हैदराबाद : उत्तराखंड का सियासी मिजाज अस्थिरता वाला रहा है. उत्तराखंड में एक को छोड़कर किसी भी मुख्यमंत्री ने अपने पांच सालों का कार्यकाल पूरा नहीं किया है.
नवंबर 2000 में उत्तराखंड एक अलग राज्य के रूप में अस्तित्व में आया, तब से (20 वर्षों में) उत्तराखंड में सिर्फ एक मुख्यमंत्री ऐसा रहा जिसने अपना पांच साल का कार्यकाल पूरा किया है. कांग्रेस के नारायण दत्त तिवारी ने अपना कार्यकाल पूरा किया था.
बनी भाजपा की सरकार
राज्य गठन के बाद उत्तराखंड में पहली सरकार बनाने वाले नित्यानंद स्वामी को एक साल पूरा होने के 11 दिन पहले सीएम पद से हटाया गया. बीजेपी ने उनके खिलाफ मोर्चा खोल दिया था जिसके बाद उन्होंने इस्तीफा दे दिया. उनके बाद बीएस कोश्यारी सीएम बने थे.
2002 में बनी कांग्रेस की सरकार
साल 2002 में भाजपा की हार हुई. कांग्रेस ने जीतने के बाद नारायण दत्त तिवारी को मुख्यमंत्री बनाया और उन्होंने पांच साल का कार्यकाल पूरा किया. वे कार्यकाल पूरा करने वाले उत्तराखंड के 20 साल के इतिहास में एकमात्र मुख्यमंत्री रहे. वे साल 2002 से लेकर 2007 तक मुख्यमंत्री रहे.
2007 में बीजेपी सरकार की वापसी
साल 2007 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत हुई जिसके बाद भुवन चन्द्र खंडूरी को सीएम बनाया गया, लेकिन वह दो साल ही इस पद रह सके. इसके बाद बीजेपी ने खंडूरी की जगह रमेश पोखरियाल निशंक को सत्ता की कमान सौंपी.
निशंक ने उत्तराखंड के मुख्यमंत्री के तौर पर शपथ ली, लेकिन चुनाव से ठीक चार महीने पहले उनकी कुर्सी चली गई जिसके बाद भुवन चन्द्र खंडूरी को दोबारा से सीएम बना दिया गया.
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2012 में राज्य में फिर बनी कांग्रेस की सरकार
साल 2012 के चुनाव में कांग्रेस के हाथों बीजेपी को हार मिली जिसके बाद कांग्रेस ने बहुजन समाज पार्टी के तीन विधायकों, उत्तराखंड क्रांति दल के एक विधायक और तीन निर्दलीय विधायकों के समर्थन के साथ सरकार बनाई.
अगले पांच साल के कार्यकाल में दो सीएम बदले गए. कांग्रेस ने पहले विजय बहुगुणा को मुख्यमंत्री नियुक्त किया लेकिन 2013 की विनाशकारी बाढ़ के बाद उनकी जगह तत्कालीन केंद्रीय मंत्री हरीश रावत ने ले ली. हरीश रावत का यह तीसरा कार्यकाल था. अपने तीसरे कार्यकाल में वे 311 दिनों तक उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पद पर रहे.
2017 में बनी त्रिवेंद्र सिंह रावत सरकार
त्रिवेंद्र सिंह रावत, नारायण दत्त तिवारी के बाद त्रिवेंद्र बीजेपी में सबसे लंबे समय तक सीएम की कुर्सी पर रहने वाले नेताओं में शामिल हैं.