिला प्रकोष्ठ की स्थापना की है. क्या ऐसा इसलिए है क्योंकि इस बार विभिन्न जातियों की महिला मतदाता मोदी-योगी सरकार की महिला केंद्रित कल्याणकारी योजनाओं से प्रभावित हैं?
उत्तर: हमने अपने पिछले 2012-2017 के शासन के दौरान महिलाओं की सुरक्षा के प्रति अपनी प्रतिबद्धता का प्रदर्शन किया है. मैंने शीर्ष अधिकारियों को उनके पुलिस विभाग के कामकाज को समझने के लिए न्यूयॉर्क और सिंगापुर भेजा था. इसके बाद हमने महिलाओं के लिए 1090 हेल्पलाइन नंबर शुरू कराया. आपात स्थिति में उनकी मदद के लिए हमने आशा ज्योति केंद्र भी स्थापित किए. लेकिन बीजेपी ने गलत धारणा बना ली है. वे इस चुनाव में बेटी, बहन, मां पर हमारे जोर की अपील से चिंतित हैं.
प्रश्न: क्या आप विधानसभा और संसद में महिलाओं के प्रतिनिधित्व के प्रस्ताव का समर्थन करते हैं?
उत्तर: यदि यह पार्टी आधारित है, तो हम इसका स्वागत करेंगे.
प्रश्न: मुसलमान, सपा पर पर्याप्त प्रतिनिधित्व दिए बिना मुस्लिम वोट चाहने का आरोप लगा रहे हैं?
उत्तर: सपा उम्मीदवारों की जाति या समुदाय को नहीं देखती है. हमारा एकमात्र एजेंडा भाजपा को हराना है, जिसने विशेष रूप से दलितों, पिछड़े वर्गों और अल्पसंख्यकों पर ज्यादती की है. मैं हर जाति और समुदाय के संपर्क में हूं. अपनी सामाजिक पहचान के बावजूद वे भाजपा को हराने के लिए हमारे साथ हैं.
प्रश्नः सपा ने 2019 का आम चुनाव बसपा के साथ मिलकर लड़ा था. इस बार ऐसा गठबंधन क्यों नहीं बना?
उत्तर: अपनी ओर से सपा गठबंधन को जारी रखना चाहती थी. लेकिन बसपा सुप्रीमो मायावती ने किसी राजनीतिक कारण से मना कर दिया.
प्रश्नः बसपा ने पश्चिमी यूपी की 109 मुस्लिम बहुल सीटों पर 40 मुस्लिम उम्मीदवार खड़े किए हैं. क्या आपको लगता है कि मुसलमानों का एक वर्ग बसपा में जा रहा है?
उत्तर: बसपा ने भाजपा के साथ गठबंधन में यूपी में दो बार सरकार बनाई है. भाजपा के साथ बसपा की मौन सहमति ज्ञात तथ्य है. जिला पंचायत चुनाव में भी सपा उम्मीदवारों को हराने के लिए बसपा ने बीजेपी के साथ मिलीभगत की. इस चुनाव में भी यही रणनीति है. लेकिन लोग इतने समझदार हैं कि बसपा के असली एजेंडे को देख सकते हैं.
प्रश्न: कांग्रेस आपके और आपके चाचा शिवपाल यादव द्वारा लड़ी गई सीटों से हट गई है. क्या यह इशारा चुनाव के बाद संभावित सपा-कांग्रेस गठबंधन का संकेत देता है?
उत्तर: मैं प्रियंका गांधी वाड्रा को इस नेक कार्य के लिए धन्यवाद देता हूं. लेकिन बड़ी पार्टियों के साथ गठबंधन का हमारा अनुभव उत्साहजनक नहीं रहा है. इससे हमें फायदा होने की बजाय नुकसान ही हुआ. इस बार सपा ने छोटे दलों के साथ गठबंधन किया है. हम सब मिलकर अपने दम पर स्पष्ट बहुमत हासिल करेंगे.
प्रश्नः रालोद का चुनाव के बाद सहयोगी दल बदलने का लंबा रिकॉर्ड रहा है. आप रालोद के चुनाव के बाद के रुख के बारे में कितने आश्वस्त हैं?
उत्तर: गृह मंत्री अमित शाह द्वारा सार्वजनिक रूप से उन्हें भाजपा के चुनाव पूर्व गठबंधन के लिए आमंत्रित करने के बाद रालोद अध्यक्ष जयंत चौधरी ने भाजपा के साथ चुनाव के बाद भी गठबंधन से इनकार किया है. जयंत जी ने इसके बजाय अमित शाह को सलाह दी है कि किसान आंदोलन के दौरान मारे गए 700 किसानों के परिवार के सदस्यों को पहले निमंत्रण भेजें.
प्रश्न: जब 3 कृषि कानूनों को पहले ही निरस्त किया जा चुका है, तो सपा इस मुद्दे को क्यों उठा रही है?
उत्तर: किसानों को अपने नेताओं को गांवों में प्रवेश नहीं करने देने से भाजपा चिंतित थी. दबाव में केंद्र ने कृषि कानूनों को निरस्त कर दिया. लेकिन केंद्र चुनाव खत्म होने के बाद कृषि कानूनों को वापस ला सकता है, किसान इस बात से वाकिफ हैं.
प्रश्न: अगर सपा के नेतृत्व वाला गठबंधन इस चुनाव में जीत जाता है, तो क्या रालोद प्रमुख जयंत चौधरी डिप्टी सीएम होंगे? वहीं स्वामी प्रसाद मौर्य, जो भाजपा छोड़ने के बाद सपा में शामिल हुए हैं, को भी उप मुख्यमंत्री पद के लिए आशान्वित कहा जाता है?
उत्तर: जयंत चौधरी और स्वामी प्रसाद मौर्य लोकप्रिय जन नेता हैं. आगामी सपा नेतृत्व वाली सरकार में उन्हें निश्चित रूप से सम्मान उच्च स्थान दिया जाएगा.
प्रश्न: यदि सपा+ गठबंधन संख्या से कम हो जाता है, तो क्या वह भाजपा को सत्ता से दूर रखने के लिए बसपा के साथ चुनाव के बाद सहयोगी होगा?
उत्तर: इस चुनाव में सपा+ गठबंधन शानदार जीत दर्ज करेगा.
प्रश्न: 2024 के आम चुनाव से पहले तीसरा मोर्चा बनाने की चर्चा के बीच पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी ने हाल ही में आपके साथ एक वर्चुअल रैली को संबोधित किया. अगर सपा इस चुनाव में जीत जाती है, तो क्या वह केंद्र में प्रस्तावित तीसरे मोर्चे का नेतृत्व करेगी?
उत्तर: अन्य धर्मनिरपेक्ष नेता भी सपा को समर्थन देने की घोषणा करने यूपी आएंगे. यूपी में सपा को समर्थन देकर ये नेता भारत भर के लोगों की सामान्य भावना को प्रतिबिंबित कर रहे हैं कि पहले 2022 में लखनऊ में और फिर 2024 में दिल्ली में बीजेपी को सत्ता से बेदखल करना है.