नई दिल्ली : सूचना का अधिकार (आरटीआई) कानून से पता चला है कि 2016 से 2021 के बीच भारत आने वाले कुल 27.47 लाख विदेशी नागरिकों में 52.5 प्रतिशत बांग्लादेशी थे. इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) का कहना है कि यूरोप और अमेरिका के मुकाबले बेहद किफायती दामों पर उम्दा चिकित्सा सेवाओं के चलते खासकर एशिया के पड़ोसी देशों के लोग इलाज के लिए भारत को तरजीह दे रहे हैं.
नीमच के आरटीआई कार्यकर्ता चंद्रशेखर गौड़ ने बताया कि केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय के बाजार अनुसंधान प्रभाग ने उन्हें इलाज के मकसद से भारत आने वाले विदेशी नागरिकों के बारे में आरटीआई कानून के तहत जानकारी दी है. प्रभाग ने इस कानून के तहत गौड़ को दिए जवाब में बताया कि उसने यह जानकारी आप्रवासन ब्यूरो (बीओआई) से मिले आंकड़ों के आधार पर दी है.
इन आंकड़ों के मुताबिक, इलाज के लिए भारत आने वाले विदेशियों की तादाद 2016 में 4.27 लाख, 2017 में 4.95 लाख, 2018 में 6.41 लाख, 2019 में 6.97 लाख, 2020 में 1.84 लाख और 2021 में 3.03 लाख रही. इस दौरान क्रमश: 2.10 लाख, 2.22 लाख, 3.22 लाख, 4.01 लाख, करीब एक लाख और 1.87 लाख बांग्लादेशी नागरिकों ने इलाज के लिए भारत का रुख किया.
सरकारी आंकड़े यह भी बताते हैं कि 2020 और 2021 में कोविड-19 के प्रकोप के कारण अंतरराष्ट्रीय यात्राओं में रुकावटों के बीच इलाज के लिए भारत आने वाले विदेशी नागरिकों की तादाद में कमी आई. आंकड़ों के मुताबिक, पिछले छह साल के दौरान बांग्लादेश के अलावा जिन देशों के नागरिक बड़ी तादाद में इलाज के लिए भारत आए, उनमें मालदीव, अफगानिस्तान, इराक, ओमान और यमन शामिल हैं.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (आईएमए) के मानद सचिव डॉ. जयेश लेले ने कहा, 'भारत में चिकित्सा क्षेत्र का बुनियादी ढांचा दिनों-दिन मजबूत हो रहा है. हम यूरोप और अमेरिका के मुकाबले बेहद किफायती दामों पर अलग-अलग बीमारियों का अत्याधुनिक इलाज सुनिश्चित कर रहे हैं। इससे एशिया के चिकित्सा पर्यटन नक्शे पर हमारी स्थिति मजबूत हो रही है.'
उन्होंने बताया कि बांग्लादेश और एशिया के अन्य देशों से इलाज के लिए भारत आने वाले लोगों में बड़ी तादाद हृदय रोगों और कैंसर से जूझ रहे मरीजों की होती है. आईएमए सचिव ने कहा कि विदेशी नागरिकों को भारत में उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं के बारे में उचित मार्गदर्शन देने के लिए सरकार को देश के सभी अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डों पर विशेष इंतजाम करने चाहिए.
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