नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) ने बुधवार को समाजवादी पार्टी (सपा) के अध्यक्ष अखिलेश यादव पर 'झूठ फैलाने और लोगों को उकसाने' का आरोप लगाया और निर्वाचन आयोग से उनके खिलाफ कार्रवाई की मांग की. केंद्रीय मंत्री व उत्तर प्रदेश के प्रभारी धर्मेंद्र प्रधान के नेतृत्व में भाजपा नेताओं के एक प्रतिनिधिमंडल ने निर्वाचन आयोग के अधिकारियों से मुलाकात की और उन्हें इस सिलसिले में एक ज्ञापन भी सौंपा. प्रतिनिधिमंडल में केंद्रीय मंत्री मुख्तार अब्बास नकवी और जी किशन रेड्डी भी शामिल थे.
बाद में पत्रकारों से बातचीत में प्रधान ने कहा कि विधानसभा चुनाव में हार के भय से अखिलेश यादव हताश हो गए हैं और बौखला गए हैं. उन्होंने कहा, 'एक संवैधानिक पद पर रहने के बावजूद कल उन्होंने जिस भाषा का सार्वजनिक रूप से प्रयोग किया और संवैधानिक व्यवस्थाओं पर सवाल उठाए, यह मानसिकता बहुत खतरनाक है.' प्रधान ने कहा कि चुनाव में हार भी स्वीकार करनी चाहिए लेकिन आपत्तिजनक भाषा का प्रयोग कर, ईवीएम पर सवाल उठाकर, चुनाव आयोग की विश्वसनीयता पर सवाल उठाकर अखिलेश यादव ने न केवल मतदाताओं का बल्कि लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं की पवित्रता का भी अपमान किया है.
उन्होंने कहा, 'हमने चुनाव आयोग से मांग की है कि इस प्रकार के अराजक तत्वों के खिलाफ जो हार के भय से पगला गए हैं... भयभीत हैं... जो जनता को उकसाने का काम कर रहे हैं...कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए.'
अखिलेश यादव ने मंगलवार को उत्तर प्रदेश में सत्तारूढ़ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर प्रशासनिक मशीनरी के जरिये वोटों की चोरी का आरोप लगाया था. साथ ही दावा किया था कि उत्तर प्रदेश सरकार के अधिकारी अपने अधीनस्थों को निर्देश दे रहे हैं कि जहां भाजपा हार रही है, वहां मतगणना धीमी कर दी जाए. उन्होंने लोगों से अपील करते हुए कहा, 'अगर हमने वोट दिया है तो मैं अपने नौजवानों, किसानों से कहूंगा कि उतनी ही हमारी जिम्मेदारी बनती है कि वोट को बचाएं. अगर वोट नहीं गिना जाएगा तो लोकतंत्र कहां जाएगा? यह लोकतंत्र की आखिरी लड़ाई है.' पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा था कि ये लोकतंत्र का आखिरी चुनाव है, क्योंकि, इसके बाद जिस तरह से आजादी के लिए लड़ाई लड़ी गई उसी तरह से आपको, हमको क्रांति करनी पड़ेगी.
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