सहारनपुर: उत्तर भारत में कई दिनों से लगातार हो रही बारिश से जहां जनजीवन अस्त-व्यस्त हो गया है. वहीं, ग्रामीण इलाकों से लेकर शहर तक बाढ़ जैसे हालात बने हुए हैं. यमुना नदी खतरे के निशान से ऊपर बह रही है तो बरसाती नदियां उफान पर हैं. आलम यह है बरसाती नदियों का पानी गांवों और खेतों में घुसने लगा है. इसके चलते ग्रामीणों को अपने परिवार के साथ मवेशियों की भी चिंता सताने लगी है.
ऐसी ही तस्वीरें थाना बेहट इलाके के गांव मांडला में देखने को मिलीं. यहां नागनाथ नदी का पानी गांव में घुस गया है. आधे गांव के मकानों में पानी भरने से ग्रामीणों में हाहाकार मचा हुआ है. अनाज से लेकर पहनने के कपड़े तक सब पानी में डूब गए हैं. आलम यह है बेबश ग्रामीण ऊंचे स्थान पर अन्य ग्रामीणों के घरों में रहने को मजबूर हैं. खाने का सामान पानी में डूबने से खाने-पीने के भी लाले पड़े हैं. अचानक तेज बहाव के साथ आए पानी की वजह से कई लोग और बच्चे खेतों में फंसे हुए है. किसानों के मवेशी पानी के बहाव में बह चुके हैं. हालांकि, ग्रामीणों ने जान पर खेलकर कई बच्चों को रेस्क्यू कर बचा लिया. ग्रामीणों का आरोप है कि नागनाथ नदी में मानकों के विपरीत लगाया गया सोलर ऊर्जा प्लांट बाढ़ की मुख्य वजह बना हुआ है.
ईटीवी भारत ने ग्राउंड जीरो पर गांव मांडला पहुंचकर न सिर्फ बाढ़ प्रभावित इलाके का जायजा लिया, बल्कि ग्रामीणों से बातचीत की. ईटीवी भारत ने मौके पर जाकर देखा तो स्तिथि भयावह बनी हुई है. गांव के कई घरों में पानी घुसा हुआ है. गांव के बाहर खेतों में 4 से 6 फीट पानी आया हुआ है. सड़कें और खेत सब नदी जैसा रौद्र रूप लिए हुए हैं. गांव मांडला के रास्ते शहर से जुड़ने वाले दर्जनों गांवों का संपर्क पूरी तरह कट चुका है. जहां तक नजर जाती है, वहां तक पानी ही पानी नजर आ रहा है. देखने से लगता है कि मानों गांव मांडला में जल प्रलय आ गई हो.
यमुना सहित सभी नदियां ओवरफ्लो हो गईं
बता दें कि गांव मांडला के पास से नागनाथ नदी गुजरती है. पहाड़ों और मैदानी इलाकों में कई दिनों से लगातार हो रही मूसलाधार बारिश के कारण यमुना नदी सहित सभी बरसाती नदियां ओवरफ्लो हो चुकी हैं. इसके चलते बरसाती नदियों का पानी अब आसपास के खेतों और गांव की ओर रुख कर रहा है. पानी को जहां से रास्ता मिल रहा है, वहीं से तेज बहाव के साथ बह रहा है. नागनाथ नदी में क्षमता से ज्यादा पानी ने नया रास्ता बना लिया है. पानी तेज बहाव के साथ मांडला गांव में पहुंच गया है. सैकड़ों घरों में पानी घुसने से ग्रामीणों के सामने रहने और खाने-पीने समेत तमाम दिक्कतें आने लगी है. गांव की बाहरी बस्ती के घरों में 6-6 फीट पानी भरा हुआ है, जबकि गांव के पूर्वी छोर में बाढ़ आई हुई है. हालात देखने से लगता है कि नागनाथ नदी गांव में ही आ गई हो. क्योंकि, गांव के पूर्व में बाढ़ का पानी खेतों में खड़ी फसलों और चारे को तहस नहस करते हुए तेज बहाव के साथ आगे बढ़ रहा है. मिनट दर मिनट जलस्तर बढ़ता जा रहा है, जिससे ग्रामीणों की चिंता भी बढ़नी लाजमी है.
ग्रामीणों ने लगाया प्रशासन पर आरोप
ईटीवी भारत से बातचीत में ग्रामीणों ने बताया कि नागनाथ नदी में सरकार की ओर से सोलर ऊर्जा प्लांट लगाया गया है. जो ठेकेदार ने मनमानी कर मानकों के विपरीत लगाया हुआ है. सोलर प्लांट के लिए नदी किनारे दीवार बना दी गई है, जिससे नदी में आए पानी का रुख मुड़ गया है. हालांकि, दीवार बनाते वक्त ग्रामीणों ने जिलाधकारी से इसकी शिकायत कर विरोध भी किया. लेकिन, कोई सुनवाई नहीं हुई. इसका खामियाजा ग्रामीणों को इस बाढ़ का सामना करके भुगतना पड़ रहा है. 2013 में जब केदारनाथ धाम में आई प्राकृतिक आपदा के बाद इतना पानी पहले और बाद में कभी नहीं आया. प्रशासन की जल्दबाजी और लापरवाही का नतीजा है, जो आज ग्रामीणों को बाढ़ का सामना करना पड़ रहा है.
विधायक और सांसद ने नहीं ली सुध
ग्रामीणों ने बताया कि मंगलवार दोपहर उस वक्त अचानक तेज बहाव के साथ बाढ़ आ गई, जब वे लोग अपने खेतों में काम कर रहे थे. क्योंकि, मंगलवार को खराब मौसम से थोड़ी सी राहत मिली थी. इस दौरान ग्रामीण खेतों में पहुंच गए थे. लेकिन, तेज बहाव के साथ आए पानी को देखकर कुछ लोग संभल गए, जबकि कुछ पानी मे फंस गए. ग्रामीणों ने मानव शृंखला बनाकर पानी के बहाव में फंसे ग्रामीणों को रेस्क्यू कर बचा किया. ग्रामीणों का आरोप है कि बार-बार फोन करने पर न तो प्रशानिक अधिकारी मदद को पहुंचा और न ही स्थानीय सपा विधायक आशु मलिक और बसपा सांसद हाजी फजलुर्रहमान ने कोई सुध ली. पूरा गांव भगवान भरोसे एक दूसरे की मदद कर हौसला बढ़ा रहा है.
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