नई दिल्ली: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जर्मनी, डेनमार्क और फ्रांस की अपनी यात्रा से पहले रविवार को कहा कि उनका यूरोप का दौरा ऐसे समय में हो रहा है, जब यह क्षेत्र कई चुनौतियों एवं विकल्पों का सामना कर रहा है तथा वह भारत के यूरोपीय साझेदारों के साथ सहयोग की भावना को मजबूत करना चाहते हैं. उन्होंने कहा कि शांति और समृद्धि की भारत की चाह में यूरोपीय साझेदार प्रमुख साथी हैं.
प्रधानमंत्री मोदी ने एक बयान में कहा कि वह जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्ज के निमंत्रण पर दो मई को बर्लिन पहुंचेंगे. इस साल प्रधानमंत्री मोदी की यह पहली विदेश यात्रा है. मोदी ने एक बयान में कहा कि वह जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्ज के निमंत्रण पर दो मई को बर्लिन का दौरा करेंगे और इसके बाद वह 3-4 मई को डेनमार्क की अपनी समकक्ष मेटे फ्रेडरिक्सन के निमंत्रण पर द्विपक्षीय वार्ता में शामिल होने के लिए कोपनहेगन की यात्रा करेंगे तथा द्वितीय भारत-नॉर्डिक शिखर सम्मेलन में भाग लेंगे. अपनी यात्रा के अंतिम चरण में वह कुछ समय के लिये फ्रांस में रुकेंगे, जहां मोदी फ्रांसीसी राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे.
यात्रा से पहले एक बयान में प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, उनकी यूरोप यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब इस क्षेत्र को कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. बयान के अनुसार, प्रधानमंत्री ने कहा, इन मुलाकातों के माध्यम से मैं अपने यूरोपीय साझेदारों के साथ सहयोग की भावना को प्रगाढ़ करने की इच्छा रखता हूं. शांति और समृद्धि की भारत की चाह में ये देश महत्वपूर्ण साथी हैं. उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब यूक्रेन पर आक्रमण के चलते रूस के खिलाफ अधिकांश यूरोप एकजुट है.
यात्रा के पहले चरण में मोदी बर्लिन में जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्ज के साथ वार्ता करेंगे. दोनों नेता छठी भारत-जर्मनी अंतर-सरकारी परामर्श (आईजीसी) बैठक की सह-अध्यक्षता भी करेंगे. प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि इस बैठक में दोनों देशों के कई मंत्री शामिल होंगे. पिछले वर्ष दिसंबर में सत्ता में आए शॉल्ज के साथ यह मोदी की पहली बैठक होगी. इस यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और चांसलर शॉल्ज व्यापारिक सम्मेलन को भी संयुक्त रूप से संबोधित करेंगे.
मोदी जर्मनी में भारतीय समुदाय के साथ भी संवाद करेंगे. प्रधानमंत्री ने कहा कि वह आईजीसी की बैठक को जर्मनी की नयी सरकार के साथ बातचीत के अवसर के रूप में देखते हैं, जो इसके गठन के छह महीने के भीतर हो रही है. उन्होंने कहा कि इससे मध्यम एवं दीर्घकालीन प्राथमिकताओं की पहचान करने का अवसर मिलेगा. उन्होंने कहा कि वर्ष 2021 में भारत और जर्मनी ने अपने राजनयिक संबंधों की स्थापना के 70 वर्ष पूरे होने का उत्सव मनाया और वर्ष 2000 से दोनों देश सामरिक सहयोगी हैं.
मोदी ने कहा, मैं चांसलर शॉल्ज के साथ सामरिक, क्षेत्रीय एवं वैश्विक मुद्दों पर विचारों के आदान-प्रदान को लेकर आशान्वित हूं. अपनी इस यात्रा के दूसरे चरण में मोदी डेनमार्क की प्रधानमंत्री मेटे फ्रेडरिक्सन के निमंत्रण पर कोपनहेगन जाएंगे, जहां वे दूसरे भारत-नॉर्डिक सम्मेलन में भागीदारी करेंगे. डेनमार्क में प्रधानमंत्री मोदी अपनी समकक्ष मेटे फ्रेडरिक्सन के साथ चर्चा करेंगे. इस बैठक में दोनों देशों के नेताओं को डेनमार्क के साथ भारत के 'हरित सामरिक गठजोड़' में हुई प्रगति की समीक्षा करने का अवसर मिलेगा. इसके अलावा दोनों नेता द्विपक्षीय संबंध एवं अन्य मुद्दों पर भी चर्चा करेंगे.
मोदी ने कहा, मैं भारत डेनमार्क कारोबारी बैठक में हिस्सा लूंगा और भारतीय समुदाय के लोगों के साथ भी संवाद करूंगा. अंतिम चरण में प्रधानमंत्री कुछ समय के लिए पेरिस में रुककर फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों से मुलाकात करेंगे.
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(पीटीआई-भाषा)