नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने दिवंगत धर्मगुरु श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र को 'परमात्मा' घोषित करने की मांग से जुड़ी याचिका को सोमवार को खारिज करते हुए कहा कि भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और हर किसी को अपने धर्म का पालन करने अधिकार है. न्यायमूर्ति एम. आर. शाह और न्यायमूर्ति सी. टी. रविकुमार की पीठ ने याचिका को 'प्रचार हित याचिका' करार देते हुए याचिकाकर्ता पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया.
याचिकाकर्ता उपेंद्र नाथ दलाई ने जैसे ही अपनी याचिका को पढ़ना शुरू किया, पीठ ने कहा, 'सुनो हम ये लेक्चर सुनने के लिए नहीं आए हैं. क्या यह कोई जनहित याचिका है? ऐसा कैसे हो सकता है? जिसे जो मानना है वो माने. अपने देश में सबको धार्मिक अधिकार है. हम कैसे कह सकते हैं कि विशेष संप्रदाय को ही माने.' पीठ ने कहा, 'आप चाहें तो उन्हें 'परमात्मा' मान सकते हैं. इसे दूसरों पर क्यों थोपें?' सुप्रीम कोर्ट दलाई द्वारा अनुकूल चंद्र को 'परमात्मा' घोषित करने की मांग से जुड़ी याचिका पर सुनवाई कर रही थी.
पढ़ें: सुप्रीम कोर्ट ने अवैध शराब के निर्माण व बिक्री को लेकर पंजाब सरकार को लगाई फटकार
याचिका खारिज करते हुए शीर्ष अदालत ने अपने आदेश में कहा, 'भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है और याचिकाकर्ता को यह प्रार्थना करने की अनुमति नहीं दी जा सकती कि भारत के लोग श्री श्री ठाकुर अनुकूल चंद्र को 'परमात्मा' के रूप में स्वीकार करें. यह किसी भी तरह से जनहित याचिका नहीं है और ऐसा लगता है कि यह 'प्रचार हित याचिका' है, जो जुर्माने के साथ खारिज किए जाने लायक है.' अनुकूल चंद्र का जन्म 14 सितंबर, 1888 को पाबना में हुआ था और इनकी मृत्यु 27 जनवरी 1969 में हुई थी.
(पीटीआई-भाषा)