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Exclusive Interview : आसान नहीं था शौक को हुनर की शक्ल देना...जुनून ने शायर बना दिया - सपना मूलचंदानी

सच ही कहा गया है...बेटियां हैं तो इस संसार में बहार है, बेटियां हैं तो अंधेरे में भी चमक है. बेटियां मान हैं, सम्मान हैं. कुछ ऐसा ही कर दिखाया है राजस्थान की बेटी सपना मूलचंदानी ने, जिनकी शायरी के जुनून ने (Shayari of Sapna Moolchandani) उन्हें इंजीनियर से शायर बना दिया. सपना राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नामचीन शायरों के साथ मंच साझा कर चुकी हैं.

Sapna Moolchandani Special Conversation
Sapna Moolchandani Special Conversation
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Published : Jun 23, 2022, 1:39 PM IST

अजमेर. राजस्थान की बेटी ने शायरी की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. सिंधी परिवार में जन्मी और पली-बढ़ी सपना मूलचंदानी का साहित्य से कोई ताल्लूक नहीं रहा. खास बात यह है कि पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने के बावजूद (Ajmer Software Engineer Became Shayar) सपना ने अपना सपना सच कर दिखाया है. शायरी के जुनून में उन्होंने खुद उर्दू सीखी और अपने शायरी के सफर को आगे बढ़ाते हुए वह इस मुकाम पर पहुंच गई हैं कि देश के नामचीन शायरों के साथ अब वह मंच साझा करने लगी हैं. ईटीवी भारत पर देखिए उभरती हुई युवा शायरा सपना मूलचंदानी का खास इंटरव्यू...

अजमेर में वैशाली नगर की रहने वाली सपना मूलचंदानी ने युवा शायर के रूप में अपनी पहचान बनाई है. हाल ही में बहरीन में भारत और पाकिस्तान के शायरों के बीच सपना को मंच साझा करने का मौका मिला. ईटीवी भारत से बातचीत में सपना मूलचंदानी ने बताया कि बचपन से शायराना अंदाज में उन्हें (Sapna Moolchandani Special Conversation) अपनी बात कहने का शौक था. उम्र बढ़ने के साथ यह शौक कम होने बजाय जुनून बन गया. उन्होंने बताया कि जयपुर से उन्होंने बीटेक की पढ़ाई की. उसके बाद एक बड़ी कंपनी में उन्हें जॉब मिल गया. वर्तमान में बेंगलुरु में वह जॉब कर रही हैं. कोरोना की वजह से अभी वर्क फ्रॉम होम कर रही हैं.

आसान नहीं था शौक को हुनर की शक्ल देना

सपना बताती हैं कि साहित्य की शिक्षा उन्होंने नहीं ली, लेकिन उन्हें साहित्य पढ़ने का शौक रहा है. जॉब करते हुए एक वक्त ऐसा भी आया, जब उन्हें अकेला रहना पड़ा. तब उन्हें शायरी को जानने और समझने की ऐसी तलब लगी कि उन्हें शायरी का जुनून चढ़ गया. किताबों, इंटरनेट और अपने वरिष्ठ सहयोगियों से उन्होंने उर्दू में शायरी करना सीखा. शुरुआत में वह शायरी कागज पर नहीं उतारा करती थीं, लेकिन जब शायरी के प्रति जुनून और तलब बढ़ी तो उनके जहन से शायरी कागज पर उतरने लगी. सपना मूलचंदानी ने बताया कि शुरुआत में काफी मुश्किलें हुईं, लेकिन जब आपको अपने शौक से प्यार हो और उसे पाने का जुनून हो तो शौक हुनर बन ही जाता है.

भारत एवं पाकिस्तान के शायरों के साथ मंच साझा करने का मिला अवसर : शायरा सपना मूलचंदानी ने बताया कि शुरुआत में वह अपनी लिखी शायरी लोगों को सुनाया करती थीं. उनकी शायरी लोगों के दिलों को छूने लगी. धीरे-धीरे वह बॉलीवुड के बड़े लिरिक्स और बड़े शायरों के संपर्क में आईं, तब से उनका सफर आगे बढ़ता गया और अब वह बड़े मुशायरों में नामचीन शायरों के साथ मंच साझा करने लगी हैं. उन्होंने बताया कि देश के कई राज्यों में हुए मुशायरों में वह अपने शेर पढ़ चुकी हैं. वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाल ही में बहरीन में हुए मुशायरे में उन्हें मंच साझा करने का अवसर मिला. इस मुशायरे में भारत-पाकिस्तान के नामचीन शायर थे. इनमें भारत से जावेद अख्तर भी मौजूद थे. उन्होंने बताया कि मुन्नवर राणा, शकील आजमी, शबीना अदीब सहित कई बेहतरीन शायरों के साथ उन्हें मंच पर अपने लिखे शेर पढ़ने का मौका मिला, यह उनके लिए गर्व की बात है.

पढ़ें : बल्लीमारान की तंग गलियों में.. तमाम हो गईं मिर्ज़ा ग़ालिब की तन्हाइयां..

आसान नहीं था शौक को हुनर की शक्ल देना : बातचीत में सपना मूलचंदानी बताती हैं कि शुरुआत में वह हिंदी में शायराना अंदाज में अपने घरवालों से बात किया करती थीं. जब घरवालों से शायर बनने की इच्छा जताईं तो परिजनों ने (Sapna Moolchandani Success Story) तकनीकी शिक्षा पूरी कर अच्छी जॉब के लिए कहा. हुआ भी यही. बीटेक ((B.Tech) के बाद अच्छी जॉब मिल गई, लेकिन शायरी के प्रति प्यार और जुनून नहीं छूटा. उनकी लिखी शायरी लोगों को पसंद आने लगी तो परिजनों से भी सहयोग मिलने लगा.

पढे़ं : आज जिक्र-ए-यार चले..जमाने में 'फैज' होना आसान नहीं

अजमेर. राजस्थान की बेटी ने शायरी की दुनिया में अपनी अलग पहचान बनाई है. सिंधी परिवार में जन्मी और पली-बढ़ी सपना मूलचंदानी का साहित्य से कोई ताल्लूक नहीं रहा. खास बात यह है कि पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर होने के बावजूद (Ajmer Software Engineer Became Shayar) सपना ने अपना सपना सच कर दिखाया है. शायरी के जुनून में उन्होंने खुद उर्दू सीखी और अपने शायरी के सफर को आगे बढ़ाते हुए वह इस मुकाम पर पहुंच गई हैं कि देश के नामचीन शायरों के साथ अब वह मंच साझा करने लगी हैं. ईटीवी भारत पर देखिए उभरती हुई युवा शायरा सपना मूलचंदानी का खास इंटरव्यू...

अजमेर में वैशाली नगर की रहने वाली सपना मूलचंदानी ने युवा शायर के रूप में अपनी पहचान बनाई है. हाल ही में बहरीन में भारत और पाकिस्तान के शायरों के बीच सपना को मंच साझा करने का मौका मिला. ईटीवी भारत से बातचीत में सपना मूलचंदानी ने बताया कि बचपन से शायराना अंदाज में उन्हें (Sapna Moolchandani Special Conversation) अपनी बात कहने का शौक था. उम्र बढ़ने के साथ यह शौक कम होने बजाय जुनून बन गया. उन्होंने बताया कि जयपुर से उन्होंने बीटेक की पढ़ाई की. उसके बाद एक बड़ी कंपनी में उन्हें जॉब मिल गया. वर्तमान में बेंगलुरु में वह जॉब कर रही हैं. कोरोना की वजह से अभी वर्क फ्रॉम होम कर रही हैं.

आसान नहीं था शौक को हुनर की शक्ल देना

सपना बताती हैं कि साहित्य की शिक्षा उन्होंने नहीं ली, लेकिन उन्हें साहित्य पढ़ने का शौक रहा है. जॉब करते हुए एक वक्त ऐसा भी आया, जब उन्हें अकेला रहना पड़ा. तब उन्हें शायरी को जानने और समझने की ऐसी तलब लगी कि उन्हें शायरी का जुनून चढ़ गया. किताबों, इंटरनेट और अपने वरिष्ठ सहयोगियों से उन्होंने उर्दू में शायरी करना सीखा. शुरुआत में वह शायरी कागज पर नहीं उतारा करती थीं, लेकिन जब शायरी के प्रति जुनून और तलब बढ़ी तो उनके जहन से शायरी कागज पर उतरने लगी. सपना मूलचंदानी ने बताया कि शुरुआत में काफी मुश्किलें हुईं, लेकिन जब आपको अपने शौक से प्यार हो और उसे पाने का जुनून हो तो शौक हुनर बन ही जाता है.

भारत एवं पाकिस्तान के शायरों के साथ मंच साझा करने का मिला अवसर : शायरा सपना मूलचंदानी ने बताया कि शुरुआत में वह अपनी लिखी शायरी लोगों को सुनाया करती थीं. उनकी शायरी लोगों के दिलों को छूने लगी. धीरे-धीरे वह बॉलीवुड के बड़े लिरिक्स और बड़े शायरों के संपर्क में आईं, तब से उनका सफर आगे बढ़ता गया और अब वह बड़े मुशायरों में नामचीन शायरों के साथ मंच साझा करने लगी हैं. उन्होंने बताया कि देश के कई राज्यों में हुए मुशायरों में वह अपने शेर पढ़ चुकी हैं. वहीं, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हाल ही में बहरीन में हुए मुशायरे में उन्हें मंच साझा करने का अवसर मिला. इस मुशायरे में भारत-पाकिस्तान के नामचीन शायर थे. इनमें भारत से जावेद अख्तर भी मौजूद थे. उन्होंने बताया कि मुन्नवर राणा, शकील आजमी, शबीना अदीब सहित कई बेहतरीन शायरों के साथ उन्हें मंच पर अपने लिखे शेर पढ़ने का मौका मिला, यह उनके लिए गर्व की बात है.

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आसान नहीं था शौक को हुनर की शक्ल देना : बातचीत में सपना मूलचंदानी बताती हैं कि शुरुआत में वह हिंदी में शायराना अंदाज में अपने घरवालों से बात किया करती थीं. जब घरवालों से शायर बनने की इच्छा जताईं तो परिजनों ने (Sapna Moolchandani Success Story) तकनीकी शिक्षा पूरी कर अच्छी जॉब के लिए कहा. हुआ भी यही. बीटेक ((B.Tech) के बाद अच्छी जॉब मिल गई, लेकिन शायरी के प्रति प्यार और जुनून नहीं छूटा. उनकी लिखी शायरी लोगों को पसंद आने लगी तो परिजनों से भी सहयोग मिलने लगा.

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