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बाबूलाल मरांडी ने नीतीश कुमार को लिखी चिट्ठी, क्यों कहा- 5 साल पूरा करे हेमंत सरकार

पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने झारखंड के ताजा राजनीतिक घटनाक्रम पर ईटीवी भारत से अपनी राय साझा की. जानिए किस मुद्दे पर क्या कहा...

झारखंड भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी
झारखंड भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी
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Published : Apr 1, 2022, 1:06 PM IST

रांची: झारखंड भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फेरी जहाज पर स्टोन चिप्स लदे कई हाइवा के गंगा नदी में समाने के मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है. उन्होंने अंदेशा जताया है कि साहिबगंज और कटिहार जिला प्रशासन की मिलीभगत के बगैर इतना बड़ा अवैध कारोबार नहीं चल सकता है. उन्होंने झारखंड सरकार के निर्देश पर बनी जांच समिति पर भी सवाल खड़े किए.

1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता तय करने को लेकर हो रहे आंदोलन के मसले पर भी अपनी राय साझा की. ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह के साथ विशेष बातचीत में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तब सर्वदलीय बैठक बुलाने के बाद स्थानीयता के लिए 1982 को कट ऑफ डेट बनाया था. बाद में रघुवर दास ने अपने कार्यकाल में कट ऑफ डेट को 1985 बनाया. जिसमें जिला स्तर की थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नियुक्तियों में यहां के स्थानीय को प्राथमिकता दी गयी थी.

ब्यूरो चीफ राजेश सिंह के साथ पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी

पढ़ें: बिहार में नक्सलियों का आतंकियों से गठजोड़, एनआईए एक्शन में

उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद हेमंत सोरेन ने नियुक्ति नियमावली को और उलझा दिया. अब यहां के अनारक्षित श्रेणी के मूलवासी के बच्चे अगर दूसरे राज्य से मैट्रिक और इंटर पास करेंगे तो उन्हें यहां की नौकरियों में जगह नहीं मिलेगी. बाबूलाल मरांडी ने गठबंधन सरकार के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के अमलीजामा ना पहनने और सरकार की सेहत पर भी खुलकर बातचीत की.

रांची: झारखंड भाजपा विधायक दल के नेता बाबूलाल मरांडी ने बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से फेरी जहाज पर स्टोन चिप्स लदे कई हाइवा के गंगा नदी में समाने के मामले की सीबीआई जांच कराने की मांग की है. उन्होंने अंदेशा जताया है कि साहिबगंज और कटिहार जिला प्रशासन की मिलीभगत के बगैर इतना बड़ा अवैध कारोबार नहीं चल सकता है. उन्होंने झारखंड सरकार के निर्देश पर बनी जांच समिति पर भी सवाल खड़े किए.

1932 के खतियान के आधार पर स्थानीयता तय करने को लेकर हो रहे आंदोलन के मसले पर भी अपनी राय साझा की. ईटीवी भारत के ब्यूरो चीफ राजेश कुमार सिंह के साथ विशेष बातचीत में बाबूलाल मरांडी ने कहा कि जब वह मुख्यमंत्री थे, तब सर्वदलीय बैठक बुलाने के बाद स्थानीयता के लिए 1982 को कट ऑफ डेट बनाया था. बाद में रघुवर दास ने अपने कार्यकाल में कट ऑफ डेट को 1985 बनाया. जिसमें जिला स्तर की थर्ड और फोर्थ ग्रेड की नियुक्तियों में यहां के स्थानीय को प्राथमिकता दी गयी थी.

ब्यूरो चीफ राजेश सिंह के साथ पूर्व सीएम बाबूलाल मरांडी

पढ़ें: बिहार में नक्सलियों का आतंकियों से गठजोड़, एनआईए एक्शन में

उन्होंने कहा कि सत्ता में आने के बाद हेमंत सोरेन ने नियुक्ति नियमावली को और उलझा दिया. अब यहां के अनारक्षित श्रेणी के मूलवासी के बच्चे अगर दूसरे राज्य से मैट्रिक और इंटर पास करेंगे तो उन्हें यहां की नौकरियों में जगह नहीं मिलेगी. बाबूलाल मरांडी ने गठबंधन सरकार के कॉमन मिनिमम प्रोग्राम के अमलीजामा ना पहनने और सरकार की सेहत पर भी खुलकर बातचीत की.

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