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Bihar News: JDU-RJD या BJP.. रिहाई के बाद किस पार्टी के साथ राजनीतिक सफर को आगे बढ़ाएंगे आनंद मोहन? सुनिये जवाब

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Published : Apr 25, 2023, 2:02 PM IST

Updated : Apr 25, 2023, 6:46 PM IST

बिहार में जिन 27 कैदियों की रिहाई का आदेश जारी हुआ है, उनमें पूर्व सांसद आनंद मोहन भी शामिल है. इसको लेकर नीतीश सरकार के फैसले का विरोध भी शुरू हो गया है. हालांकि खुद आनंद मोहन और उनके परिवार का कहना है कि जब उन्होंने सजा पूरी कर ली है और नियमों के तहत रिहाई हो रही है, तब विरोध करने का क्या मतलब है. ईटीवी भारत से बातचीत में बाहुबली नेता ने कहा कि यह सिर्फ मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को बदनाम करने की कोशिश है. वहीं अपने राजनीतिक सफर को लेकर उन्होंने पत्ते नहीं खोले हैं.

पूर्व सांसद आनंद मोहन
पूर्व सांसद आनंद मोहन
पूर्व सांसद आनंद मोहन

पटना: बिहार के गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काटने के बाद पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि बेटे चेतन आनंद की सगाई और शादी को लेकर वह 15 दिनों की पैरोल पर जेल से बाहर आए हुए हैं लेकिन अब वह स्थायी तौर पर रिहा हो जाएंगे. एक तरफ जहां उनकी रिहाई को लगातार सवाल उठ रहे हैं तो वहीं सभी दलों की ओर से उनको साथ आने का ऑफर भी मिल रहा है. तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ आशुतोष ने आनंद मोहन और लवली आनंद से खास बातचीत की है.

ये भी पढ़ें: Anand Mohan Release: फिर याद आई 29 साल पुरानी वो कहानी, जब DM को गाड़ी से खींचकर मार दी थी गोली

रिहाई के आदेश जारी होने के बाद आनंद मोहन की पहली प्रतिक्रिया: आनंद मोहन ने उस आरोप को गलत बताया है, जिसमें कहा जा रहा है कि उनके लिए ही बिहार सरकार ने कानून में बदलाव किया है. पूर्व सांसद ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मेरे लिए नियम बदला है तो फिर मुझे क्यों डेढ़ साल अधिक जेल में रहना पड़ा. जो लिस्ट जारी हुआ है, उसमें मैं 11वें नंबर पर है. इसलिए सरकार पर आरोप लगाना गलत है.

सजा पूरी होने के बाद रिहाई, फिर सवाल क्यों?: आनंद मोहन ने कहा कि जो गुनाह मैंने किया नहीं, उसकी सजा भुगती है. कोर्ट के आदेश पर उम्रकैद की सजा मिली. मैं पिछले 15 सालों से जेल में हूं. सजा पूरी होने के बाद मुझे रिहा किया जा रहा है तो सवाल नहीं उठाए जाने चाहिए. नियमों के तहत जेल हुई थी, अब नियमों के तहत ही मुझे रिहा किया जा रहा है.

मेरा परिवार और डीएम के परिवार ने सिर्फ दुख झेला: आनंद मोहन ने कहा कि गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की मौत का उनको दुख है. उनके परिवार के प्रति मेरी पूरी सहानुभूति है. उन्होंने कहा कि देखिये इस मामले में दो परिवारों ने दुख झेला है. एक कृष्णैया के परिवार ने दुख सहा और दूसरे लवली आनंद (मेरी पत्नी) के परिवार ने झेला है, बाकी लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ा.

मेरे खिलाफ भोंकने वालों का मैं जवाब नहीं देता: क्या आनंद मोहन की रिहाई आरजेडी के दबाव में हो रही है? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि कहने के लिए बहुत कुछ कहा जा सकता है. उन्होंने बिलकिस बानो मामले का जिक्र करते हुए कहा कि क्या गुजरात में भी आरजेडी और नीतीश कुमार के दबाव में दोषियों को जेल से रिहा किया गया है. लोगों का काम है सवाल उठाना, उस पर मुझे कुछ नहीं कहना है.

मायावती के इस फैसले के विरोध पर आनंद मोहन का बयान: बीएसपी चीफ मायावती द्वारा उनकी रिहाई के विरोध करने के सवाल पर आनंद मोहन ने कहा कि मैं किसी मायावती को नहीं जानता. उन्होंने कहा कि कौन मायावती, हम नहीं जानते किसी मायावती को. हमने पहले ही कहा था कि कलावती को सुना तो सत्यनारायण पूजा में लेकिन ये मायावती कौन है? वो क्या बोलीं, जाना भी नहीं, मुझे वक्त भी नहीं है जानने का.

नीतीश कुमार की विपक्षी एकता को एकजुट करने की मुहिम का स्वागत: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की कवायद का आनंद मोहन ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि लोकतंत्र में एक सशक्त विपक्ष का होना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो सरकार में बैठा व्यक्ति तानाशाह हो जाएगा.

रिहाई होने के बाद आगे के राजनीतिक सफर के बारे में करूंगा ऐलान: अभी मैं बेटे की शादी के सिलसिले में बाहर आया हुआ हूं. अभी मैं जेल जाऊंगा और फिर रिहाई के आदेश पर मुहर लगने के बाद जेल से बाहर आऊंगा. समय आने दीजिए फिर अपने मित्रों से मिलूंगा. जो बुरे दौर के साथी हैं, उनके साथ बैठकर आगे की रणनीति पर विचार करूंगा.

आने वाले समय में सक्रिय रूप से राजनीति में रहूंगा: क्या आगे राजनीति में सक्रियता जारी रखेंगे? इस सवाल पर आनंद मोहन ने कहा कि राजनीति तो करूंगा ही. जेल में रहते भी मेरी सियासत मरी नहीं है, इसका अंदाजा तो आप लोगों को लग ही गया होगा. मरे हुए लोगों को कोई क्यों पूछेगा.

"जिनको विरोध करना है, करते रहें. कुछ लोगों का काम ही है सवाल उठाना. मुख्यमंत्री जी ने अगर मेरे लिए नियम बदल दिया तो फिर मुझे डेढ़ बरस क्यों जेल में रहना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में जो एक्ट 2012 में लाया गया था, उसे विलोपित किया गया है. जो भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी, उसमें डीएम जी. कृष्णैया का परिवार और मेरा परिवार पीड़ित हुआ है, क्योंकि कष्ट इसी दोनों परिवार ने झेला है. मैं खुद को सिर्फ राजपूत बिरादरी में सीमित नहीं रखा है, मैं समाजवादी विचारधारा से जुड़ा हूं"- आनंद मोहन, पूर्व सांसद

"फैसला स्वागतयोग्य है. सबसे पहले ऊपर वाले भगवान के प्रति आस्था व्यक्त करती हूं और उसके बाद माननीय मुख्यमंत्री का भी आभार व्यक्त करती हूं. मुझे वहीं खुशी मिल रही है उर्मिला को रामायण में, जो 14 बरस के बाद लक्ष्मण जी अयोध्या वापस आए थे. मेरे घर में होली-दिवाली नहीं होती थी लेकिन अब अपने समर्थकों के साथ मिलकर हमलोग खुशियां मनाएंगे"- लवली आनंद, आनंद मोहन की पत्नी

पूर्व सांसद आनंद मोहन

पटना: बिहार के गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया हत्याकांड में उम्रकैद की सजा काटने के बाद पूर्व सांसद आनंद मोहन की रिहाई का रास्ता साफ हो गया है. हालांकि बेटे चेतन आनंद की सगाई और शादी को लेकर वह 15 दिनों की पैरोल पर जेल से बाहर आए हुए हैं लेकिन अब वह स्थायी तौर पर रिहा हो जाएंगे. एक तरफ जहां उनकी रिहाई को लगातार सवाल उठ रहे हैं तो वहीं सभी दलों की ओर से उनको साथ आने का ऑफर भी मिल रहा है. तमाम सवालों का जवाब जानने के लिए ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ आशुतोष ने आनंद मोहन और लवली आनंद से खास बातचीत की है.

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रिहाई के आदेश जारी होने के बाद आनंद मोहन की पहली प्रतिक्रिया: आनंद मोहन ने उस आरोप को गलत बताया है, जिसमें कहा जा रहा है कि उनके लिए ही बिहार सरकार ने कानून में बदलाव किया है. पूर्व सांसद ने कहा कि अगर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने मेरे लिए नियम बदला है तो फिर मुझे क्यों डेढ़ साल अधिक जेल में रहना पड़ा. जो लिस्ट जारी हुआ है, उसमें मैं 11वें नंबर पर है. इसलिए सरकार पर आरोप लगाना गलत है.

सजा पूरी होने के बाद रिहाई, फिर सवाल क्यों?: आनंद मोहन ने कहा कि जो गुनाह मैंने किया नहीं, उसकी सजा भुगती है. कोर्ट के आदेश पर उम्रकैद की सजा मिली. मैं पिछले 15 सालों से जेल में हूं. सजा पूरी होने के बाद मुझे रिहा किया जा रहा है तो सवाल नहीं उठाए जाने चाहिए. नियमों के तहत जेल हुई थी, अब नियमों के तहत ही मुझे रिहा किया जा रहा है.

मेरा परिवार और डीएम के परिवार ने सिर्फ दुख झेला: आनंद मोहन ने कहा कि गोपालगंज के तत्कालीन डीएम जी. कृष्णैया की मौत का उनको दुख है. उनके परिवार के प्रति मेरी पूरी सहानुभूति है. उन्होंने कहा कि देखिये इस मामले में दो परिवारों ने दुख झेला है. एक कृष्णैया के परिवार ने दुख सहा और दूसरे लवली आनंद (मेरी पत्नी) के परिवार ने झेला है, बाकी लोगों को कोई फर्क नहीं पड़ा.

मेरे खिलाफ भोंकने वालों का मैं जवाब नहीं देता: क्या आनंद मोहन की रिहाई आरजेडी के दबाव में हो रही है? इस सवाल पर उन्होंने कहा कि कहने के लिए बहुत कुछ कहा जा सकता है. उन्होंने बिलकिस बानो मामले का जिक्र करते हुए कहा कि क्या गुजरात में भी आरजेडी और नीतीश कुमार के दबाव में दोषियों को जेल से रिहा किया गया है. लोगों का काम है सवाल उठाना, उस पर मुझे कुछ नहीं कहना है.

मायावती के इस फैसले के विरोध पर आनंद मोहन का बयान: बीएसपी चीफ मायावती द्वारा उनकी रिहाई के विरोध करने के सवाल पर आनंद मोहन ने कहा कि मैं किसी मायावती को नहीं जानता. उन्होंने कहा कि कौन मायावती, हम नहीं जानते किसी मायावती को. हमने पहले ही कहा था कि कलावती को सुना तो सत्यनारायण पूजा में लेकिन ये मायावती कौन है? वो क्या बोलीं, जाना भी नहीं, मुझे वक्त भी नहीं है जानने का.

नीतीश कुमार की विपक्षी एकता को एकजुट करने की मुहिम का स्वागत: लोकसभा चुनाव 2024 से पहले मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की विपक्षी एकता की कवायद का आनंद मोहन ने स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि मैं समझता हूं कि लोकतंत्र में एक सशक्त विपक्ष का होना जरूरी है. अगर ऐसा नहीं हुआ तो सरकार में बैठा व्यक्ति तानाशाह हो जाएगा.

रिहाई होने के बाद आगे के राजनीतिक सफर के बारे में करूंगा ऐलान: अभी मैं बेटे की शादी के सिलसिले में बाहर आया हुआ हूं. अभी मैं जेल जाऊंगा और फिर रिहाई के आदेश पर मुहर लगने के बाद जेल से बाहर आऊंगा. समय आने दीजिए फिर अपने मित्रों से मिलूंगा. जो बुरे दौर के साथी हैं, उनके साथ बैठकर आगे की रणनीति पर विचार करूंगा.

आने वाले समय में सक्रिय रूप से राजनीति में रहूंगा: क्या आगे राजनीति में सक्रियता जारी रखेंगे? इस सवाल पर आनंद मोहन ने कहा कि राजनीति तो करूंगा ही. जेल में रहते भी मेरी सियासत मरी नहीं है, इसका अंदाजा तो आप लोगों को लग ही गया होगा. मरे हुए लोगों को कोई क्यों पूछेगा.

"जिनको विरोध करना है, करते रहें. कुछ लोगों का काम ही है सवाल उठाना. मुख्यमंत्री जी ने अगर मेरे लिए नियम बदल दिया तो फिर मुझे डेढ़ बरस क्यों जेल में रहना पड़ा. सुप्रीम कोर्ट और हाईकोर्ट के आदेश के आलोक में जो एक्ट 2012 में लाया गया था, उसे विलोपित किया गया है. जो भी दुर्भाग्यपूर्ण घटना घटी, उसमें डीएम जी. कृष्णैया का परिवार और मेरा परिवार पीड़ित हुआ है, क्योंकि कष्ट इसी दोनों परिवार ने झेला है. मैं खुद को सिर्फ राजपूत बिरादरी में सीमित नहीं रखा है, मैं समाजवादी विचारधारा से जुड़ा हूं"- आनंद मोहन, पूर्व सांसद

"फैसला स्वागतयोग्य है. सबसे पहले ऊपर वाले भगवान के प्रति आस्था व्यक्त करती हूं और उसके बाद माननीय मुख्यमंत्री का भी आभार व्यक्त करती हूं. मुझे वहीं खुशी मिल रही है उर्मिला को रामायण में, जो 14 बरस के बाद लक्ष्मण जी अयोध्या वापस आए थे. मेरे घर में होली-दिवाली नहीं होती थी लेकिन अब अपने समर्थकों के साथ मिलकर हमलोग खुशियां मनाएंगे"- लवली आनंद, आनंद मोहन की पत्नी

Last Updated : Apr 25, 2023, 6:46 PM IST
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